-शिरोमणि अकाली दल की ऐतिहासिक जीत के असली नायक रहे
–कोआप्शन के जरिये सदस्य चुने जाएंगे मनजिंदर सिरसा
-2 साल-बेमिसाल का नारा देकर लड़ा था पूरा चुनाव
-खुद चुनाव हारे लेकिन पार्टी को दिलवाया पूर्ण बहुमत
-पॉजिटिव कैंपेनिंग ने बदली पूरी रणनीति, मिली सफलता
-20 सितम्बर के आसपास होगी घोषणा, संभालेंगे कमान
नई दिल्ली /टीम डिजिटल: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अगले अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ही होंगे। वह गुरुद्वारा चुनाव भले ही हार गए हैं, लेकिन शिरोमणि अकाली दल की ऐतिहासिक जीत का सेहरा उन्हीं के सिर पर सजेगा। पार्टी हाईकमान ने बुधवार को इसका संकेत भी दे दिया है। सिरसा की कड़ी मेहनत के आगे विरोधियों की एकजुटता भी बेकार हो गई। लिहाजा, पार्टी के लिए सिरसा सबसे ताकतवर उम्मीदवार के रूप में हैं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी का यह पहला चुनाव था जब शिरोमणि अकाली दल की राष्ट्रीय टीम को बाहर रखकर चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दर्ज कराई। सिरसा कोआप्शन की एक सीट से कमेटी सदस्य चुने जाएंगे। कोआप्शन में दो सीटें होती हैं, जिसमें से एक सीट शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के खाते में जाएगी। अगले एक सप्ताह में कोआप्शन की पूरी प्रक्रिया दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय के द्वारा की जाएगी। यह चुनाव होने के बाद 15 दिन के नोटिस पर जनरल हाउस बुलाया जाएगा। इसी जनरल हाउस में हर बार की तरह पार्टी की ओर से आने वाला गुप्त लिफाफा खोला जाएगा। कुल मिलाकर 20 सितम्बर के आसपास दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। शिरोमणि अकाली दल को चुनाव में कुल 27 सीटें मिली है। 1 सीट एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) अमृतसर कोटे की और 1 सीट कोआप्शन की और मिलेगी। इसके बाद अकाली दल की कुल सीटों की संख्या 29 हो जाएगी। इसके बाद 2 सीट दिल्ली की सभी सिंह सभाओं की ओर से लॉटरी के जरिये निकाली जाती है। ये दोनों सीटें अमूमन सत्ताधारी दल के साथ ही जाती हैं। अगर ऐसा होता है तो अकाली दल की सीटों की संख्या बढ़कर 31 हो जाएगी।
सिरसा के साथ पुरानी कैबिनेट बनी के रहने की संभावना
कमेटी में मनजिंदर सिंह सिरसा के अध्यक्ष बनने के बाद हरमीत सिंह कालका के महासचिव बने रहने की भी पूरी संभावना है। कालका पिछले 2 साल से सिरसा के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इसके अलावा पिछली बार की तरह बीबी रंजीत कौर (अकाली दल की एक मात्र महिला सदस्य) वरिष्ठ उपाध्यक्ष चुनी जा सकती हैं। अमरजीत सिंह पप्पू भी चुनाव जीत गए हैं, इसलिए उनके भी पांच सदस्यीय टीम में बने रहने की संभावना प्रबल हो गई है। एक कोई भी नया सदस्य चुना जा सकता है। इसके अलावा कार्यकारिणी सदस्यों में कई लोग शामिल हो सकते हैं।
पॉजिटिव प्रचार ने सिरसा को दिलाई ऐतिहासिक जीत
कोविड काल में देश-विदेश के लोगों और खुद दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी की मदद से दिल्ली की सिख संगतों की सेवा करना, कोविड अस्पताल बनाना, आंदोलनकारी किसानों के बीच लगातार जाकर सेवा करना, दिल्ली के बाहर के सिखों के मसले को सियासी एवं राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने के कारण सिरसा का ग्राफ लगातार बढ़ा है। विरोधी दल भले ही सिरसा के प्रचार अभियान को झूठा करार देते रहे हों, लेकिन संगत एवं युवाओं के बीच सिरसा रोल मॉडल के रूप में बनकर उभरे। यही कारण है कि मनजिंदर सिंह सिरसा ने पूरे चुनावी अभियान के दौरान पॉजिटिव कार्यों को लेकर ही संगत के बीच गए और वोट मांगा। सिरसा के द्वारा कश्मीर की सिख लड़की को एक दूसरे धर्म में धर्मांतरण होने से बचाकर सिख लड़के से शादी कराना और उन्हें दिल्ली लाकर गुरुद्वारा कमेटी में कर्मचारी बनाने की पहल को लोगों ने खूब सराहा था। इसके अलावा अफगानिस्तान में बदले घटनाक्रम में फंसे सिखों का मसला राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्टीय स्तर पर उठाना भी सिखों को अच्छा लगा।