लखनऊ /अदिति सिंह : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि व्यक्ति के विवेक, साहस, सोच और बुद्धिमत्ता से उसकी पहचान बनती है। व्यक्ति का मूल्यांकन उसकी शारीरिक बनावट से नहीं होता। भारत ने इस बात के अनेक उदाहरण दिये हैं जब शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों ने अपनी बुद्धिमत्ता, विवेक व साहस से दुनिया के समक्ष आदर्श प्रस्तुत किया है।
मुख्यमंत्री आज यहां डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के अटल प्रेक्षागृह में आयोजित विभिन्न कार्याें के शिलान्यास एवं टैबलेट वितरण कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय के भवन के साथ-साथ जनपद चन्दौली के ममता राजकीय मानसिक मंदित विद्यालय (आवासीय) तथा जनपद चित्रकूट के संकेत जूनियर हाईस्कूल (आवासीय) भवन का शिलान्यास किया।
—मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को 858 टैबलेट बांटे
—लखनऊ के लिए 1 लाख 6 हजार 151 टैबलेट एवं फोन उपलब्ध कराये
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की ऋषि परम्परा में ऋषि अष्टावक्र तथा मध्यकालीन भक्ति काल के महाकवि सूरदास की रचनाओं से साहित्य में रुचि रखने वाले सभी परिचित होंगे। महाकवि सूरदास की भक्ति कालीन रचनाओं से हमें कहीं भी नहीं लगता कि सूरदास जन्म से दृष्टिबाधित रहे होंगे। उनकी रचनाएं हमें एक नई दिशा देती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी दिवंगत स्टीफन हॉकिंस के बारे में कौन नहीं जानता है। ब्रह्माण्ड के रहस्य के बारे में उनकी थ्योरी का पूरी दुनिया लोहा मानती है। अनेक उदाहरण हैं जहां पर दिव्यांगजनों ने अपनी प्रतिभा और बुद्धिमत्ता से देश-दुनिया के सामने अपनी असीम ऊर्जा की छाप छोड़ी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे ऊर्जावान राज्य है। उत्तर प्रदेश में असीम प्रतिभाएं हैं। इस ऊर्जा और प्रतिभा को जिसने भी जाना है, उसने उत्तर प्रदेश के लिए जो भी योगदान किया है, उसका प्रतिफल उसे अवश्य मिला है। उत्तर प्रदेश को प्रकृति व परमात्मा का असीम वरदान प्राप्त है, प्रकृति और परमात्मा के इस असीम वरदान से जो भी जुड़ेगा वह यशस्वी हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में स्थित डॉ0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय विश्व में दिव्यांगजनों के पुनर्वास के लिए पूरी मजबूती के साथ कार्य कर रहा है। विश्वविद्यालय की यह खूबी है कि विश्वविद्यालय में अध्ययनरत आधे बच्चे दिव्यांग हैं एवं आधे सामान्य बच्चे हैं। इनके आपस में मिलकर एक साथ कार्य करने तथा बेहतर समन्वय, संवाद व एक दूसरे की ऊर्जा का स्पन्दन विश्वविद्यालय को एक नई ऊंचाई की ओर ले जा रहा है। विश्वविद्यालय के पास अब अपना स्वयं का अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय स्थापित होने जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में टैबलेट एवं स्मार्टफोन वितरण की अभिनव योजना की शुरुआत गत वर्ष की गयी थी। आज इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को 858 टैबलेट का वितरण किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के 10 बच्चों को पूर्व में ही इकाना स्टेडियम में आयोजित समारोह में टैबलेट दिये जा चुके हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अकेले जनपद लखनऊ के लिए 01 लाख 06 हजार 151 टैबलेट एवं स्मार्टफोन उपलब्ध कराये गये हैं, जिनमें 44 हजार 720 स्मार्टफोन एवं 31 हजार 29 टैबलेट अब तक वितरित कराये जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के डिजिटल इण्डिया के स्वप्न को साकार करने के उद्देश्य से संचालित की जा रही है। सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना के दौरान सर्वाधिक प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में शिक्षा भी थी। स्कूली शिक्षा, कॉलेज शिक्षा, तकनीकी शिक्षा सहित शिक्षा के सभी क्षेत्र इससे प्रभावित हुए थे। ऐसी स्थिति में प्रदेश सरकार द्वारा ऑनलाइन शिक्षा की शुरुआत की गयी थी। लेकिन अनेक बच्चों के पास स्मार्टफोन, टैबलेट खरीदने की क्षमता नहीं थी। ऐसी स्थिति में शासन ने प्रदेश के 01 करोड़ बच्चों को टैबलेट एवं स्मार्टफोन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया। टैबलेट एवं स्मार्टफोन वितरण के इस कार्यक्रम के बाद प्रदेश के युवाआंे के हाथों में पूरी दुनिया होगी। राज्य सरकार इससे अनेक प्रकार के कार्यक्रमों एवं संस्थाओं को जोड़ेगी। इसमें हर प्रकार के पाठ्यक्रम टैग होंगे। विद्यार्थियों को इससे जुड़ने का अवसर प्राप्त होगा।
दिव्यांगजन पेंशन राशि 500 रुपये प्रतिमाह किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 में वर्तमान सरकार के गठन के समय दिव्यांगजन पेंशन राशि 300 रुपये प्रतिमाह थी, जिसे प्रदेश सरकार ने बढ़ाकर 500 रुपये प्रतिमाह किया। पुनः दिसम्बर, 2021 में इसे बढ़ाकर 1000 रुपये प्रतिमाह अर्थात 12,000 रुपये वार्षिक कर दिया गया है। दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग का वार्षिक बजट पहले 660 करोड़ रुपये था, जिसे 1150 करोड़ रुपये से अधिक का किया गया है। इसके कारण इसमें अनेक नई सम्भावनाएं साकार हुई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पहले 8,75,000 दिव्यांगों को ही पेंशन की सुविधा मिलती थी। अब 11,26,000 दिव्यांगजनों को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। इसी प्रकार, कुष्ठावस्था पेंशन योजना में 4,765 लोगों को पेंशन दी जाती थी। आज 11,584 नए लोगों को इस सुविधा का लाभ दिया जा रहा है। कृत्रिम अंग उपकरण में दिव्यांगजनों को पहले 8,000 रुपये अनुदान दिया जाता था, जिसे बढ़ाकर 10,000 रुपये किया गया है। साथ ही, कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण देने की व्यवस्था इसके साथ की जा रही है।