-दिल्ली कमेटी के सदस्य गुरमीत शंटी ने किया दावा, खोली पोल
–सिरसा भी होंगे जल्द बेनकाब, सिख संगत देखेगी असली चेहरा : शंटी
—घोटालों से जुड़े कई दस्तावेज हाथ लगे, सबूतों से हुई छेड़छाड़
—सिरसा ने अपने हस्ताक्षर को केमिकल के जरिये मिटाया, कराएंगे लैब से जांच
नई दिल्ली/ अदिति सिंह : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (DSGMC) के सदस्य एवं शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के महासचिव गुरमीत सिंह शंटी ने आज यहां दावा किया है कि कमेटी के करप्शन एवं गुरु की गोलक की लूट में पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके के साथ वर्तमान अध्यक्ष मनजिदंर सिंह सिरसा भी बराबर के भागीदार हैं। जीके ने अपने कार्यकाल में जिन-जिन कथित घोटालों को अंजाम दिया है, उसमें सिरसा के भी हस्ताक्षर हैं लेकिन, उन्होंने केमिकल के जरिये सबूतों से छेड़छाड़ कर दिया है। असली हस्ताक्षर वाले कागजात उनके हाथ लगे हैं, जिनके आधार पर वह दावा कर रहे हैं।
शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए शंटी ने दावा किया कि जो भी नये सबूत मिले हैं, उसे वह अदालत एवं जांच अधिकारी के समक्ष बहुत जल्द पेश करेंगे। शंटी ने कहा कि कमेटी अध्यक्ष सिरसा उनपर दबाव बनाने के लिए तीन दिन पहले दिल्ली की एक अदालत में एफिडेबिड देकर उनके ऊपर पूर्व के सब्जी वाले केस को उठाने की कोशिश की है। ठीक उसी तरह जैसे मंजीत सिंह जीके ने अपने भाई हरजीत सिंह जीके को आगे करके इसी मामले को उठाया था। जबकि यह मामला अदालत के द्वारा दो बार डिस्मिस हो चुका है। खास बात यह है कि वर्ष 2019 में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अपनी आरटीआई के जरिये भी बताया था कि कमेटी में उनके कार्यकाल के दौरान किसी प्रकार का सब्जी घोटाला नहीं हुआ था। आरटीआई की प्रति अदालत में भी जमा की गई है। शंटी ने कहा कि जिस वक्त उन्होंने आरटीआई मांगी थी, तब भी वह निर्दलीय सदस्य के रूप में थे।
दिल्ली कमेटी के पूर्व महासचिव गुरमीत सिंह शंटी ने पत्रकारों के समक्ष दावा किया कि मंजीत सिंह जीके के कथित घोटालों में मनजिदंर सिंह सिरसा की भी पूरी समूलियत है, क्यों वह उस वक्त महासचिव होते थे और सभी बड़े मामलों में दोनों पदाधिकारियों के हस्ताक्षर होते थे। शंटी के मुताबिक सिरसा ने सभी दस्तावेजों में किए अपने हस्ताक्षर से छेडछाड की हुई है। हस्ताक्षर की जगह कोई केमिनल का प्रयोग किया गया है। इस सभी दस्तावेजों को लेकर वह बहुत जल्द दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी एवं अदालत को देकर एसएफएल जांच की मांग करेंगे, ताकि सिरसा के असली चेहरे से नकाब उतर सके और संगत को सच्चाई का पता चल सके।
2013 में उठा था सब्जी का केस, दो बार हुआ डिसमिस
गुरमीत शंटी के मुताबिक वर्ष 2013 में उनके खिलाफ सब्जी का केस उठाया गया था, जिसको 2015 में अदालत ने डिसमिस कर दिया। इसके बाद वर्ष 2013 में अकाली दल बादल की अगुवाई में मंजीत सिंह जीके अध्यक्ष बनें। वह निर्दलीय सदस्य थे और किसी भी पार्टी से नहीं जुडे थे। इसके बाद वर्ष 2015 से दिसम्बर 2018 तक मंजीत सिंह जीके प्रधान थे। लेकिन सब्जी मामला नहीं उठा। लेकिन, 2019 में जब उन्होंने मंजीत सिंह जीके के करप्शन एवं गुरू की गोलक की दुरुपयोग का मामला उठाया, तब उनपर दबाव बनाने के लिए जीके ने अपने सदस्य भाई के जरिये 2019 में सब्जी का केस फिर उठाया, हालांकि 6 जून 2019 में कोर्ट ने केस को डिसमिस कर दिया। शंटी के मुताबिक मनजिंदर सिंह सिरसा अप्रैल 2019 में कमेटी के नये अध्यक्ष बने, तब भी किसी पार्टी में शामिल नहीं था। अप्रैल 2019 से लेकर फरवरी 2021 तक कमेटी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा को भी र्कोई गडबडी नहीं नजर आई, और उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले थे। लेकिन अब जबकि सिरसा के खिलाफ कई सबूत और रिकाडिंग उनके मिल गई है तब वह नये तरह की नौटंकी खेल रहे हैं।
जीके के खिलाफ 3 केस, सिरसा के खिलाफ 2 केस दर्ज : शंटी
कमेटी सदस्य गुरमीत सिंह शंटी के मुताबिक मंजीत सिंह जीके के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर 3 केस दर्ज हो चुका है और कमेटी अध्यक्ष सिरसा के खिलाफ 2 केस दर्ज हो चुके हैं। दोनों लोग अपनी गिरेंबा बचाने के लिए संगत का ध्यान भटकाना चाहते हैं, क्योंकि गुरुद्वारा कमेटी का चुनाव सिर पर है।
दिल्ली कमेटी ने अदालत में रिकार्ड पेश किया है : सिरसा
दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि गुरमीत सिंह शंटी के सब्जी मामले को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के समक्ष कुछ दिन पहले पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना, हरविंदर सिंह सरना एवं मंजीत सिंह जीके ने उठाया था। साथ ही कहा था कि दिल्ली कमेटी शंटी को बचा रही है। इसके बाद जत्थेदार साहिब ने उनसे पूरा मामला पूछा। उन्होंने बताया कि पूरे मामले का रिकार्ड वह अदालत में पेश करेंगे, जो पिछले सप्ताह अदालत में एफिडेबिड के जरिये कर दिया है। सिरसा ने कहा कि शंटी जी के कार्यकाल में 12 से 15 लाख रुपये की सब्जी हर महीने खरीदी गई और उसके नगदी पैसे दिए गए, जबकि उनका दावा है कि 50 सालों में कभी भी 2 से 3 लाख रुपये से ज्यादा की सब्जी नहीं खरीदी गई है।सिरसा ने कहा कि जो भी मामला है उसका पूरा रिकार्ड अदालत में पेश कर दिया है।