–सिखों ने पाकिस्तान और आईएसआई के खिलाफ किया प्रदर्शन
–सिख फॉर जस्टिस ने दिल्ली के गुरुद्वारों में मुहिम चलाने को कहा
–रेफरेंडम 2020 की मुहिम चलाने के ऐलान का विरोध
नई दिल्ली /टीम डिजिटल : भारत सरकार द्वारा घोषित आतंकवादी सिख फार जस्टिस के प्रमुख गुर पतवंत सिंह के द्वारा दिल्ली को खालिस्तान बनाने की धमकी से दिल्ली के सिखों का गुस्सा फूट पड़ा है। सिखों ने इसके लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को जिम्मेदार बताते हुए उसका पुतला फूंका है। साथ ही दिल्ली में स्थित पाकिस्तानी दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया है। इसकी अगुवाई दिल्ली में सिखों का प्रतिनिधित्व करने वाली जागो पार्टी तथा अन्य सिख संगठनों ने मिलकर किया। प्रदर्शनकारी थाना चाणक्यपुरी के बाहर ही सड़क पर बैठ गए और सिख फार जस्टिस, पाकिस्तानी एजेंसी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सिखों ने पाकिस्तान दूतावास की ओर तीन मूर्ति चौक से कूच करना आरंभ किया।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष तथा जागो पार्टी के प्रमुख मनजीत सिंह जीके के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन में सिखों ने चंद डालरों के लिए देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहें लोगों को खालिस्तान की आड़ ना लेने की नसीहत दी। जीके ने कहा कि पाकिस्तान की शह पर अमेरिका से संचालित सिख फॉर जस्टिस देश को तोडऩे की कोशिश कर रही है।
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साथ ही चीन से भी इन्होंने अपनी मुहिम के लिए सहयोग माँग कर यह साबित कर दिया हैं कि पाकिस्तान व चीन प्रायोजित इनकी मुहिम से देश के सिखों का भला नहीं होने वाला। संस्था के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने 19 जुलाई को दिल्ली के गुरुद्वारों बंगला साहिब तथा शीशगंज साहिब में अरदास करने के बाद रेफरेंडम 2020 के लिए दिल्ली में समर्थन जुटाने के लिए मुहिम चलाने का ऐलान किया हैं। खुद अमेरिका में बैठकर देश के नौजवानों को भड़काने वाले पन्नू को दिल्ली के सिख कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। जीके ने पन्नू के स्वरूप पर उंगली उठाते हुए तंज कसा। जीके ने कहा की दाढ़ी और सिर के बालों पर उस्तरा फेरने वाला सिख राज की बात करता हैं, इससे ज्यादा सिखों की बदकिस्मती क्या होगी ?
खालिस्तान बनाना है तो भारतीय संविधान के तहत संघर्ष करें पन्नू
जागो के अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने साफ कहा कि अगर पन्नू को खालिस्तान बनाना हैं तो उसे भारत के संविधान के अंतर्गत भारत में रहकर संघर्ष करना चाहिए। जिस प्रकार शिरोमणी अकाली दल अमृतसर तथा दल खालसा कई सालों से संघर्ष कर रहें हैं। इस पर किसी को कोई ऐतराज नहीं हैं। दिल्ली के सिख भी अपने साथ हुए हर अन्याय के खिलाफ डटकर अपनी बात कानून के दायरे में रहकर करते हैं। हम भी तो 1984 सिख कत्लेआम के कातिलों के खिलाफ 36 साल से इंसाफ की लड़ाई लड़ रहें हैं। पन्नू का काम सिखों का भला करना नहीं बल्कि सिख भावनाओं को डालर एकत्रित करने के लिए इस्तेमाल करने का है। पन्नू बताए कि 1984 के कितने पीडि़तों की उसने मदद की ? जेलों में बंद कितने सिखों की उसने लड़ाई लड़ी हैं ? हमने उस दिल्ली में छाती ठोककर सिख हितों की लड़ाई लड़ी हैं, जिस दिल्ली ने 1984 में हमारे गले में टायर डालकर जलाया था। वहां रहकर सज्जन कुमार को जेल हमने भिजवाया, कातिलों को उम्रकैद और फांसी की सजा करवाई। जेलों में बंद सिख संघर्ष के सभी सूरमों की लड़ाई लड़ी।
सिख भावनाओं को भड़का करके पाकिस्तान व चीन से पैसा इकटठा करना मुख्य मकसद
मंजीत सिंह जीके ने पन्नू के द्वारा अपने संगठन को सिख अधिकारवादी समूह बताने के किए जाते दावों पर भी सवाल उठाए। साथ ही कहा कि पन्नू का एकमात्र एजेंडा सिख भावनाओं को भड़का करके पाकिस्तान और चीन से पैसा एकत्र करने का हैं। उन्होंने कहा कि जब मेरे पर अमेरिका में इनके लोगों ने हमला किया था, मेरी पगड़ी उतारी थी, तब सिक्खी के प्रति इनका प्यार और मेरे मानवाधिकार कहा थे ? पन्नू के द्वारा चीन के राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र में लद्दाख को चीन का हिस्सा बताने पर भी जीके ने ऐतराज जताया। जीके ने कहा की महाराजा रणजीत सिंह की फौज ने लद्दाख,गिलगित,कारगिल सहित चीन सीमा के साथ लगता बहुत सारा हिस्सा जीता था, जो कि सिख राज का हिस्सा था। पर सिख राज की बात करने वाले पन्नू ने सिख राज के हिस्से को चीन का हिस्सा बताकर अपनी सिख इतिहास की जानकारी की पोल खोल दी हैं।