–सभी राज मार्गों के किनारे वृक्षारोपण अनिवार्य किया जाएगा
–सड़क निर्माण की लागत 25 फीसदी कम करना होगा : गडकरी
नई दिल्ली / टीम डिजिटल : केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पूरे देश में सड़क निर्माण में आधुनिक और हरित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने पर जोर दिया। नई हरित राजमार्ग नीति (वृक्षारोपण) की समीक्षा करने और सड़क निर्माण में नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग के बारे में आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण की लागत 25 प्रतिशत तक कम करना हमारा मिशन होना चाहिए। इसके लिए हमें नई प्रौद्योगिकियों की जरूरत है। गडकरी ने भू-टैगिंग और वेब आधारित जीआईएस सक्षम निगरानी उपकरणों के माध्यम से वृक्षारोपण की निगरानी करने के लिए एक मोबाइल ऐप ‘हरित पथÓ लॉन्च किया। यह ऐप सभी वृक्षारोपण परियोजनाओं के तहत प्रत्येक वृक्ष के लिए सभी क्षेत्रीय इकाइयों में से प्रत्येक के स्थान, विकास, प्रजातियों के विवरण, रखरखाव गतिविधियों, लक्ष्यों और उपलब्धियों की निगरानी करने के लिए एनएचएआई द्वारा विकसित किया गया है।
गडकरी ने राज मार्गों के किनारे वृक्षारोपण के लिए विशेष व्यक्तियों एवं एजेंसियों को हायर करने का सुझाव दिया। साथ ही इस कार्य में गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और बागवानी तथा वन विभाग को शामिल करने का सुझाव दिया। इस मौके पर अधिकारियों ने उन्हें आश्वस्त किया कि वे मार्च 2022 तक राजमार्गों पर शत प्रतिशत वृक्षारोपण के लक्ष्य को अर्जित करने में समर्थ होंगे।
गडकरी ने कहा कि सभी पेड़ों को कटने से बचाना ही हमारा मिशन होना चाहिए और इस उद्देश्य के लिए नई प्रौद्योगिकियों से युक्त विशिष्ट एजेंसियों को इस काम पर रखा जाना चाहिए। उन्होंने इन उद्देश्यों की मजबूती के लिए स्थानीय स्वदेशी सामग्रियों जैसे जूट, कॉयर के इस्तेमाल पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल ही वृक्षों की प्रजातियों का सही चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सड़क निर्माण की लागत 25 प्रतिशत कम करना हमारा मिशन होना चाहिए और इसके लिए हमें नई प्रौद्योगिकियों की जरूरत है। पहाड़ी क्षेत्रों, सीमावर्ती क्षेत्रों और तटीय क्षेत्रों जैसे विशिष्ट क्षेत्रों के लिए अलग दृष्टिकोण और प्रौद्योगिकियों की जरूरत है। उन्होंने अंडमान निकोबार में सड़क निर्माण में ऐसी प्रौद्योगिकी के उपयोग की प्रशंसा की और बाकी परियोजनाओं में इस उदाहरण को अपनाने के लिए एनएचआईडीसीएल को प्रेरित किया।