—13 वर्ष की अल्पायु से ही समाज में चेतना जगा रहे हैं पतविंदर सिंह
—नशे से परहेज, गंगा नदी की स्वच्छता के लिए चलाते हैं अभियान
—राजनीतिक में अपराधीकरण रोकने के लिए साईकिल पर हुए सवार
प्रयागराज /टीम डिजिटल : सरदार पतविंदर सिंह दूसरों के लिए जीना चाहते हैं 13 वर्ष की अल्पायु से लोक कल्याण तथा समाज सेवा से जुड़ा यह शख्स ताजिंदगी दूसरों के लिए ही गुजारना चाहता है बचपन से ही समाज सेवा करने का व्रत लेने के बाद इस ने पीछे मुड़कर नहीं देखा कोरोना महामारी संक्रमण में सेवा कार्य करना,मास्क वितरित,नियंत्रण, पर्यावरण संरक्षण, मतदाताओं में जागरूकता,नशे से परहेज, गंगा नदी की स्वच्छता,राजनीतिक में अपराधीकरण रोकने,साईकिल पर सवार होकर चेतना जगाने का प्रयास कर रहा है।
1999 में कारगिल में घुसपैठ के खिलाफ पाकिस्तानी उच्चायोग नई दिल्ली पर समाजसेवी सरदार पतविंदर सिंह ने अपने शरीर पर पाकिस्तानी विरोधी विभिन्न सूक्ति वाक्य नारे लिखकर पाक के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया प्रयागराज से नंगे पैर ही जनरल बोगी में सवार होकर,पैरों में पड़े छालों से बेखबर होकर सिख युवक के देश प्रेम का जज्बा देखकर लोगों ने दाते तले उंगली दबा ली थी वही जज्बा 21 वर्ष बीत जाने के बाद भी मौजूद है अपनी मातृभूमि के लिए सर्वस्व त्यागने में विश्वास रखते हैं आज भी बराबर आतंकवाद के खिलाफ आवाज को विभिन्न तरीके से उठाते रहते हैं।
बहुत कम ही लोग ऐसे होते हैं समाज में जो दूसरों के लिए जीते हैं जिनका अपना कुछ होता ही नहीं उन्हें तो मात्र एक ही धुन और लगन हुआ करती है कि किस तरह से लोक कल्याण, समाज सेवा का कार्य उनके शरीर से होते रहे,वे जीते हैं तो सदैव दूसरों के लिए अपने लिए नहीं,ऐसे ही निःस्वार्थ समाज सेवी सरदार पतविंदर सिंह है।
सरदार पतविंदर सिंह एक ऐसा नाम है जो जिला प्रयागराज के गुरु नानक नगर, गुरुद्वारा रोड नैनी क्षेत्र में जन्म और पल्ला 13 वर्ष की आयु से ही समाज सेवा के क्षेत्र में उतर कर बरबस सभी को अपनी और आकर्षित कर रहा था।
समाजसेवी पतविंदर सिंह ने कहा कि आज का युवा कुछ- कुट हो गया है उसका दिल निराशा से भर गया है मानव शक्ति का यह धन व्यर्थ जा रहा है क्योंकि उसे कोई मार्ग नहीं मिल रहा है जिसके लिए जीने में मजा आए मरने में गौरव हासिल हो मानव संसाधन हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, क्योंकि वह कल के भविष्य निर्माता है युवा वर्ग स्वैच्छिक सहयोग से किस्मत बदले इसके लिए युवा वर्ग को प्रेरणा देने वाले पाठ्यक्रम की जरूरत है।