13.1 C
New Delhi
Friday, November 22, 2024

Supreme Court का हुक्म, महिलाओं को भारतीय तटरक्षक बल में स्थायी कमीशन मिले

नयी दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय । उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से यह सुनिश्चित करने को कहा कि महिलाओं को भारतीय तटरक्षक बल में स्थायी कमीशन मिले और यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो वह (न्यायालय) खुद यह सुनिश्चित करेगा। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि महिलाओं को वंचित नहीं रखा जा सकता। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी की इन दलीलों का संज्ञान लेते हुए कहा कि शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों (एसएससीओ) को स्थायी कमीशन देने में कुछ कार्यात्मक और परिचालन संबंधी कठिनाइयां हैं।

—सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को निर्देश के साथ नसीहत
—सरकार ऐसा नहीं करती तो न्यायालय खुद यह सुनिश्चित करेगा
—आप ‘नारी शक्ति’ की बात करते हैं, अब इसे यहां दिखाएं
—सरकार को एक ऐसी नीति बनानी चाहिए, जो महिलाओं के साथ न्याय करे
—केंद्र सरकार अब भी पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण अपना रही है : सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, परिचालन आदि संबंधी ये सभी दलीलें वर्ष 2024 में कोई मायने नहीं रखतीं। महिलाओं को (वंचित) छोड़ा नहीं जा सकता। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो हम ऐसा करेंगे। इसलिए उस पर एक नजर डालें। अटॉर्नी जनरल ने पीठ को यह भी बताया कि मुद्दों को देखने के लिए भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) द्वारा एक बोर्ड स्थापित किया गया है। पीठ ने समयाभाव के कारण याचिका की अगली सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन निर्धारित करते हुए कहा, आपके बोर्ड में महिलाएं भी होनी चाहिएं। इससे पहले, पीठ ने कहा था कि तटरक्षक बल को ऐसी नीति बनानी चाहिए, जो महिलाओं के लिए निष्पक्ष हो। शीर्ष अदालत भारतीय तटरक्षक अधिकारी प्रियंका त्यागी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बल की पात्र महिला ‘शॉर्ट-सर्विस कमीशन’ अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की मांग की गई थी। पीठ ने तब कहा था, आप ‘नारी शक्ति’ की बात करते हैं। अब इसे यहां दिखाएं। आपको एक ऐसी नीति बनानी चाहिए, जो महिलाओं के साथ न्याय करे। न्यायालय ने यह भी पूछा था कि क्या तीन सशस्त्र बलों- थलसेना, वायुसेना और नौसेना, में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के संबंध में शीर्ष अदालत के फैसले के बावजूद केंद्र सरकार अब भी पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण अपना रही है। इससे पहले, पीठ ने बल की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से पूछा था, आप इतने पितृसत्तात्मक क्यों हो रहे हैं? आप तटरक्षक बल में महिलाओं का चेहरा नहीं देखना चाहते हैं। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता एकमात्र शॉर्ट सर्विस कमीशन महिला अधिकारी थी, जो स्थायी कमीशन का विकल्प चुन रही थी। न्यायालय ने पूछा कि याचिकाकर्ता के मामले पर विचार क्यों नहीं किया गया। पीठ ने कहा, अब, तटरक्षक बल को एक नीति बनानी होगी। इसने पहले विधि अधिकारी से तीनों रक्षा सेवाओं में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने वाले फैसले का अध्ययन करने के लिए कहा था।

latest news

1 COMMENT

  1. सुप्रीम कोर्ट का महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर सराहनीय फैसला

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles

epaper

Latest Articles