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Sunday, December 22, 2024

महिलाओं ने जीती जंग, थल सेना में महिला अधिकारियों को मिलेगा स्थायी कमीशन

—सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद तैयार हुआ भारतीय थल सेना
—कोर्ट ने सेना को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया
—थल सेना खुद के प्राधिकार में सर्वोच्च हो सकती है, लेकिन अदालत भी सर्वोच्च है

नयी दिल्ली /अदिति सिंह : उच्चतम न्यायालय के आदेशों का अनुपालन नहीं करने को लेकर भारतीय थल सेना और उसके प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की शीर्ष न्यायालय की चेतावनी के बाद रक्षा बल शुक्रवार को अपनी सभी योग्य महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने को राजी हो गया। न्यायालय ने कहा, हम सेना को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराते हैं। हम आप को आगाह करते हैं। चूंकि आपने हमारे आदेशों का अनुपालन नहीं किया, इसलिए आपको अंजाम का सामना करना पड़ेगा। थल सेना अपने खुद के प्राधिकार में सर्वोच्च हो सकती है लेकिन यह संविधान अदालत भी अपने अधिकार क्षेत्र में सर्वोच्च है।

महिलाओं ने जीती जंग, थल सेना में महिला अधिकारियों को मिलेगा स्थायी कमीशन

थल सेना ने शुरूआत में कहा था कि अवमानना याचिका दायर करने वाली बल में 36 महिला शार्ट र्सिवस कमीशन अधिकारियों में 22 को उसने स्थायी कमीशन प्रदान किया है, जबकि तीन को मेडिकल आधार पर सहित 14 को उपयुक्त (फिट) नहीं माना गया। शीर्ष न्यायालय की चेतावनी के बाद, सेना ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ को सूचित किया कि वह सभी योग्य महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करेगी।

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पीठ ने सेना की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल संजय जैन और वरिष्ठ अधिवक्ता आर बाल सुब्रहमण्यम से पूछा कि क्या 111 अधिकारियों को (मेडिकल आधार पर छोड़ी गई तीन के अलावा) जिन्हें छोड़ दिया गया था, ने 60 प्रतिशत अंक हासलि करने की अर्हता पूरी की थी और क्या उन्हें सतर्कता व अनुशासनिक मंजूरी मिली थी, या इस साल 25 मार्च को न्यायालय द्वारा निधाॢरत योग्यता पर खरा नहीं उतरी थी। जैन ने बताया कि सभी 11 अधिकारियों ने 60 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किये थे और उन्होंने सभी अनुशासनिक व सतर्कता मंजूरी प्राप्त की थी लेकिन उनके खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियां थी तथा उनकी सांविधिक एवं गैर सांविधिक शिकायतें लंबित हैं।

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पीठ ने कहा, यदि उन्होंने हमारे फैसले में जिक्र की गई सारी अर्हता पूरी की है तो आपने स्थायी कमीशन क्यों नहीं प्रदान किया? इसके बाद पीठ ने आदेश पढऩा शुरू किया, लेकिन जैन ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि उन्होंने अभी-अभी यह निर्देश पाया है कि सेना उन 11 अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने को इच्छुक है। हालांकि, स्थायी कमीशन से मना की गई महिला अधिकारियों के वकीलों बयान पर आपत्ति जताई और कहा कि यहां तक कि जिन अधिकारियों ने सेना और नरवणे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर नहीं की थी उनके नाम पर भी विचार किया जाना चाहिए। जैन ने पीठ से अनुरोध किया कि चूंकि उन्हें और बालासुब्रमण्यम को संबद्ध प्राधिकारों से निर्देश पाने की जरूरत है, एसे में न्यायालय दोपहर दो बजे तक कुछ समय दे सकता है और तब तक वह आदेश नहीं सुनाए। पीठ इस पर सहमत हो गई और दोनों को निर्देश प्राप्त करने की अनुमति दे दी।

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भोजनावकाश के बाद के सत्र में जैन ने कहा कि उन्हें यह निर्देश प्राप्त हुए हैं कि सेना सभी महिला शार्ट र्सिवस कमीशन अधिकारियों को स्थायीय कमीशन देने को इच्छुक है, चाहे उन्होंने याचिका दायर की हो या नहीं लेकिन 25 मार्च के न्यायालय के आदेश में निर्धारित अर्हता पूरी करती हों। इस पर पीठ ने सेना को न्यायालय का रुख करने वाली 11 अधिकारियों को 10 दिनों के अंदर और न्यायालय का रुख नहीं करने वाली महिला अधिकारियों को तीन हफ्तों के अंदर स्थायी कमीशन प्रदान करने का आदेश दिया । न्यायालय ने कहा कि व्यक्तिगत मामलों से कानून के अनुरूप निपटा जाएगा और भारतीय थल सेना तथा उसके प्रमुख के खिलाफ अवमानना कार्रवाई नहीं शुरू की जाएगी। शीर्ष न्यायालय के इस निर्देश के साथ कुल 71 महिला अधिकारियों, जिन्हें शुरूआत में स्थायी कमीशन देने से इनकार कर दिया गया था, में 68 को स्थायी कमीशन प्रदान किया जाएगा। पिछले साल 17 फरवरी के अपने ऐतिहासिक फैसले में न्यायालय ने निर्देश दिया था कि सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान किया जाए।

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