-गुरुद्वारा कमेटी ने रोकी बाला साहिब अस्पताल की कारसेवा
–अकाली दल के वरिष्ठ नेता भोगल ने खोली कमेटी की पोल, उठाए सवाल
–निजी हाथों में देना चाहते हैं अस्पताल, कमेटी का व्यवहार संदिग्ध : भोगल
-कुलदीप भोगल का अल्टीमेटम, जान चली जाए, लेकिन बिकने नहीं दूंगा
—बादल परिवार ने किया था अस्पताल चलाने का वायदा, निकला झूठा
(अदिती सिंह)
नई दिल्ली, : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अधीन आते बाला साहिब अस्पताल को लेकर एक बार फिर सियासत गरमा गई है। इस बार अकाली दल के ही नेता कुलदीप सिंह भोगल ने अपनी ही गुरुद्वारा कमेटी पर गंभीर सवाल उठा दिए हैं। साथ ही अस्पताल को शुरू करने का रोड़मेप पूछते हुए कमेटी पर निहित स्वार्थों के लिए अस्पताल का काम न शुरू न होने देने का खुलासा भी किया हैं। पत्रकारों से बातचीत करते हुए भोगल ने अस्पताल को शुरू करने के बारे में कमेटी प्रबंधन की मंशा पर भी सवाल उठाए। साथ ही अल्टीमेटम दिया कि अगर अस्पताल निजी हाथों में दिया गया तो वह सड़कों पर उतर जाएंगे। इस दौरान चाहे मेरी जान भी चली जाए, मैं पीछे नहीं हटूँगा। इसके अलावा चाहे तो मुझे पार्टी से भी निकाल दें, मै चुप नहीं रहूँगा।

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष कुलदीप सिंह भोगल ने कहा कि 10 साल सरना बंधू अस्पताल को लेकर इधर-उधर करते रहे, और अब साढ़े 6 साल से अकाली दल के नेता टरका रहे हैं। भोगल ने कमेटी को कारसेवा रुकवाने तथा मेडिकल कौंसिल के एजेंडे से अस्पताल शुरू करने की बात को बाहर करने के पीछे की मजबूरी को संगत के सामने रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, एवं वरिष्ठ नेता हरसिमरत कौर बादल ने 2013 के कमेटी चुनाव में अस्पताल खुद कमेटी द्वारा चलाने का दिल्ली की संगत से वायदा किया था। लेकिन कमेटी में सत्ता मिलने के बाद भूल गए। यहीं नहीं 2017 के चुनाव में भी अस्पताल शुरू करने का वायदा संगत से हुआ था। लेकिन आज तक अस्पताल खंडहर ही बना हुआ है।
पार्टी के नेताओं की नीति व नीयत उन्हें ठीक नहीं
भोगल ने कहा कि उन्होंने निजी हाथों से अस्पताल को आजाद करवाने की लड़ाई विरोधी दलों के खिलाफ पूरी तत्परता के साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता तथा श्रद्धावान सिख के तौर पर लड़ी थी। लेकिन, अब अपनी पार्टी के नेताओं की नीति व नीयत उन्हें ठीक नहीं लग रही है। दिसम्बर 2018 में मौजूदा कमेटी अध्यक्ष मनजिन्दर सिंह सिरसा अपने साथी सदस्यों के साथ उन्हें साथ लेकर कारसेवा वाले बाबा बचन सिंह के पास जाते हैं तथा बाबा जी को अस्पताल की खंडर इमारत की कारसेवा को शुरू करने की विनती करते हैं। साथ ही कमेटी की तरफ से बाबा जी को 60 लाख रुपए भी देने का ऐलान करते हैं। इसके बाद बाबा की टीम वहां पर भरे पानी तथा झाडिय़ों को हटाने का काम शुरू कर देती हैं। अचानक क्या हुआ बाबा बचन सिंह व उनके सहयोगी कमेटी प्रमुख ने कारसेवा शुरू करने से मना कर दिया।
भोगल ने बताया कि जब मैंने बाबा बचन सिंह से कारसेवा न करने की वजह पूछा तो बाबा ने बताया कि वह तो कारसेवा के लिए तैयार हैं,पर शुरू क्यों नहीं हो रही, इस बारे कमेटी से पूछो। भोगल ने कमेटी को कारसेवा का काम रुकवाने संबंधी सवाल पूछते हुए अस्पताल के नाम पर संगत को गुमराह न करने की चेतावनी भी दी।
निजी हाथों में अस्पताल सौंपने की गुपचुप कोशिश तो नहीं
भोगल ने पूछा कि कमेटी का संदिग्ध व्यवहार कहीं निजी हाथों में अस्पताल सौंपने की गुपचुप कोशिश तो नहीं ? कमेटी के द्वारा पहले डॉक्टरों की मेडिकल कौंसिल बनाकर अस्पताल खोलने का ऐलान करना तथा बाद में कौंसिल की बैठक के दौरान सिर्फ बाला साहिब कैंसर केयर यूनिट में आई नई मशीनरी के कारण सिर चढ़े 38 करोड़ के आर्थिक भार को चुकाने के लिए प्रतिष्ठित सिख डॉक्टरों से सुझाव मांगना क्या था ? 22 जून को कमेटी के द्वारा बुलाए गए जनरल हाउस में अस्पताल को कमेटी के द्वारा चलाने के एजेंडे पर चर्चा करने की कमेटी सदस्यों को मांग करते हुए भोगल ने उक्त मांग न माने जाने की स्थिति में संगत को साथ लेकर अगली रणनीति बनाने की चेतावनी भी दी।
बचन सिंह कारसेवा वालों को इसकी जिम्मेदारी दे रखी है
उधर, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने कहा कि पहले से ही काम चल रहा है और कमेटी ने बाबा को बचन सिंह कारसेवा वालों को इसकी जिम्मेदारी दे रखी है। उन्हीं को अस्पताल बनाना है।
बहुत अच्छी खबर है, इसे राष्ट्रीय स्तर पर उठाना जरूरी है