नई दिल्ली /अदिति सिंह : पहले सिख जरनैल बाबा बंदा सिंह बहादुर का 306वां शहीदी पर्व शनिवार को लाल किला मैदान में मनाया गया। केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से पहले सिख जरनैल बाबा बंदा सिंह बहादुर का 306 वां शहीदी दिवस लाल किले पर श्रद्धा के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी विशेष तौर पर शामिल हुईं। उनके साथ राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष तरुण विजय सहित और बाबा बंदा सिंह बहादुर की 10वीं पीढ़ी के वंशज बाबा जतिंदर पाल सिंह सोढ़ी शामिल हुए। वहीं देर शाम बाबा के शहीदी स्थल मेहरौली में विशेष कीर्तन दरबार सजाया गया।
-देश के लिए शहादत देने वालों की स्मृतियां दिल्ली में स्थापित करेंगे : लेखी
-पहले सिख जरनैल बंदा बहादुर का मनाया 306वां शहीदी पर्व
–बाबा के संबंध में अध्याय पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए : तरूण विजय
-बाबा के शहीदी स्थल महरौली में सजा कीर्तन दरबार
इस मौके पर मीनाक्षी लेखी ने कहा कि बाबा बंदा सिंह बहादुर ने अपने जीवन का बलिदान करके अपने धर्म के सम्मान की रक्षा की और उनके साहस को कभी भूलना नहीं चाहिए। उन्होंने बाबा बंदा बहादुर के शहादत स्थल को एक राष्ट्रीय स्मारक स्थल घोषित करने के लिए हर समर्थन का भरोसा दिलाया।
इस मौके पर मीनाक्षी लेखी ने कहा कि बाबा बंदा सिंह बहादुर का जन्म स्थान रियासत जम्मू में आज भी है। उनका असली नाम माधो दास था जो बड़े होकर बाबा बंदा सिंह बहादुर बने और गुरु गोबिंद सिंह जी की सेवा में जुटे। लेखी ने कहा कि जिन्होंने कौम की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी उनका इतिहास दिल्ली में नहीं है,पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यही इतिहास बताने के लिए अमृत महोत्सव की शुरुआत की है। इसमें लोगों को बताया जा रहा है कि आप गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी के वंशज हो। दिल्ली में बाबा बंदा सिंह बहादुर और उन सभी की स्मृतियां स्थापित करेंग,े जिन्होंने देश के लिए शहादत दी। उन्होंने इस मौके पर कबीर दास जी द्वारा लिखी रचना ‘सूरा सो पहचानिएै, जो लड़े दिन के हेत का जि़क्र भी किया। बाबा बंदा सिंह बहादुर जी ने मुगलों से राज छीन कर सभी के लिए एक समान राज स्थापित किया। उन्होंने रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा बाबा बंदा सिंह बहादुर के संबंध में की गई रचना का जि़क्र भी किया।
समागम में तरूण विजय ने कहा कि जब तक हम बाबा बंदा सिंह बहादुर के स्थानों पर मात्था नहीं टेकते, हमारा भारत दर्शन अधूरा है। हम मुगलों का इतिहास तो पढ़ाते रहे जबकि जिन्होंने देश के लिए अपनी शहादत दी उनके नाम का जिक्र भी इतिहास में नहीं आता। इसलिए आज बहुत जरूरी है कि बाबा बंदा सिंह बहादुर के संबंध में अध्याय पाठयक्रम का हिस्सा बनाया जाए। दिल्ली का सबसे बड़ा स्थान बाबा बंदा सिंह बहादुर का शहीदी स्थान है।
इस मौके पर भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यहां पर बाबा बंदा सिंह बहादुर के वारिस हैं और हमें आज खुशी है कि भारत सरकार लाल किले पर बाबा बंदा सिंह बहादुर का शहीदी दिवस मना रही है। आज भारत की सल्तनत उस बाबा जी को याद कर रही है जिन्होंने यादगारी सिक्का चलाया। बाबा बंदा सिंह बहादुर जैसा न कोई हुआ है और ना ही हो सकता है।
इस मौके पर दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने कहा कि मौजूदा सरकार ने सिखों के लिए बहुत कुछ किया है। पिछले 70 वर्षों की मांग पूरी करते हुए करतारपुर कॉरिडोर शुरु किया गया साथ ही 1984 के सिखों के कातिलों को सजा देने का काम भी शुरु हुआ। इस मौके पर उन्होंने राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण से अपील किया कि बाबा बंदा सिंह बहादुर से संबंधित स्थानों को अपने अधीन लेकर उन्हें संगत के दर्शन के लिए तैयार करें। इसके साथ ही बाबा बंदा सिंह बहादुर जी के जीवन के बारे में स्कूल व कालेज के पाठयक्रम में शामिल किया जाए।
इस मौके पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आर.पी सिंह, दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के महासचिव जगदीप सिंह काहलों, बाबा जतिंद्रपाल सिंह सोढी वंशज व मुखिया बाबा बंदा सिंह बहादुर संप्रदाय रियासत जम्मू, राजीव बब्बर, वेद मक्कड़, कुलदीप सिंह, इम्प्रीत सिंह बख्शी, जसप्रीत सिंह माटा, भास्कर वर्मा, प्रेम दुरेजा, आत्मा सिंह लुबाणा, जसमेन सिंह नोनी सहित बड़ी संख्या में संगत शामिल हुई।