नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : मिशन-2024 के सेमीफाइनल के तौर पर माने जाते उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में योगी-2 का आज श्रीगणेश हो गया। 42 मंत्रियों के साथ योगी आदित्यनाथ ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। उनकी टीम में दो उपमुख्यमंत्री, 16 कैबिनेट मंत्री, स्वतंत्र प्रभार के 14 राज्य मंत्री तथा 20 राज्य मंत्री शामिल हैं। नये मंत्रिमंडल में इस बार ओबीसी और दलितों का अच्छा खासा प्रतिनिधित्व दिखा है। भाजपा ने बसपा के कोर वोटर जाटव समाज में भी इस बार सेंधमारी की है, लिहाजा जाटव समाज से आते लोगों को जगह दी गई है। क्षेत्र की बात करें तो वेस्ट यूपी से सबसे ज्यादा 25 मंत्रियों को मंत्रिमंडल में जगह दी है। विधानसभा चुनाव 2022 की शुरुआत भी पश्चिम से हुई थी। भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले पूर्वांचल को भी तवज्जों दी गई है। 15 मंत्रियों की राजनीति पूर्वांचल की जमीन से जुड़ी हुई है। सबसे कम बुंदेलखंड के विधायकों को मौका मिला है। बुंदेलखंड से आने वाले सिर्फ 2 ही मंत्रियों को जगह मिल सकी है। वहीं अवध क्षेत्र से 10 विधायकों के सिर पर ताज सजा है।
-जातिगत समीकरणों के आधार पर नये चेहरों को जगह
-ओबीसी-दलितों पर फोकस, नाराज ब्राह्मणों को भी तवज्जों
-मायावती के कोर बोटबैंक जाटव एवं दलित समाज को जगह मिली
– पश्चिमी यूपी से सबसे ज्यादा 25 मंत्रियों को मंत्रिमंडल में किया शामिल
-भाजपा के गठबंधन साथियों को भी मंत्रिमंडल में जगह
इसे भारतीय जनता पार्टी के मिशन-2024 की छाप माना जा रहा है, जिसमें पिछड़ा वर्ग और एससी-एसटी वर्ग को कैबिनेट में बड़ी संख्या में जगह दी गई है। जिनका यूपी में वोट प्रतिशत 50 फीसदी से ज्यादा है। सिराथू सीट से हार के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य को दोबारा उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। वहीं कुर्मी नेता स्वतंत्र देव सिंह प्रदेश अध्यक्ष के साथ कैबिनेट में शामिल हुए हैं। इसके अलावा राकेश राठौड़, जेपी राठौड़, सरिता भदौरिया, गिरीश यादव (जौनपुर सदर), जसवंत सैनी भी ऐसे मंत्री हैं, जो पिछड़ा वर्ग से आते हैं। नरेंद्र कश्यप और धर्मवीर प्रजापति का भी नाम प्रमुख है। भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप को भी राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है। कश्यप कभी बीएसपी सुप्रीमो मायावती के बेहद करीबी रहे थे और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए। इसके अलावा सहयोगी दलों से पिछड़े वर्ग के नुमाइंदगी योगी कैबिनेट में देखने को मिली है।
अपना दल सोनेलाल से आशीष पटेल को मंत्री पद मिला है, वो केंद्रीय अनुप्रिया पटेल के पति हैं। अपना दल ने 12 सीटें जीती हैं । वहीं निषाद पार्टी से संजय निषाद को मंत्री बनाया गया है। वो भी पिछड़ा वर्ग से आते हैं और उनकी पार्टी ने छह सीटें जीती हैं। दिनेश खटीक, संजीव गोंड, अजीत पाल, जसवंत सैनी, रामकेश निषाद, मनोहर लाल मन्नू कोरी, संजय गंगवार, अनूप प्रधान वाल्मीकि भी ऐसे ही कुछ चेहरे हैं, जो मिशन 2024 की रणनीति को देखकर चुने गए हैं।
बता दें कि बेबी रानी मौर्या दलित वर्ग से बड़ा नाम है, जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। उन्हें पहले उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया गया था। बाद में वहां से इस्तीफा दिलवाकर सियासत की मुख्य धारा में उतारा गया। इसके अलावा अनूप बाल्मीकि और विजय लक्ष्मी गौतम भी दलित वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं। असीम अरुण भी जाटव समाज से आते हैं, जो अब तक मायावती का कोर वोटर माना जाता रहा है। कानपुर देहात की भोगनीपुर सीट से विधायक राकेश सचान को भी मंत्री बनाया गया है, जो कुर्मी समाज से आते हैं। यूपी सरकार में पहले भी राज्य मंत्री रहीं हैं। अनुसूचित जाति समाज से आने वाले गुलाब देवी ने चंदौसी सीट से तीसरी बार जीत दर्ज की है। सीतापुर से मंत्री सुरेश राही को मंत्री बनाया गया है, वो एससी समुदाय से आते हैं।
भाजपा अब ब्राह्मणों की लीडरशिप में बदलाव कर रही
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करने वाली बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया है। योगी आदित्यनाथ सरकार में केशव प्रसाद मौर्य ने दोबारा उपमुख्यमंत्री शपथ ली है। दूसरे पर डॉ. दिनेश शर्मा की जगह अब ब्रजेश पाठक को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली है। पार्टी में ब्रजेश पाठक का कद बढ़ाया गया है। तय हो गया है कि भाजपा अब ब्राह्मणों की लीडरशिप में बदलाव कर रही है। विधानसभा चुनाव के दौरान कहा गया कि ब्राह्मण मतदाता नाराज हैं। हालांकि भाजपा को ही उनका वोट मिला। अब लोकसभा चुनाव हैं, इसलिए 8 ब्राह्मण विधायकों को मंत्रिमंडल शामिल किया गया है।
योगी-2 में पश्चिमी यूपी को ज्यादा तवज्जो
विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए सबसे मुश्किल पश्चिम उत्तर प्रदेश माना जा रहा था। इसमें भी खास तौर पर पश्चिमी क्षेत्र, जहां किसान हैं और सरकार के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई की थी। विधानसभा चुनाव 2022 की शुरुआत भी पश्चिम से हुई थी। जहां भाजपा के लिए सबसे ज्यादा मुश्किले थीं। अपराजेय सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर काम करते हुए भाजपा ने वेस्ट यूपी से सबसे ज्यादा 25 मंत्रियों को मंत्रिमंडल में जगह दी है। वोट शेयरिंग मजबूत होने से लोकसभा चुनाव के समीकरण साधने के लिए सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व वेस्ट यूपी का रखा गया है।
पिछड़ा वर्ग के 18 मंत्री बनाए गए
लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए कह सकते हैं कि सभी जातियों को साधने का प्रयास हुआ है। सबसे ज्यादा पिछड़ा वर्ग के 18 मंत्री बनाए गए हैं। हालांकि पिछली बार 21 पिछड़े वर्ग के मंत्री थे, सिर्फ इतना ही नहीं, मंत्रियों की उच्च शिक्षा और अनुभव को भी ध्यान में रखा गया है। भाजपा को इस चुनाव में यादवों का बहुत ज्यादा सपोर्ट नहीं मिला। इसलिए सिर्फ गिरीश यादव को दोबारा रिपीट किया गया है।