भारत में पहली बार खेलों की मिलेगी डिग्री
– दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनाने को कैबिनेट से मंजूरी
– राज्य यूनिवर्सिटी का होगा दर्जा प्राप्त
– डिग्री के लिए खिलाड़ियों को अलग से कोर्स करने की आवश्यकता नहीं
– स्कूल से लेकर पीएचडी तक की मिलेगी डिग्री, दिल्ली कैबिनेट से मिली मंजूरी
(आकर्ष शुक्ला )
नई दिल्ली – मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देश के खिलाड़ियों को बड़ा तोहफा दिया है। भारत में पहली बार दिल्ली में खेलों की डिग्री मिलेगी। इसके लिए दिल्ली सरकार ने स्पोर्टस यूनिवर्सिटी स्थापित करने का निर्णय लिया है। जिसे दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी है। इसकी घोषणा मुख्यमंत्री ने की। इस यूनिवर्सिटी से स्कूल से लेकर पीएचडी तक की डिग्री दी जाएगी। इस यूनिवर्सिटी का निर्माण मुंडका में 90 एकड़ जमीन पर किया जाएगा। देश के किसी जानेमाने खिलाड़ी को बनाएंगे वाईस चांसलर।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर जानकारी दी, ‘दिल्ली सरकार ने आज युवाओं के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। मुंडका में देश की पहली ऐसी यूनिवर्सिटी खोली जाएगी जिसमें खिलाड़ियों को अपने खेल की क्षमता पर डिग्री मिल पाएगी। देश मे पहली बार खेल को मेनस्ट्रीम हायर एजुकेशन का हिस्सा बनाया जा रहा है।’
उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर जानकारी दी, ‘खिलाड़ी अपनी खेल प्रतिभा के आधार पर क्रिकेट, हौकी, फ़ुटबोल आदि में ग्रैजूएट, पोस्ट-ग्रैजूएट आदि डिग्री ले सकेंगे। इसमें छात्रों का खेल ही उनकी पढ़ाई होगा।
अब खिलाड़ियों को अलग से पढ़ाई करने की जरूरत नहीं
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि अभी तक देश के खिलाड़ियों के लिए व्यवस्था यह थी कि वह किसी खेल में कुछ भी हासिल कर लें, आकादमीक रूप से उन्हें अलग से पढ़ाई करनी पड़ती थी। ऐसा न करने पर वह किसी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर पाते थें। इसका समाधान दिल्ली सरकार ने कर दिया है। अब खिलाड़ियों को किसी और डिग्री की आवश्यकता नहीं है। उन्हें खेल पर्फारमेंस के आधार पर ही डिग्री मिल जाएगी। खेल में भविष्य बनाने वाले युवा भी अब सिविल सेवा जैसी परिक्षाएं दे पाएंगे। इसके यूनिवर्सिटी के तहत आने वाले कोर्स के लिए विशेषज्ञों की टीम बनेगी।
डिग्री के कारण भविष्य अधर में नहीं लटकेगा
अभी तक देश के लिए खेलने वाले युवाओं को अकादमी की चिंता होती थी। बड़े बड़े खेल प्रतियोगिता में पुरस्कार पाकर भी खिलाड़ी दसवीं, बारहवीं या ग्रेजुएट की डिग्री नहीं ले पाते थें। इस कारण वह तमाम तरह की प्रतियोगिता परीक्षा में हिस्सा नहीं ले पाते थें। अब ऐसे खिलाड़ियों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें अब पूरा ध्यान खेल में देना है। खेल के आधार पर ही डिग्री मिल जाएगी। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि बृहस्पतिवार को दो होनहार खिलाड़ी थाइलैंड से पदक जीतकर मेरे पास मिलने आईं। दोनों ने बताया कि वह ग्रेजुएट होने के लिए ओपन से ग्रेजुएशन कर रही हैं। ऐसा न करने पर नौकरी नहीं मिलेगी। डिग्री के लिए पढ़ाई भी करनी होगी। जिससे खेल पर पूरा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। मनीष सिसोदिया ने कहा कि एक खिलाड़ी टेबल टेनिस में राष्ट्रीय पदक जीतकर मिला था, लेकिन उसने बताया कि डिग्री न होने के कारण वह कोई प्रतियोगिता परीक्षा नहीं दे सकता है। अब ऐसे सभी खिलाड़ियों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
खेल प्रतिभाओं के लिए अभी तक कोई सिस्टम नहीं
भारत में गांव गांव में टैलेंट है। लेकिन खेल प्रतिभाओं के लिए अभी तक कोई सिस्टम नहीं था। दिल्ली में पहली बार सरकार इसके लिए सिस्टम बनाने जा रही है। अभी तक खेल को पार्ट टाइम माना जाता था। अब इसे फूल टाइम खेला जा सकता है। दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनने के बाद युवाओं को अकादमीक चिंता करने की आवश्यकता नहीं रह जाएगी। देश में ऐसा प्रारूप दिल्ली पहली बार लेकर आया है। जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। अब इसे उप राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। जिसके बाद शीतकालीन सत्र में ही विधानसभा से पास कराने का प्रयास होगा। – अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री
स्कूल से ही ले सकेंगे दाखिला
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस यूनिवर्सिटी के अंतरगत स्कूल भी खुलेंगे। जहां उन बच्चों को दाखिला मिलेगा, जिन्हें खेल में करियर बनाना है। इस स्कूल में दाखिला लेने वाले बच्चों को फिर परीक्षा में पास होने की चिंता नहीं करनी होगी। यह यूनिवर्सिटी की जिम्मेदारी होगी कि बच्चे को अंतरराष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनाया जाए। साथ ही डिग्री भी मिले। स्कूल स्तर के शिक्षण के लिए CBSE से संबद्धता होगी।
दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी (DSU) के उद्देश्य
युवाओं को खेल, शारीरिक गतिविधि, मनोरंजन और प्रशिक्षण प्रदान करने और शारीरिक फिटनेस सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी को स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य खेल शिक्षा के उभरते क्षेत्रों में खेल अध्ययन, अनुसंधान और विस्तार कार्य को बढ़ावा देना है।
राज्य विश्वविद्यालय का दर्जा
दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी (डीएसयू) को राज्य विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया जाएगा। विश्वविद्यालय खेल का एक व्यापक इको-सिस्टम स्थापित करने का प्रयास करेगा। जिसमें सरकार, उद्योग खेल-संघ इत्यादि की शक्ति का निर्माण शामिल होगा। विश्वविद्यालय में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर शिक्षा और अनुसंधान शामिल होंगे। विभिन्न खेलों में पेशेवर उत्कृष्टता के लिए सिस्टम और प्रक्रियाएं बनाना, कौशल विकास, खेल मनोरंजन और सामुदायिक गतिविधियां करना, प्रारंभिक चरण के खेल के लिए संस्थागत तंत्र विकसित करना और प्रतिभा विकास का प्रावधान होगा।
विश्व स्तरीय संसाधन होंगे
विश्वविद्यालय के पास खेलों में पेशेवर उत्कृष्टता के लिए एक विश्व स्तरीय केंद्र होगा। संबंधित खेलों में खेल उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए खेल-विशिष्ट प्रभाग होंगे। ये खेल प्रभाग पूरी तरह से विश्व स्तरीय प्रशिक्षण देने के लिए सुसज्जित होंगे और खिलाड़ी बनने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए कोचिंग देंगे। प्रत्येक खेल प्रभाग विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल स्पर्धाओं में खिलाड़ियों को स्काउट, प्रमोशन और प्रायोजित करेगा। केंद्र में खेल उत्कृष्टता के लिए प्रशिक्षण के अलावा कोच भी तैयार होंगे। साथ ही यहां खेल में रिसर्च करने की सुविधा भी होगी।
उप राज्यपाल होंगे चांसलर
दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के चांसलर दिल्ली के उपराज्यपाल होंगे और भारत के राष्ट्रपति दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के विजिटर होंगे। राष्ट्रीय स्तर के संस्थान में प्रशासनिक अनुभव के साथ अंतर-राष्ट्रीय प्रतिभा के खेल व्यक्ति को वाइस चांसलर बनाया जाएगा। जिनकी पांच साल के लिए नियुक्ति होगी। चयन तीन सदस्यों की एक खोज सह चयन समिति द्वारा किया जाएगा। प्रारूप, शक्तियां और दिल्ली खेल विश्वविद्यालय के अधिकारियों के कामकाज का एक तरीका, अर्थात्, न्यायालय, प्रबंधन बोर्ड, अकादमिक परिषद और वित्त समिति मसौदा कानून में शामिल हैं। विधियों और विनियमों के निर्धारण के लिए प्रावधान, विश्वविद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करने और विधान सभा के समक्ष रखने का प्रावधान भी प्रदान किया गया है। दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए उक्त विश्वविद्यालय के विभिन्न भवनों की भूमि के विकास का प्रावधान करना है।