—कोविड-19 के समय विश्व के लिए विलक्षण उपहार है योग :प्रोफेसर सिंह
—सोशल डिस्टेंसिंग अपनाते हुए अपने घर पर योगाभ्यास किया
प्रयागराज /टीम डिजिटल : 21 वीं शताब्दी के 20वें पायदान पर पहुंचे मानव के समक्ष कोविड-19 महामारी ने एक अस्तित्व का प्रश्न खड़ा कर दिया है। सभी भविष्य को लेकर सशंकित हैं एवं धैर्य खोते जा रहे हैं, सिवाय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने एवं भौतिक दूरी बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। ऐसी स्थिति में योग व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक संतुलन को बनाए रखने के लिए अपरिहार्य आवश्यकता है। उक्त उद्गार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर रविवार को उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने प्रयागराज में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया योग को स्वीकार करते हुए अपने व्यवहार में ला रही है। वस्तुत: योग वर्तमान शताब्दी में भारत द्वारा विश्व के कल्याण के लिए दिया गया एक विलक्षण उपहार है, जो संतुलन एवं समन्वय पर आधारित है। केवल व्यक्ति स्तर पर ही नहीं बल्कि प्रकृति एवं व्यक्ति के बीच भी संतुलन की आवश्यकता है। वस्तुतः योग जीवन जीने की एक अनूठी अवधारणा है।
केवल सांस लेने एवं सांस छोड़ने के अभ्यास का नाम योग नहीं है। इसलिए भगवान कृष्ण ने गीता में कहा कि योग: कर्मसु कौशलम यानी कुशलता पूर्वक कार्य करना ही योग है। प्रोफेसर सिंह ने इस अवसर पर सोशल मीडिया के माध्यम से विश्व विद्यालय परिवार को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन को सुखमय और आनंदमय बनाने के लिए तथा अपने कार्य को संतोषप्रद बनाने के लिए अपने जीवन में योग का प्रयोग करें। आपस में सहयोग की भावना से ही आगे बढ़ा जा सकता है।
कुलपति प्रोफेसर सिंह के निर्देश पर इस बार विश्व विद्यालय परिवार के सभी सदस्यों ने घर पर परिवार सहित योगाभ्यास किया विश्वविद्यालय के उत्तर प्रदेश में स्थित सभी क्षेत्रीय केंद्रों के समन्वयकों ने भी सोशल डिस्टेंसिंग अपनाते हुए अपने घर पर योगाभ्यास किया। इस मौेके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाक्टर एके गुप्ता सपत्निक,डॉ श्रुति अपनी बेटी के साथ एवं इंदु भूषण पांडे योगाभ्यास सहित पूरे परिवार ने योगाभ्यास किया।
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