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Friday, November 22, 2024

दुनिया की सबसे लम्‍बी राजमार्ग अटल टनल राष्‍ट्र को समर्पित

-प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अटल टनल राष्‍ट्र को समर्पित किया
–टनल 9.02 किलोमीटर लंबी है, पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ेगी
–इस टनल से हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू-कश्‍मीर, लेह और लद्दाख सशक्‍त होंगे : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली / टीम डिजिटल : प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज मनाली में दक्षिण पोर्टल पर दुनिया की सबसे लम्‍बी राजमार्ग टनल– अटल टनल राष्‍ट्र को समर्पित की। यह टनल 9.02 किलोमीटर लंबी है, जो पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ती है। इससे पहले, यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलग-थलग रहती थी। यह टनल हिमालय की पीरपंजाल पर्वतमाला में औसत समुद्र तल (एमएसएल) से 3000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर अति-आधुनिक सुविधाओं के साथ बनाई गई है। यह टनल मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम करती है और दोनों स्‍थानों के बीच लगने वाले समय में भी लगभग 4 से 5 घंटे की बचत करती है। यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडीए नियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणालियों सहित अति-आधुनिक इलेक्‍ट्रो-मैकेनिकल प्रणालियों से युक्‍त है।  इस टनल में पर्याप्‍त सुरक्षा सुविधाएं भी उपलब्‍ध कराई गई हैं। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस टनल में दक्षिण पोर्टल से उत्‍तरी पोर्टल तक यात्रा की और मुख्‍य टनल में ही बनाई गई आपातकालीन टनल का भी निरीक्षण किया। उन्‍होंने इस अवसर पर ‘द मेकिंग ऑफ अटल टनल’ पर एक चित्रात्‍मक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में आज के दिन को ऐतिहासिक बताया, क्‍योंकि आज न केवल भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी का विजन पूरा हुआ है, बल्कि इस क्षेत्र के करोड़ों लोगों की दशकों पुरानी इच्‍छा और सपना भी पूरा हुआ है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल टनल हिमाचल प्रदेश के बड़े हिस्‍से के साथ-साथ नये केन्‍द्रशासित प्रदेश लेह-लद्दाख के लिए भी एक जीवन रेखा बनने जा रही है। इससे मनाली और केलांग के बीच की दूरी 3 से 4 घंटे कम हो जाएगी। उन्‍होंने कहा कि अब हिमाचल प्रदेश और लेह-लद्दाख के हिस्‍से देश के बाकी हिस्‍सों से सदैव जुड़े रहेंगे और इन क्षेत्रों का तेजी से आर्थिक विकास होगा। मोदी ने कहा कि अब यहां के किसान, बागवानी विशेषज्ञ और युवा राजधानी दिल्‍ली तथा देश के अन्‍य बाजारों तक आसानी से पहुंच सकेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह की सीमा संपर्क परियोजनाएं सुरक्षाबलों की भी मदद करेंगी, क्‍योंकि इससे सुरक्षाबलों के लिए नियमित आपूर्ति सुनिश्चित होगी और उन्‍हें गश्‍त करने में भी मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने इस सपने को साकार करने में अपने जीवन को जोखिम में डालने वाले इंजीनियरों, तकनीशियनों और श्रमिकों के साहस और प्रयासों की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि अटल टनल भारत के सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को नई मजबूती देने जा रही है। यह विश्‍वस्‍तरीय संपर्क का जीता-जागता सबूत होगी। उन्‍होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और समग्र विकास में सुधार करने की लम्‍बे समय से चली आ रही मांग के बावजूद कई योजनाएं दशकों तक केवल बिना किसी प्रगति के लटकाने के लिए ही बनाई गईं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अटल जी ने वर्ष 2002 में इस टनल की पहुंच सड़क की आधारशिला रखी थी। अटल जी सरकार के बाद इस काम की इतनी उपेक्षा की गई कि 2013-14 तक केवल 1300 मीटर यानी डेढ़ किलोमीटर से भी कम टनल का निर्माण हुआ अर्थात एक साल में केवल लगभग तीन सौ मीटर टनल का ही निर्माण हुआ। तब विशेषज्ञों ने कहा था कि अगर निर्माण इसी गति से जारी रहा, तो यह टनल 2040 तक ही पूरी हो सकेगी।

9.02 किलोमीटर लंबी है अटल टनल

अटल टनल 9.02 किलोमीटर लंबी है। यह टनल हिमालय की पीर पंजाल श्रृंखला में औसत समुद्र तल (एमएसएल) से 3000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर अति-आधुनिक विनिर्देशों के साथ बनाई गई है। अटल टनल को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है। यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडीएनियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणाली सहित अति-आधुनिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली से युक्त है।

46 किलोमीटर दूरी घटी, 4 घंटे का सफर डेढ घंटे में होगा

टनल की नींव पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में रखी थी। समुद्र तल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर बनी लगभग 9.02 किलोमीटर लंबी ‘अटल टनल दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है जो वर्ष भर देश को लाहौल स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी। पहले घाटी करीब छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण शेष हिस्से से कटी रहती थी। लगभग 3,300 करोड़ रुपए की कीमत से बनी अटल टनल देश की रक्षा के नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण है। इस टनल से मनाली से केलांग की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी और अब मात्र महज डेढ़ घंटे तय की जा सकेगी। इससे मनाली और लेह के बीच की दूरी भी अब 46 किलोमीटर कम हो गई है।

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