नई दिल्ली। देशव्यापी लॉकडाउन को 37 दिन हो चुके हैं, केंद्र ने कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के प्रयासों के लिए इसे 3 मई तक बढ़ा दिया है। गुरुवार तक देश में 33,000 से अधिक लोगों को संक्रमण के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया है, महामारी से 1000 से अधिक मौत हो चुकी है। महामारी ने करोड़ों लोगों को प्रभावित किया है, अरबों लोग इतिहास के सबसे बड़े तालाबंदी का सामना कर रहे रहे हैं। लेकिन लॉकडाउन के चलते भारत में कम अपराधों के परिणामस्वरूप मौतों की संख्या में गिरावट और सड़क दुर्घटनाओं में भारी कमी दर्ज की गई है।
हालांकि ऐसा कोई देश-व्यापी डेटा उपलब्ध नहीं है लेकिन कुछ राज्यों में पुलिस अधिकारियों और अस्पताल के आपातकालीन कर्मचारियों के पास दर्ज रेकॉर्ड से ये आंकड़ा निकाला गया है। केरल में एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने पुष्टि की कि 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच राज्य में हत्याओं, आत्महत्याओं, अप्राकृतिक मौतों और सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है। तिरुवनंतपुरम में राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के उप अधीक्षक करुणाकरण ने बताया कि हमने इस साल 25 मार्च से 14 अप्रैल की अवधि में हत्या के मामलों में 40% की गिरावट देखी, जबकि पिछले साल की समान अवधि के विपरीत था।
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इसी प्रकार बलात्कार के मामलों में 70% और महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के मामलों में 100% गिरावट आई है। स्वाभाविक रूप से अभी सड़क पर कम वाहन हैं, इसलिए दुर्घटनाएं भी कम हुई हैं। पुलिस के अनुसार, पिछले साल 13 हत्याओं की तुलना में इस साल की अवधि में राज्य में आठ हत्याएं हुईं। पिछले वर्ष की इसी अवधि में लापता मामलों की संख्या पिछले साल के 851 की तुलना में 132 है। वहीं, इस साल 2019 में 445 से आत्महत्याएं घटकर 192 हो गई हैं। पिछले वर्ष की इसी 21-दिवसीय अवधि में अप्राकृतिक मौतें 1052 थीं, जबकि इस वर्ष 630 थी।