नई दिल्ली/खुशबू पाण्डेय : भारतीय रेलवे ने रेल हादसे रोकने के लिए टक्कर रोधी उपकरण कवच 4.0 स्थापित करने के लिए द्रुत गति से काम शुरू कर दिया है। इसके तहत दो साल के भीतर 20 हजार से अधिक लोकोमोटिव (इंजनों) में कवच उपकरण और 9000 किलोमीटर के मार्ग को कवच युक्त कर दिया जाएगा। कवच के नये 4.0 संस्करण का एसआईएल-4 प्रमाणन होने के बाद उसके औद्योगिक उत्पादन की स्थिति आ चुकी है और तीन विनिर्माता को इसके लिए ऑडर्र जारी किये गये हैं। दो अन्य विनिर्माताओं को मंजूरी दिये जाने की प्रक्रिया पूरी होने वाली है। इस प्रकार से पांच विनिर्माताओं की कुल उत्पादन क्षमता इतनी हो जाएगी जिससे एक निश्चित समय में रेलवे के समूचे नेटवर्क को कवच युक्त किया जा सकेगा।
—रेल मंत्रालय ने दी टक्कर रोधी उपकरण कवच 4.0 को स्थापित करने को हरी झंडी
—पहले चरण में 10 हजार इंजनों में लगाया जाएगा कवच
—करीब 8000 स्टेशनों पर कवच उपकरण लगाने का काम जल्द शुरू होगा
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) के मुताबिक इस समय देश में करीब 20 हजार ट्रेनें चल रहीं हैं। पहले चरण में एक साल में 10 हजार और दूसरे साल में 10 हजार इंजनों में कवच फिट कर दिया जाएगा। इसी समय देश के सभी 70 हजार किलोमीटर ट्रैक में प्रत्येक किलोमीटर पर कवच का रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान चिह्न (आरएफआईडी) लगा दिया जाएगा। इसके समानान्तर करीब 8000 स्टेशनों पर कवच उपकरण लगाने का काम शुरू हो जाएगा। दिल्ली मुंबई और दिल्ली हावड़ा मार्ग पर सबसे पहले कवच लगेगा और उसके बाद मुंबई चेन्नई और चेन्नई हावड़ा मार्ग को कवच युक्त किया जाएगा। तत्पश्चात दिल्ली चेन्नई और हावड़ा मुंबई मार्ग पर कवच लगेगा। दो साल में नौ हजार किलोमीटर कवच युक्त हो जाएगा।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि स्टेशनों पर कवच लगाने का काम कठिन होता है क्योंकि एक यूनिट में 80-80 कंट्रोल टेबल डिज़ायन होती है। उन्होंने यह भी कहा कि 1465 किलोमीटर ट्रैक पर लगाये जा चुके कवच के पुराने संस्करण का भी 4.0 संस्करण के स्तर पर उन्नयन किया जाएगा। इसके लिए सॉफ्टवेयर अपडेट करने के साथ एंटीना में मामूली सुधार करना होगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश में व्यस्त मार्गों पर स्वचालित सिगनल प्रणाली लगायी जा रही है। अब तय हुआ है कि स्वचालित सिगनल प्रणाली कवच 4.0 के साथ ही लगायी जाएगी। वैष्णव के मुताबिक कवच 4.0 की रचना उन्नयन के लिए उपयुक्त है। इसके उन्नयन में केवल संचार प्रणाली के उन्नयन की जरूरत होगी। संचार प्रणाली यूएचएफ सिगनल की बजाय 4जी या 5जी पर लायी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि कवच 6.0 के विकास की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जो डायनेमिक ब्लॉक सिस्टम पर आधारित होगा। इसमें रेलवे ट्रैक एवं स्टेशनों पर सिगनल के खंभे लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। और यह विश्व के सबसे सुरक्षित संरक्षा प्रणाली ईटीएस-3 के समकक्ष है। उन्होंने कहा कि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अनेक तकनीकी कदम उठाये जा रहे हैं जिनमें पटरियों के स्विचों की डिजायन बदलना और रेल फ्रैक्चर का पता लगाने के लिए अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन मशीन की जगह उन्नत मल्टीबीम अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन मशीन के उपयोग का फैसला लिया गया है।
महिला ड्राइवरों के लिए 800 इंजनों में बनाए शौचालय
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) के मुताबिक लोको पायलटों को मूल भूत सुविधाओं पर फोकस किया जा रहा है। सुविधाओं के बारे में लोकोमोटिव में ड्राइवर कैब को वातानुकूलित बनाने, रनिंग रूम को वातानुकूलित बनाने का काम हो गया है। देशभर के 558 रनिंग रूम एयरकंडीशन हो चुके हैं। बाकी क्रमवार किए जा रहे हैं। इसके अलावा 7000 इंजनों की कैब को वातानुकूलित कर दिया गया है। लिहाजा, अब ड्राइवरों को गर्मी में पसीना नहीं बहाना पडेगा। ड्राइवरों की सुविधा और वर्षों से चल रही मांग को पूरा करते हुए इंजनों में शौचालय बनाने का भी तेजी से चल रहा है। 800 पुराने इंजनों में शौचालय बनाये जा चुके हैं और सभी नये इंजन शौचालय युक्त बनाये जा रहे हैं। पिछले दिनों महिला ड्राइवरों ने बाथरूम को लेकर मुददा उठाया था। महिला ड्राइवरों के लिए यह बडी समस्या थी।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव जी का सराहनीय प्रयास रेलवे को बहुत आगे ले जाएगा