नयी दिल्ली /अदिति सिंह । सीआरपीएफ एवं बीएसएफ जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में महिलाओं की भागीदारी महज 3.68 प्रतिशत होने पर निराशा जताते हुए संसद की एक स्थायी समिति ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से कहा कि वह केंद्रीय पुलिस संगठनों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता में गृह मामलों की स्थायी समिति ने पाया कि 2016 में यह तय किया गया था कि प्रारंभ करने के लिहाज से सीआरपीएफ एवं सीआईएसएफ में कांस्टबेल स्तर पर 33 प्रतिशत और सीमा सुरक्षा बलों, बीएसएफ, एसएसबी एवं आईटीबीपी में कांस्टेबल स्तर पर 14-15 प्रतिशत पदों को केंद्र सरकार महिलाओं के लिए आरक्षित करेगी। संसद में सोमवार को पेश की गयी समिति की रिपोर्ट में कहा गया, समिति इस बात का संज्ञान लेते हुए निराश है कि महिलाओं की केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में कुल भागीदारी महज 3.68 प्रतिशत है।
—संसदीय समिति ने जताई निराशा, गृह मंत्रालय को निर्देश
—तत्काल महिलाओं की संख्या बढाने की सिफारिश
—महिलाओं को सुरक्षा बलों में शामिल करने के लिए करें प्रोत्साहित
—CRPF और CISF में चरणबद्ध तरीके से भर्ती अभियान चलाये जाने चाहिए
समिति सिफारिश करती है कि गृह मंत्रालय को इन बलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। समिति ने कहा कि महिलाओं के लिए तेज गति से चरणबद्ध तरीके से भर्ती अभियान चलाये जाने चाहिए विशेषकर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि सीमा चौकियों पर अलग से प्रबंध करके समुचित माहौल तैयार करना चाहिए ताकि महिलाएं सुरक्षा बलों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित हो सकें। समिति ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया है कि 2022-23 के केंद्रीय गृह मंत्रालय के बजट अनुमान में 1,85,776.55 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है जिसमें सभी 11 मांगों को पूरा कर दिया गया है। यह 2021-22 के 1,66,546.94 करोड़ रूपये के बजट अनुमान से 11.54 प्रतिशत अधिक है। इसने कहा कि बिना विधानमंडल वाले केंद्र शासित प्रदेशों में जनवरी 2020 तक 2020-20 के बजट अनुमान का करीब 66.93 प्रतिशत व्यय कर लिया था।
समिति ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख द्वारा निरंतर कोष के कम उपयोग पर चिंता जतायी है। रिपोर्ट में समिति ने सिफारिश की है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को आगामी वर्षों में लद्दाख में कोष के उपयोग पर करीब से नजर रखनी चाहिए और कोष के उपयोग को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। रिपोर्ट में जनगणना 2021 के अब टाल दिये गये कार्य का उल्लेख करते हुए कहा गया कि उसका मत है कि जनगणना दशक में होने वाली पूरे भारत की एक प्रक्रिया है इसलिए इसमें सांख्यिकी आंकड़ों के साथ साथ विभिन्न क्षेत्राों की संस्कृति, परंपरा और विविधता की झलक भी होनी चाहिए।