— कंजरभट समुदाय के लड़कियों की वर्जिनिटी टेस्ट कराने की परंपरा
— NHRC ने जारी किया नोटिस, महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश
मुंबई /टीम डिजिटल : आजादी के 7 दशक बाद भी देश में एक शहर ऐसा भी है जहां लड़कियों की शादी से पहले होती है वर्जिनिटी टेस्ट किया जाता है। इसमें वर्जिनिटी टेस्ट के बहाने लड़कियों के साथ ज्यादती भी की जाती है। महाराष्ट्र में कंजरभट समुदाय के लड़कियों की वर्जिनिटी टेस्ट कराने की परंपरा है। इस वर्जिनिटी टेस्ट के तहत शादी के बाद पहली रात नई बहू की वर्जिनिटी जांची जाती है। इसके लिए सुहागरात को सफेद चादर बिछाई जाती है और सुबह उसकी जांच होती है। अगर उस पर खून के दाग पाए जाते हैं तो बहू को वर्जिन माना जाता है और शादी मान्य होती है अन्यथा बहू के परिवार को शादी मान्य करवाने के लिए जुर्माना भरना पड़ता है। यह किसी गुजरे जमाने की नहीं बल्कि इसी 21वीं शताब्दी के भारत की तस्वीर है। महाराष्ट्र के कंजरभात समुदाय के लोग सदियों पुरानी इस वर्जिनिटी टेस्ट की परंपरा को आज भी फॉलो करते हैं। इसमें ‘फेल’ होने पर कपड़े उतारना, शरीर के अंगों को दागना, खौलते तेल में से सिक्का निकालना जैसे दंड दिए जाते हैं।
इसको लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने शनिवार को महाराष्ट्र के मुख्य सचिव अजोय मेहता को जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। एनएचआरसी ने इस तरह के रिवाज का पालन करने से रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में एक रिपोर्ट भी पेश करने के लिए कहा है। एनएचआरसी ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के वकील राधाकांत त्रिपाठी की एक शिकायत पर दिया है। वकील ने तर्क दिया कि राज्य में कंजरभट समुदाय में लड़कियों को शादी से पहले वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरना पड़ता है। त्रिपाठी का कहना है, अगर लड़की शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाई रहती है तो उसे बेरहमी से पीटा जाता है। इसे रोकने के लिए एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया गया है। हालांकि ग्रुप के एक सदस्य ने एक घटना जिक्र करते हुए कहा था कि पंचायत के सदस्यों ने वर्जिनिटी टेस्ट में पास करने के लिए एक जोड़े से रिश्वत ली। उन्होंने आरोप लगाया कि अधाकारियों ने इसकी जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों को उक्त अभ्यास के बारे में पता होने के बावजूद, वे इसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने में विफल रहे हैं।
जागी सरकार, एनएचआरसी ने जारी किया नोटिस, मांगा जवाब
एनएचआरसी के नोटिस के अनुसार, राज्य अधिकारियों ने कहा है कि वर्जिनिटी टेस्ट की सूचना मिलने के बाद प्रशासन ने स्वयंसेवकों और गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) समूह के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की। हालांकि, राज्य द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में वर्जिनिटी टेस्ट को रोकने और समुदाय के लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख नहीं है। रिपोर्ट में उन मीटिंग का भी उल्लेख नहीं किया गया है जो इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे लोगों के साथ की गई हो। एनएचआरसी ने मुख्य सचिव और पुणे के पुलिस उपायुक्त से कहा है कि बैठक के चार सप्ताह के भीतर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक और राज्य सरकार द्वारा इस अभ्यास पर अंकुश लगाने के लिए किए गए प्रयासों से अवगत कराया जाए।
यह है वर्जिनिटी टेस्ट
इस वर्जिनिटी टेस्ट के तहत शादी के बाद पहली रात नई बहू की वर्जिनिटी जांची जाती है। इसके लिए सुहागरात को सफेद चादर बिछाई जाती है और सुबह उसकी जांच होती है। अगर उस पर खून के दाग पाए जाते हैं तो बहू को वर्जिन माना जाता है और शादी मान्य होती है अन्यथा बहू के परिवार को शादी मान्य करवाने के लिए जुर्माना भरना पड़ता है।
वर्जिनिटी टेस्ट में फेल हुई तो मिलती है सजा
यह किसी गुजरे जमाने की नहीं बल्कि इसी 21वीं शताब्दी के भारत की तस्वीर है। महाराष्ट्र के कंजरभात समुदाय के लोग सदियों पुरानी इस वर्जिनिटी टेस्ट की परंपरा को आज भी फॉलो करते हैं। इसमें ‘फेल’ होने पर कपड़े उतारना, शरीर के अंगों को दागना, खौलते तेल में से सिक्का निकालना जैसे दंड दिए जाते हैं।