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Sunday, September 8, 2024

Yoga Day : महिला सशक्तीकरण एवं शांति का सशक्त माध्यम है योग

मनुष्य के सम्मुख युद्ध, महामारी, महंगाई, बेरोजगारी, प्रतिस्पर्धा के कारण जीवन का संकट खड़ा है। मानसिक संतुलन अस्त-व्यस्त हो रहा है। मानसिक संतुलन का अर्थ है विभिन्न परिस्थितियों में तालमेल स्थापित करना, जिसका सशक्त एवं प्रभावी माध्यम योग ही है। योग एक ऐसी तकनीक है, एक विज्ञान है जो हमारे शरीर, मन, विचार एवं आत्मा को स्वस्थ करती है। यह हमारे तनाव एवं कुंठा को दूर करती है। जब हम योग करते हैं, श्वासों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, प्राणायाम और कसरत करते हैं तो यह सब हमारे शरीर और मन को भीतर से खुश और प्रफुल्लित रहने के लिये प्रेरित करती है। योग ने सिर्फ शरीर को बल्कि मंन को भी शांति और एकाग्रचित करता है। योग के अभ्यास से शांतिपूर्ण मन से व्यक्ति को समाज कल्याण के लिए एक बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है।

 

Yoga Day : महिला सशक्तीकरण एवं शांति का सशक्त माध्यम है योग

इस बार 10वीं बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2024 को पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जायेगा। इस साल योग दिवस की थीम महिलाओं पर आधारित ‘महिला सशक्तिकरण के लिए योग’ है।
भारत ने योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई और योग के जरिए सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा दिया। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग लाभकारी है। यह शरीर को रोगमुक्त रखता है और मन को शांति प्रदान करता है। भारतीय संस्कृति से जुड़ी ये क्रिया अब विदेशों तक फैल चुकी है।
योग एक स्वस्थ और संतुलित जीवन शैली को प्रोत्साहित करता है।

Yoga Day : महिला सशक्तीकरण एवं शांति का सशक्त माध्यम है योग

ध्यान व योग मानसिक शांति देता है, जिससे सकारात्मक विचार आते हैं और लोग स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। योग एक प्राचीन भारतीय परंपरा है, जो अब वैश्विक संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है। योग से परस्पर देश विदेश के योगी एक दूसरे से जुड़ते हैं और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देते हैं। इस वर्ष योग दिवस का लक्ष्य योग के माध्यम से महिलाओं के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देना है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि महिलाएं स्वस्थ और आत्मविश्वास से भरपूर हों और समाज में अग्रणी भूमिका निभा रहीं है। इस वर्ष महिलाओं को प्रभावित करने वाली विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों जैसे- मासिक धर्म की परेशानी, रजोनिवृत्ति के लक्षण और प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर शोध करने की योजना है।

Yoga Day : महिला सशक्तीकरण एवं शांति का सशक्त माध्यम है योग

योग आत्म-जागरूकता और आत्म-स्वीकृति को बढ़ावा देता है, जो महिलाओं में आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान बढ़ा सकता है, जिससे महिलाओं को अपने लक्ष्यों और आकांक्षाओं को पूरा करने की शक्ति मिलती है। योग के माध्यम से विश्व शांति, उन्नत व्यक्तित्व विकास, शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक संतुलन, गुस्सा एवं तनाव कम करने जैसे लक्ष्यों को भी हासिल किया जायेगा।

Yoga Day : महिला सशक्तीकरण एवं शांति का सशक्त माध्यम है योग
पिछले दिनों कनाडा के ओंटेरियो यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन के अनुसार कुंठा और तनाव के लगभग 64 प्रतिशत मरीजों ने माना कि उन्हें इस बात का अंदाज नहीं था कि उनकी खास बीमारी की वजह अंदर दबा गुस्सा हो सकता है। गुस्से की वजह से कुछ मामलों में मरीजों ने अपने आपको नुकसान भी पहुंचाया। एबी कहते हैं, ‘आपको पता ही नहीं होता कि आपने अपने दिल में क्या-क्या भर रखा है। इसके लिए जरूरी है कि अपने आपको जानें। अगर कोई पुरानी बात आपको मथ रही है तो उसे जाने न दें। आप उस व्यक्ति को माफ कर दें और खुद को भी। इस तरह बिना बोझ के आप जिंदगी में आगे बढ़ पाएंगे।’ मन की गंदगी को धोने का माध्यम है योग। पवित्र अंतःकरण ही वह दर्पण है जिसमें आत्मा का दर्शन, प्रकृति का प्रदर्शन और ब्रह्म का संदर्शन होता है।

Yoga Day : महिला सशक्तीकरण एवं शांति का सशक्त माध्यम है योग

शुद्ध अंतःकरण मंे बुद्धि आकाशवत् निर्मल और स्वच्छ रहती है, मन गंगा जैसा पवित्र रहता है, चित्त ऐसा स्थिर रहता है जैसे बिना वायु के अविचल दीपक की ज्योति और सम्पूर्ण चेतना भगवान में मिलने के लिए ऐसी बहती है जैसे समुद्र में मिलने के लिए नदियां। जैसे शीशे में अपना चेहरा तभी दिखलायी पड़ता है जबकि शीशा साफ और स्थिर हो, इसी प्रकार शुद्ध अंतःकरण से ही परम ब्रह्म के दर्शन होते हैं।
अभी कुछ दिन पहले ही एक बात समाचारपत्रों में पढ़ी कि कैंसर क्यों होता है, इसके कई कारण हैं। एक कारण यह है कि जो लोग मस्तिष्क का सही उपयोग करना नहीं जानते उनके कंैसर हो सकता है। मस्तिष्क विज्ञानी तो यह भी कहते हैं कि मस्तिष्क की शक्तियों का केवल चार या पांच प्रतिशत उपयोग आदमी करता है, शेष शक्तियां सुप्त पड़ी रहती है। चाहे कर्म का क्षेत्र हो या धर्म का क्षेत्र हो, दोनों में हम पिछड़े हुए हैं। सबसे पहले हमारी जानकारी मस्तिष्क विद्या के बारे में होनी चाहिए। योग विद्या भारत की सबसे प्राचीन विद्या है। इसी भारतीय योग एवं ध्यान के माध्यम से भारत दुनिया में गुरु का दर्जा एवं एक अनूठी पहचान हासिल करने में सफल हो रहा है। इसीलिये समूची दुनिया के लिये अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस स्वीकार्य हुआ है।

Yoga Day : महिला सशक्तीकरण एवं शांति का सशक्त माध्यम है योग
हमारे मस्तिष्क में एक पर्त है एनीमल ब्रेन की। वह पर्त सक्रिय होती है तो आदमी का व्यवहार पशुवत हो जाता है। जितने भी हिंसक और नकारात्मक भाव हैं, वे इसी एनीमल ब्रेन की सक्रियता का परिणाम है। इसे संतुलित करने का माध्यम योग है। शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक शांति एवं स्वस्थ्यता के लिये योग की एकमात्र रास्ता है। लेकिन भोगवादी युग में योग का इतिहास समय की अनंत गहराइयों में छुप गया है। वैसे कुछ लोग यह भी मानते हैं कि योग विज्ञान वेदों से भी प्राचीन है। दुनिया में भारतीय योग को परचम फहराने वाले स्वामी विवेकानंद कहते हैं-‘‘निर्मल हृदय ही सत्य के प्रतिबिम्ब के लिए सर्वोत्तम दर्पण है। इसलिए सारी साधना हृदय को निर्मल करने के लिए ही है। जब वह निर्मल हो जाता है तो सारे सत्य उसी क्षण उसमें प्रतिबिम्बित हो जाते हैं। पावित्र्य के बिना आध्यात्मिक शक्ति नहीं आ सकती। अपवित्र कल्पना उतनी ही बुरी है, जितना अपवित्र कार्य। आज विश्व में जो आतंकवाद, हिंसा, युद्ध, साम्प्रदायिक विद्धेष की ज्वलंत समस्याएं खड़ी है, उसका कारण भी योग का अभाव ही है। हम अपनी समस्या को समझें और अपना समाधान खोजें। समस्याएं परेशान करती हैं। जरूरत खुद को काबू में रखने की होती है, हम दूसरों को काबू में करने में जुटे रहते हैं।

Yoga Day : महिला सशक्तीकरण एवं शांति का सशक्त माध्यम है योग
विज्ञान ने यह प्रमाणित कर दिया है- जो व्यक्ति स्वस्थ रहना चाहता है, उसे योग को अपनाना होगा। बार-बार क्रोध करना, चिड़चिड़ापन आना, मूड का बिगड़ते रहना- ये सारे भाव हमारी समस्याओं से लडने की शक्ति को प्रतिहत करते हैं। इनसे ग्रस्त व्यक्ति बहुत जल्दी बीमार पड़ जाता है। हमें अपनी योग्यताओं और क्षमताओं को किसी दायरे में बांधने से बचना होगा। ऐसा तब होगा, जब हम योग को अपनी जीवनशैली बनायेंगे। हम जितना ध्यान रोगों को ठीक करने में देते हैं, उतना उनसे बचने में नहीं देते। दवा पर जितना भरोसा रखते हैं, उतना भोजन पर नहीं रखते। यही कारण है रोग पीछा नहीं छोड़ते। हमें यह पता होता है कि कार के लिए कौन सा ईंधन सही है, पर हम ये नहीं जानते कि शरीर को ठीक रखने के लिए कौन से ईंधन की जरूरत है? हमें कैसा भोजन करना चाहिए? कैसी सोच चाहिए? कैसी जीवनशैली चाहिए?
योग एवं ध्यान एक ऐसी विधा है जो हमें भीड़ से हटाकर स्वयं की श्रेष्ठताओं से पहचान कराती है। हममें स्वयं पुरुषार्थ करने का जज्बा जगाती है। स्वयं की कमियों से रू-ब-रू होने को प्रेरित करती है। स्वयं से स्वयं का साक्षात्कार कराती है। ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान हमारे भीतर से न मिले। भगवान महावीर का यह संदेश जन-जन के लिये सीख बने- ‘पुरुष! तू स्वयं अपना भाग्यविधाता है।’ औरों के सहारे मुकाम तक पहुंच भी गए तो क्या? इस तरह की मंजिलें स्थायी नहीं होती और न इस तरह का समाधान कारगर होता है। हमारे भीतर ऐसी शक्तियां हैं, जो हमें बचा सकती हैं। योग, संकल्प एवं संयम की शक्ति बहुत बड़ी शक्ति है। अनावश्यक कल्पना मानसिक बल को नष्ट करती है। लोग अनावश्यक कल्पना बहुत करते हैं। यदि उस कल्पना को योग में बदल दिया जाए तो वह एक महान शक्ति बन सकती है।

 

– ललित गर्ग –

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