—स्वच्छता से स्वावलम्बन की ओर बढ़ेगा देश : गजेंद्र शेखावत
—गांवों में खुले में शौच मुक्ति की स्थिति को बनाए रखना है
—गांवों में ठोस तथा तरल अपशिष्ट यानि कचरे के उचित निस्तारण का प्रभावी प्रबंधन करना
नई दिल्ली / अदिति सिंह : केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि हमें ‘स्वच्छता से स्वावलम्बन’ की ओर बढ़ना है। हम न केवल अपने गांव, अपना घर, अपना शहर, हमारी गंगा-यमुना जैसी नदियों, तालाबों को साफ करेंगे, बल्कि इसके माध्यम से रोजगार के अवसरों का सृजन कर देश को आत्मनिर्भर भी बनाएंगे।
बुधवार को अपने वीडियो संदेश में शेखावत ने कहा, जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों की ओर से खुले में शौच मुक्त भारत के अभियान को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम समर्पित किया, उसी दिन उनके प्रेरणादायक नेतृत्व में हमने संपूर्ण स्वच्छता का दृढ़संकल्प लिया। मिशन के दूसरे चरण के 2 मुख्य लक्ष्य हैं। पहला, गांवों में खुले में शौच मुक्ति की स्थिति को बनाए रखना और दूसरा, गांवों में ठोस तथा तरल अपशिष्ट यानि कचरे के उचित निस्तारण का प्रभावी प्रबंधन करना।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, दूसरे चरण में हमें अधिक तकनीकी विषयों और जटिल समस्याओं जैसे सॉलिड व लिक्विड वेस्ट, प्लास्टिक वेस्ट के विरुद्ध हमें सफलता पानी है। सबको मिलकर व्यापक जन आन्दोलन फिर से चलाना होगा, ताकि हमारी गली, हमारा मोहल्ला, हमारा गांव संपूर्ण स्वच्छता प्राप्त कर सकें।
संपूर्ण स्वच्छता बनेगी आदर्श ग्राम की आधारशिला
शेखावत ने कहा, संपूर्ण स्वच्छता का यह आंदोलन गांवों को ‘आदर्श ग्राम’ बनाने की आधारशिला बनेगा। हर गांव में यह आवश्यक है कि हर घर में पूरे परिवार के उपयोग के लिए एक उपयुक्त शौचालय हो। 100 से ज्यादा घरों वाले गांवों में सामुदायिक स्वच्छता परिसर हों। विद्यालयों, आंगनवाड़ी केंद्र, पंचायत घर में महिला और पुरुष के लिए अलग अलग शौचालय हों। गांवों के सार्वजनिक स्थल- कचरा, प्लास्टिक और अपशिष्ट जल जमाव से मुक्त हों। 80 फीसदी घरों, स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों, पंचायत भवनों में बायोडिग्रेडेबल और तरल कचरा प्रबंधन की व्यवस्था हो। प्लास्टिक कचरा एक जगह इकट्ठा कर उसे अलग-अलग करने की व्यवस्था हो। गांव की दीवारों पर वॉल पेंटिंग के माध्यम से स्वच्छता का संदेश लिखे और बनाएं जाएं।
हमने बढ़ा दिया है पहला कदम
केंद्रीय मंत्री ने कहा, हमने इस दिशा में अपना पहला कदम बढ़ा दिया है। इस वर्ष आत्मनिर्भर भारत तथा गरीब कल्याण रोजगार योजना के तहत देश में 50 हजार से अधिक सामुदायिक शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य रखा है। 1.30 लाख गांवों में ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य किया जाएगा। 2312 प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट का निर्माण भी किया जाएगा।
गांवों में कचरा नहीं, कंचन है
शेखावत ने कहा, गांधीजी ने कहा था भारत की आत्मा गांवों में बसती है और ग्रामीण संस्कृति का आधार अन्नदाता कृषक है, कृषक और गौपालकों के लिए पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा गोवर्धन योजना शुरू की गई है। गांवों में बहने वाले व्यर्थ के पानी के समाधान के लिए भी हमें कार्य करने होंगे। ठोस कचरे के निष्पादन में भी हमें ध्यान देना है। गलने वाले और न गलने वाले कचरे का निष्पादन और उपयोग अलग-अलग विधियों से करना है। गांवों में गलने वाला कचरा मुख्य होता, ये कचरा नहीं, कंचन है। इस कचरे को गला कर, कम्पोस्ट कर बढ़िया खाद या CBG Compressed Biogas बनाया जा सकता है।
6 लाख से ज्यादा गांवों में होंगे काम
हमें 6 लाख से अधिक गांवों में कार्य करना है और कार्यों के स्थायित्व और उनके रख-रखाव के लिए हम ग्रामीण जनों पर ही निर्भर है, इसलिए हमें इन कार्यों के लिए कम लागत वाली उन तकनीकों को अपनाना है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में, वहां के लोगों द्वारा संचालित की जा सकें, ग्रामीणजन इन तकनीकों को अपना सकें और भविष्य में स्वयं बगैर बाहरी मदद के वे उसे निर्बाध रूप से संचालित कर सकें।