बंगाल-असम में उपद्रव से रेलवे को भारी नुकसान
–भारतीय रेलवे ने कुल दर्ज कराया 75 एफआईआर
–88 करोड़ के नुकसान की पुष्टि, 100 करोड़ तक जाने की संभावना
–स्टेशनों, ट्रेनों, सिस्टम को किया डैमेज, दर्जनों ट्रेनें हुई कैंसिल
( नीता बुधौलिया)
नई दिल्ली, 20 दिसम्बर : नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सबसे पहले असम और उसके बाद पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ और आंदोलनकारियों ने ट्रेनों तथा रेलवे स्टेशनों को निशाना बनाना शुरू किया। इसके परिणामस्वरूप रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने रेल संपत्ति को सीधे तौर पर निशाना बनाया। इसमें रेलवे पटरी उखाड़ी, स्लीपर डैमेज किया, ओएचई तार को तोड़ा, आगजनी किया, ट्रेनों को क्षतिग्रस्त किया, इलेक्ट्रानिक कनेक्शन को डैमेज किया। इसके चलते कई ट्रेनों केा कैंसिल करना पड़ा। उपद्रवियों के खिलाफ भारतीय रेलवे ने सभी जगहों पर कुल 85 एफआईआर दर्ज करवाई है। इसमें सबसे ज्यादा ईस्टर्न रेलवे परिक्षेत्र (कोलकाता क्षेत्र) में नुकसान हुआ है।
इस जोन में रेलवे सुरक्षा पुलिस (आरपीएफ) ने कुल 46 एफआईआर, राजकीय रेलवे पुलिस ने 19 एफआईआर एवं स्थानीय पुलिस ने 1 एफआईआर दर्ज कराया है। इसके अलावा कोलकाता में ही पड़ते साउथ ईस्टर्न रेलवे के परिक्षेत्र में रेलवे सुरक्षा बल ने कुल 11 एफआईआर दर्ज करवाए हैं। जबकि जीआरपी ने 5 केस रजिस्टर्ड किया है। इसी प्रकार असम राज्य को जोडऩे वाले नार्थ फ्रंटियर रेलवे (एनएफआर) जोन में कुल 3 एफआईआर राजकीय रेलवे पुलिस ने दर्ज करवाया है। भारतीय रेलवे ने अब तक जो आंकड़ा जुटा पाया है उसके हिसाब से 88 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा 100 करोड़ के पार भी जा सकता है। इसमें 72 करोड़ रुपये का नुकसान साउथ ईस्टर्न रेलवे में हुआ है जो पश्चिम बंगाल के प्रमुख उपद्रवी क्षेत्रों को जोड़ता है। मंत्रालय के सूत्रों की माने तो भारतीय रेलवे सिविल डैमेज सूट करने की तैयारी कर रहा है। वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे उपद्रवों के मामले में सख्ती बरतने को कहा है।
रेलवे बोर्ड के सूत्रों के अनुसार, सबसे ज्यादा नुकसान पश्चिम बंगाल, बिहार और असम के दो दर्जन स्टेशनों में हुआ है। इनमें हावड़ा, सियालदह, उल्लूबेरिया, संकरेल, बरिया, चंगेल, लालगोला, कृष्णानगर, मालदा, तिलडंगा, मणिग्राम, लोहापुर, देवला तथा महिपाल रोड के नाम प्रमुख हैं। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में हरिश्चंद्रपुर, कटिहार तथा भालुका रोड स्टेशन सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। स्टेशनों के अलावा आंदोलनकारियों ने कई रेलवे क्रॉसिंगों और ट्रेनों को भी नुकसान पहुंचाया है।
इन सभी जगहों पर 13 से 15 दिसंबर के बीच तोडफ़ोड़ की सर्वाधिक घटनाएं दर्ज की गई। आंदोलन के दौरान मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस बयान ने आग में घी का काम किया कि रेलवे संपत्ति की रक्षा करना उनका काम नहीं है। माना जाता है कि ममता ने यह बयान रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी के बयान की प्रतिक्रिया में दिया था। अंगड़ी ने उसी दिन कर्नाटक के हुबली में कहा था कि जिन राज्यों में आंदोलनकारी रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं, मैं वहां के मुख्यमंत्रियों से कहूंगा कि उन्हें देखते ही गोली मारने के आदेश दें।
तोडफ़ोड़ करने वालों की पहचान करेगा रेलवे
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि मीडिया में आए फोटो और वीडियो, रेलवे के पास मौजूद सबूतों के आधार पर उपद्रवियों को नामजद अभियुक्त बनाया जाएगा। रेलवे का मानना है कि ऐसे मामलों में अज्ञात लोगों के खिलाफकेस होने से केस कमजोर हो जाता है। इसलिए रेलवे अपने खुफिया तंत्र से वीडियो, सीसीटीवी और तस्वीरों से उपद्रवियों की पहचान कर हर एक व्यक्ति के खिलाफ केस करने जा रहा है। यह नहीं प्रॉपर्टी के नुकसान के मामले में भी एक-एक उपद्रवी की पहचान कर उनके खिलाफ वसूली के लिए केस किया जाएगा।
आरोप साबित हुआ तो मिलेगी सजा
इंडियन रेलवे पहली बार आंदोलन के नाम पर उपद्रव करने वालों पर कठोर कार्रवाई करने जा रहा है। रेलवे इस मामले में 151 के तहत केस दर्ज कराएगा। इस एक्ट के तहत अधिकतम 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। इस मामले में दोषी ठहराए जाने और कम से कम 2 साल या अधिकतम सजा होने पर दोषी कोई चुनाव नहीं लड़ पाएगा। यही नहीं पहली बार रेलवे प्रोपर्टी को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफनुकसान की वसूली के लिए अदालत का सहारा लिया जाएगा।