-राष्ट्रपति व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप कर खेती कानूनों को निरस्त करवाएं
–तीनों खेती कानूनों को निरस्त करने पर चर्चा करने का निर्देश दें राष्ट्रपति
– खेती कानूनों पर विपक्ष द्वारा पेश किए गए स्थगन प्रस्तावों पर चर्चा करने से इंकार कर रही सरकार
–संसद में चर्चा करने के लिए समय दिया जाए, राष्ट्रपति से गुहार
नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय : शिरोमणी अकाली दल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप कर तीनों खेती कानूनों को निरस्त करने की मांग पर चर्चा करने के लिए केंद्र पर दबाव डालने की अपील की। इस बावत राष्ट्रपति को एक पत्र भी सौंपा गया। अकाली दल के साथ छह अन्य पार्टियों ने भी राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वे उन्हे संसद में एनडीए सरकार के अडिय़ल रवैये के बारे में उन्हे अवगत कराने के लिए समय दिया जाए, जो तीनों खेती कानूनों पर सभी चर्चाओं को होने नहीं दे रही है।
इस पत्र पर बहुजन समाज पार्टी (BSP), राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP), सीपीआई-M, सीपीआई, RLP तथा जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रतिनिधियों के अलावा शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने हस्ताक्षर किए हैं, साथ ही इसमें पेगासेस स्पायवेयर मामले में जांच की जरूरत पर चर्चा की मांग की है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को जानकारी दी कि वे खेती संबधी काले कानूनों को रदद करने पर चर्चा की मांग को लेकर स्थगन की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन सरकार इस संवेदनशील मुददे पर चर्चा की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। पत्र में कहा गया है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के दौरान हुई मानवीय त्रासदी जिसमें 550 से अधिकों को जानें गंवानी पड़ी है। खेती क्षेत्र को कारपोरेटस को सौंपने के उददेश्य से बनाए गए तीनों काले कानूनों के कारण लाखों लोगों की आजीविका खतरे में हैं, लेकिन एनडीए सरकार इस मामले में लापरवाही दिखा रही है। हम आपसे अपील करते हैं कि केंद्र सरकार को तीनों कानूनों को निरस्त करने का निर्देश दिया जाए और फिर किसानों के साथ बातचीत की जाए ताकि उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के तरीकों और साधनों पर चर्चा की जा सके।
पत्र में कहा गया है कि एनडीए सरकार के ज्ञात विरोधियों के अलावा राजनेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के टेलीफोन नंबरों को टेप करने के लिए पेगासेस साफ्टवेयर के इस्तेमाल से सारे समाज को हैरान करके रख दिया है। यह एक ज्ञात तथ्य है कि इजरायली कंपनी एनएसओ सॉफ्टवेयर केवल जांच के बाद ही सरकारों को बेचता है और कंपनी ने इस तत्थ्य को स्वीकार किया है। इन खुलासों के बावजूद केंद्र सरकार इस बात का खुलासा करने से इंकार कर रही है, कि उसने इस तरह का उपयोग करने के लिए किए गए भुगतानों के विवरण का खुलासा करने के अलावा अपने नागरिकों के खिलाफ इस साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था। एनडीए सरकार ने भी इस पूरे मामले की जांच कराने से इंकार कर दिया है।