— 13 मई को ‘समर्पण दिवस पर विशेषः-
मानवता के मसीहा, शान्ति और सद्भाव को विश्व भर में प्रसारित करके ‘शांतिपूर्ण विश्व की परिकल्पना को साकार करने वाले निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने मानव -मात्र को जीवन भर प्रेम और शान्ति का पाठ पढ़ाया और धरती पर निवास करने वाले हर एक मानव को जागरूकता प्रदान करते हुए कहा कि निरंकार प्रभु प्रमात्मा की जानकारी प्राप्त करके ही विश्व में आदर्श समाज की स्थापना की जा सकती है। जीवन के आखिरी साँसों तक बाबा जी इसी पवित्र मंतव्य की पूर्ति के लिए यत्नशील रहे। ‘खून नालियों में नहीं नाड़ियों में बहना चाहिए, ‘धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं, ‘नफरत वैर की गिरा कर दीवारें , पुल बनाऐं प्यार के, ‘एक को जानो, एक को मानो, एक हो जाओ, ‘कुछ भी बनो मुबारक है, पर पहले इंसान बने , प्यार, प्रीत, नम्रता, शहनशीलता, ब्रह्म ज्ञान आदि का सन्देश देने वाले सत्गुरू बाबा हरदेव सिंह जी निरंकारी मिशन के चौथे सतगुरू थे। इनका जन्म 23 फरवरी 1954 को दिल्ली में पिता बाबा गुरबचन सिंह जी और माता राजमाता कुलवंत कौर जी की कौख से हुआ। बाबाजी चार बहनों के अकेले भाई थे। शादी नवंबर 1975 में माता सविन्दर कौर जी के साथ हुई। आप के तीन सपुत्तरियां समता, रेणुका और सुदीक्षा जी (निरंकारी मिशन के मौजूदा सतगुरू) ने जन्म लिया। आप ने अपनी प्राथमिक शिक्षा राजौरी पब्लिक स्कूल दिल्ली और सेकेंडरी शिक्षा के लिए आप को 1963 में यादविन्दरा पब्लिक स्कूल पटियाला (पंजाब) में दाखिल करवाया गया, जहाँ से 1969 में मैट्रिक पास की। उच्च शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी से प्राप्त की। बचपन से ही आप जी ने पिता बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज और राजमाता माता कुलवंत कौर जी के साथ देश विदेशों में आध्यात्मिक यात्रायें करनीं शुरू कर दी थी । 1971 में आप संत निरंकारी सेवादल में भर्ती हो गए और खाकी वर्दी पहन कर सेवा में रुचि लेने लगे।
नौजवानों को अच्छे कर्मों प्रति प्रेरित करने के लिए आप जी ने खुद रक्तदान कर 24 अप्रैल 1986 को रक्तदान कैम्पों की शुरुआत की और मानव को मानव के नजदीक लाने के लिए एक नारा दिया ‘खून नालियों में नहीं नाड़ियों में बहना चाहिए। निरंकारी मिशन की तरफ से रक्त दान करने का वल्र्ड रिकार्ड इतिहास में दर्ज है। आप जी ने 36 साल निरंकारी मिशन की रहनुमाई की।
आप जी ने जो मानवता के लिए, मानव को मानव के नजदीक लाने के लिए, संसार बीच में से नफरत, वैर, विरोध के खात्मे के लिए जो कार्य किये वह भुलाए नहीं जा सकते। ‘ग्लोबल वॉर्मिंग (धरती का बढ़ता तापमान) का खतरा जो पूरे देश में मंडरा रहा है, उसको दूर करने के लिए पूरे हिंदुस्तान में और विश्व में अपने पैरोकारों को वृक्ष लगाने का आदेश दिया और प्रधान मंत्री की स्वच्छ भारत मुहिम में भी भरपूर योगदान पाया। किसी प्रकार की कुदरती आपदा, भूचाल, सुनामी, बाढ़ आदि आए तो वहां भी आप जी के पैरोकारों ने मानवता की भलाई के लिए दिन रात एक कर दिया। बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने जाति -पाति को खत्म करने, नशों से दूर रहने की प्रेरणा, दाज -दहेज और समाज के जितने भी कोढ़ थे उन को अपने उपदेशों दुआरा मानव जीवन में से निकालने का प्रयास किया।
आप जी को 27 यूरोपियन देशों में पार्लियामेंट ने विशेष के तौर पर इंग्लैंड में सम्मानित किया और आप जी को विषेश तौर पर संयुक्त राष्ट्र का मुख्य सलाहकार भी बनाया गया। निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज को कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध सन्मान चिन्हों के साथ सम्मानित किया जा चुका है।
आप जी का पूरा जीवन मानवता की भलाई के लिए काम करते हुए पूरी दुनिया में अमन, चैन, शांति और भाईचारे की स्थापना करने में त्याग दिया। उनके मन के अंदर एक भाव और लक्ष्य था कि पूरा संसार एक ग्लोबल विलेज बन जाऐ और किसी के साथ जात – पात, नसल, भाषा, रंग, धर्म, संसक्रितियों पर अमीरी – गरीबी के आधार पर कोई भेदभाव न हो। इस संकल्प को पूरा करने के लिए आप जी ने अपनी जिंदगी का एक -एक पल मानवता को समर्पित कर दिया। आप जी का नारा था ‘दीवार रहित संसार‘। बाबा जी द्वारा दी गई सिखलाईयों कारण वह हमेशा हमारे दिलों में जीते रहेंगे। आओ हम उन का फरमान ‘कुछ भी बनो मुबारक है, पर पहले इंसान बनो ‘ को सचमुच अपने जीवन में मान सकें। 13 मई 2016 को बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के ब्रह्मलीन होने उपरांत सत्गुरू माता सविन्दर हरदेव जी महाराज निरंकारी मिशन के पाँचवे सत्गुरू बने और अब सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज निरंकारी मिशन के छठे सत्गुरू के रूप में सेवाएं निभा रहे हैं ।
कोरोना महामारी : निरंकारी मिशन की तरफ से भरपूर योगदान
विश्व व्यापक कोविड – 19 के दौरान संत निरंकारी मिशन द्वारा सरकार के दिए गए दिशा निर्देशों अनुसार सोशल डिस्टैंसिंग ( दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी) को निभाते हुए जन कल्याण की भलाई के लिए अनेकों कार्य किये गए। जिस में रक्तदान कैंप, राशन बांटने की सेवा, लंगर सेवा, निरंकारी सत्संग भवनों को कवारनटाईन सैंटर के रूप में प्रदान किया गया। प्रवासी शरणार्थियों के लिए शेल्टर होमज में रहने की और उन के खाने आदि की भी उचित व्यवस्था की गई। इसके इलावा हजारों की संख्या में पी.पी.ई किट्स, मास्क और सेनेटायजर आदि बाँटे गए। निरंकारी मिशन की तरफ से कोविड -19 प्रधानमंत्री राहत फंड में भारत सरकार को और भारत के कई राज्यों के मुख्यमंत्री के कोविड -19 राहत फंड में भी पैसो के रूप में सेवा की गई। यह सेवाएं लगातार जारी हैं।
1000 हजार से अधिक बैड का ‘करोना केयर सैंटर बनाया
पिछले दिनों सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज की और से लोगों को करोना महामारी से बचाने के लिए भारत के समूह संत निरंकारी सत्संग भवनों को करोना टीकाकरन सैंटर बनाने की सरकार को पेशकश की गई और सैंक्ड़ो भवनों में वैकसीनेशन सैंटर बनाऐ गए । कुछ दिन पहले दिल्ली में बुराड़ी रोड, निरंकारी समागम ग्राउंड नंबर 8 के सत्संग स्थान में लोगों को करोना से बचाने के लिए 1000 हजार से अधिक बैड का ‘करोना केयर सैंटर बना कर दिल्ली सरकार को सौंपा गया। इसी तरह 50 बैड का करोना ट्रीटमेंट सैंटर संत निरंकारी सत्संग भवन सैक्टर 9 , पंचकुला और करनाल में बना कर सरकार को दिया गया और भारत के बाकी भवनों को भी जरूरत अनुसार इन सेवाओं के लिए सरकार को पेशकश की गई। दिल्ली, हरियाणा आदि भारत के अलग अलग राज्यों और विदेशों में निरंकारी मिशन की तरफ से लाक डाउन लगने कारण जरूरतमंद लोगों के लिए लंगर तैयार कर पैक करके बाँटने की सेवा शुरू की गई। भारत के कई सत्संग भवनों को एकांतवास सैंटर बनाया गया है। जरूरतमंदों के लिए रक्तदान और प्लाज्मा दान करने की सेवायें जारी हैं।
निरंकारी मिशन के श्रद्धालु हर साल मनाते हैं समर्पण दिवस
आज के दौर में जब चारों तरफ नफरत, वैर, विरोध, अलगाववाद, अतिवाद, आपसी मिलर्वतन का खात्मा और बरसाती जंग के बादल स्पष्ट रूप में दिखाई देते हैं तो गुरुदेव हरदेव जी के प्यार, प्रेम, शहनशीलता, विश्व शांति और अंतरराष्ट्रीय भाईचारे के संदेश बहुत ही सार्थक और कल्याणकारी होते हैं। आज सब तरह की दीवारों को तोड़ कर ऐसे पुलों का निर्माण करने की जरूरत है, जो मानवता के लिए बहुमूल्य साबित हो सकते हैं। आज 13 मई 2021 को ‘‘समर्पण दिवस अवसर पर निरंकारी मिशन के श्रद्धालुओं की और से हर साल की तरह संसार भर में बाबा हरदेव सिंह जी महाराज की शिक्षाएं से प्रेरणा लेने और सारी मानवता के भले के लिए डाले विशेष योगदान को याद करते हुए इन सेवाओं को आगे जारी रखने के लिए यत्न किये जा रहे हैं।
प्रमोद धीर , (जैतो, जिला फरीदकोट,पंजाब)