नई दिल्ली/ अदिति सिंह : अपने इतिहास के सबसे निम्र हालात पर चल रही देश की दूसरी सबसे पुरानी पार्टी शिरोमणि अकाली दल को आज दिल्ली में बड़ी सफलता हाथ लगी है। एक तरह से दिल्ली में खत्म हो चुकी पार्टी आज पुन: जिंदा हो गई। पार्टी को नया ‘सरदार मिल गया। पंथक एकजुटता के नाम पर शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना अपने साथियों के साथ शिरोमणि अकाली दल के साथ जुड़ गए। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने परमजीत सिंह सरना को अकाली दल की दिल्ली इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया। साथ ही पार्टी के सभी विंगों के विस्तार का पूरा अधिकार देते हुए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। रविवार की शाम दिल्ली में हुए पंथक मिलन से पंथ और पंजाब की धार्मिक-राजनीतिक घटनाक्रम में एक नया तथा महत्वपूर्ण मोड़ आया है।
-अकाली दल एवं शिरोमणी अकाली दल दिल्ली के साथ एकजुट
-परमजीत सिंह सरना बनें अकाली दल के नए अध्यक्ष
-सुखबीर बादल की मौजूदगी में हुआ ऐतिहासिक ‘पंथक मिलन
-सिख वेश में सिख विरोधी साजिशों को अंजाम देने वालों को फटकार
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने भी इस घटनाक्रम को सिख और पंजाब की धार्मिक तथा राजनीति में निर्णायक गेम चेंजर करार दिया। साथ ही सरना को पार्टी की दिल्ली इकाई का अध्यक्ष नियुक्त कर उनसे पूरे पंथ को एक पंथक झंडे के नीचे सभी को एकजुट करने के अभियान की अगुवाई करने का आग्रह किया। इस मौके पर सुखबीर सिंह बादल ने उन लोगों पर जमकर निशाना साधा,जिन्होंने सिखों के दुश्मनों को बढ़ावा देने और इसे लागू करने के लिए सिख वेश में काम किया। साथ ही आरोप लगाया कि सिख समुदाय में गृह युद्ध छेड़ने के लिए कुटिल साजिशें रची जा रही हैं। बादल ने सरदार सरना, उनकी पूरी टीम और समर्थकों को इस नेक काम को अपना अटूट समर्थन देने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा एकता ही इन साजिशों को पराजित करेगी। सुखबीर बादल ने कहा कि संकट के दौर ने हमेशा खालसा पंथ को एकजुट किया है। उन्होंने कहा, आज खालसा पंथ और उसके ऐतिहासिक संस्थानों पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से दुश्मन हमला कर रहे हैं, जो हरियाणा के लिए एक अलग गुरुद्वारा कमेटी को वैध ठहराकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) को तोड़कर पंथ को कमजोर करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बाहरी हमले और आंतरिक तोड़फोड़ से लड़ने के लिए पंथ की एकता की सख्त जरूरत है।
इस मौके पर परमजीत सिंह सरना ने सिखों के गद्दारों और काली भेड़ों पर जमकर निशाना साधा, और कहा कि इन कठपुतलियों और उनके आकाओं की हरकतों ने सिख पंथ में निराशा की लहर दौड़ गई है। सरना ने कहा कि उन्होंने अकाली दल को कभी नहीं छोड़ा और अब भी वे पार्टी के एक सिपाही हैं। वह हमेशा पंथ की भलाई के लिए काम किया है और आज मुझे जो नई जिम्मेदारी सौंपी गई है उसके माध्यम से ऐसा करना जारी रखूंगा। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को पार्टी की टिकट पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) का चुनाव लड़ने के बाद विश्वासघात किया है, उन्हे पंथ से माफी मांगनी चाहिए और पार्टी में वापस आना चाहिए।
इस मौके पर एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी, पार्टी के वरिष्ठ नेता सरदार बलविंदर सिंह भूंदड़, दिल्ली कमेटी के पूर्व अध्यक्ष हरविंदर सिंह सरना, कमेटी के पूर्व महासचिव गुरमीत सिंह शंटी, प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा,सरदार सुखविंदर सिंह बब्बर और बीबी रणजीत कौर ने भी एकजुटता का ऐलान किया। इस मौके पर सरना दल से जीते सभी कमेटी सदस्य और पार्टी के कार्यकर्ता मौजूद रहे। बता दें कि परमजीत सिंह सरना वर्ष 1999 तक अकाली दल में ही थे। बाद में अलग होकर दिल्ली में अपनी नई पार्टी बना ली थी।
गुरुद्वारा चुनाव के बाद दिल्ली में टूट गई थी पार्टी
2021 के दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी चुनाव जीतने के बाद शिरोमणि अकाली दल को दिल्ली में बड़ा झटका लगा था। बादल के सबसे करीबी एवं दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा पार्टी को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। सिरसा के जाने के बाद अकाली दल के जीते हुए 24 कमेटी सदस्यों ने भी अपना अलग गुट बनाते हुए शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली स्टेट) नई पार्टी बना ली। सुखबीर बादल जब तक कुछ कर पाते, पूरी पार्टी बिखर गई। इसके बाद पार्टी ने सबसे तजुर्बेकार नेता जत्थेदार अवतार सिंह हित को पार्टी की दिल्ली इकाई की कमान सौंपी। लेकिन, 10 सितम्बर को हित के निधन के बाद वह पद भी खाली हो गया।