दिल्ली-मुबंई, दिल्ली-कोलकाता में 5 साल में खत्म होगी वेटिँग
–रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने माना, रेलवे की आर्थिक स्थिति नाजुक
–रेलवे के सभी कैडर के विलय से अधिकारियों की वरिष्ठता व पदोन्नति में नुकसान नहीं
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : भारतीय रेलवे में यात्री भाड़ा को बढाऩे की चल रही कवायद को आज रेलवे बोर्ड के चेयरमैन (CRB) वीके यादव ने खारिज कर दिया है। साथ ही दावा किया है कि अगले पांच साल में देश के दो मुख्य रेलवे रूटों दिल्ली-मुबंई और दिल्ली-कोलकाता मार्गों पर चलने वाली रेलगाडिय़ों में वेटिंग टिकट की व्यवस्था खत्म हो जाएगी, और सभी को आन डिमांड कंफर्म टिकट मिलने लगेगा।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने सोमवार को पूरे साल में रेल मंत्रालय की हुई एक-एक उपलब्धियों को गिनाया। साथ ही कई दिनों से रेलवे में यात्री किराया बढ़ाने की चल रही खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि अभी फिलहाल यात्री किराया बढ़ाने की कोई सहमति नहीं बनी है।
मीडिया से बातचीत करते हुए यादव ने कहा कि रेलवे अगले 10 वर्षों में लगभग 2.6 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाले तीन अतिरिक्त माल ढुलाई गलियारों पर काम कर रहा है, जिससे रेलवे को पर्याप्त रेलगाडिय़ां चलाने के लिए मौजूदा मार्गों को मुक्त करने में मदद मिलेगी और किसी भी यात्री को प्रतीक्षा सूची टिकट नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा के दो व्यस्त मार्गों पर अगले पांच सालों के भीतर यात्री प्रतीक्षा सूची से मुक्त होने की उम्मीद कर सकते हैं, जहां सर्मिपत माल ढुलाई गलियारे (डीएफसी) पर काम चल रहा है और इसके 2021 तक पूरा होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, 160 किमी प्रति घंटे के मार्ग पर (ट्रेन की गति) को अद्यतन करने का काम पहले ही स्वीकृत हो चुका है और अगले चार वर्षों में इसे पूरा किया जाएगा। यादव ने कहा कि यात्री ट्रेनों की औसत गति में 60 प्रतिशत की वृद्धि को मंजूरी दी गई है। 2019-20 में 194 रेलगाडिय़ों को उत्कर्ष मानक में ‘अपग्रेड किया गया है, और अप्रैल-अक्टूबर 2019 के बीच 78 नई ट्रेन सेवाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने कहा कि अप्रैल-नवम्बर 2019 से 11,703 डिब्बों में 38,331 जैव शौचालय लगाये गये हैं, जिससे जैव शौचालयों की कुल संख्या 65,627 डिब्बों में 2,34,248 हो गई है। इस मौके पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने माना की रेलवे की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसे ठीक करने के लिए कई बड़े फैसले ििलए जा रहे हैं। बोर्ड का पुनर्गठन भी उसी का हिस्सा है।
पुनर्गठन से अधिकारियों में कोई नाराजगी नहीं
रेलवे बोर्ड के हुए पुनर्गठन से अधिकारियों में कोई नाराजगी नहीं है। कई दौर की हुई बैठकों के बाद अधिकारियों को समझा लिया गया है। यादव ने कहा कि रेलवे के सभी कैडर के विलय के बाद मौजूदा अधिकारियों की वरिष्ठता व पदोन्नति में नुकसान नहीं होगा। पूर्व में अधिकारी की जन्मतिथि व वरिष्ठता के अनुसार पदोन्नति मिलती थी। लेकिन, कैडर विलय के बाद अधिकारी के प्रदर्शन व साफ कैरियर के आधार पर जीएम, रेलवे बोर्ड सदस्य अथवा अध्यक्ष-सीईओ बनाया जाएगा।
2019 में रेल हादसों में नहीं गई एक भी जान
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए दावा किया रेलवे के इतिहास में वर्ष 2019 ऐसा पहला साल रहा, जिसमें रेल दुर्घटनाओं के कारण किसी भी इंसान की जान नहीं गई तथा इस साल रेलवे ने मेक इन इंडिया के तहत विश्वस्तरीय लेकिन दुनिया की सबसे सस्ती सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत के नाम से पटरी पर दौड़ायी और 114 साल पुराने रेलवे बोर्ड के सेवा तंत्र में क्रांतिकारी बदलाव किया। रेलवे बोर्ड चेयरमैन ने कहा कि रेलवे के अनुरक्षण खासकर पटरियों के नवीनीकरण एवं रखरखाव के तौर तरीकों में बदलाव का यह सुखद परिणाम रहा है कि 2019 जीरो फैटेलिटी का वर्ष रहा है और वह दिन दूर नहीं है जब रेलवे जीरो एक्सीडेंट के लक्ष्य को प्राप्त कर लेगी।
ट्रेनों की सटीक जानकारी देख सकेंगे यात्री
पिछले सात दशक में रेलवे बोर्ड हर साल टे्रनों की रफ्तार में बाधा बनने वाले कोहरे की काट नहीं ढूढ सका है, लेकिन कोहरे में फंसने वाले यात्रियों की आगामी वित्तीय वर्ष तक परेशानियां कुछ कम होने की संभावना है। रियल टाइम इनफॉमेशन सिस्टम से यात्री ट्रैक पर दौड़ती ट्रेनों की सटीक स्थिति और रफ्तार अपने मोबाइल पर देख सकेंगे। इससे रेलवे पूछताछ सेवा की गलत जानकारी से यात्रियों की ट्रेनें नहीं छूटेंगी। साथ ही प्लेटफार्म पर घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा। कोहरे के कारण हर रोज सैकड़ों ट्रेनें रद-आशिंक रद हो रही हैं। इसमें दिल्ली-मुंबई व दिल्ली-कोलकाता रेलमार्ग की टे्रनें से अधिक प्रभावित हैं। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि इसरो की सेटलाइट से रियल टाइम इनफॉमेशन सिस्टम (आरटीआईएस) तकनीक से प्रत्येक 30 सेकेंड में देशभर की टे्रनों की स्थिति का पता लगेगा। इससे ड्राइवर से बात करना अधिक आसान होगा। इससे यात्रियों को टे्रनो की सटीक जानकारी मिलेगी। इसके अलावा 10,000 इंजनों में से 60 फीसदी में ट्रेकिंग डिवाइस लग चुका है, आगामी वित्तीय वर्ष में सभी इंजनों में डिवाइस लग जाएगा।
किसी भी फैक्ट्री का निजीकरण नहीं किया जाएगा
रेलवे बोर्ड अध्यक्ष विनोद यादव ने दावा किया कि किसी भी फैक्ट्री का निजीकरण नहीं किया जाएगा। फैक्ट्रियों की क्षमता बढ़ाने व नई तकनीक के लिए निगमीकरण किया जाएगा। हालांकि इससे पहले रेल कर्मियो से सहमति ली जाएगी। इस फैसले से उनके वेतन व भत्तो में कोई कमी नहीं आएगी। राइट्स अध्ययन कर रहा है इसका ब्लू प्रिंट तैयार होने के बाद कर्मचािरयों से राय ली जाएगी। बता दें कि मॉर्डन कोच फैक्ट्री, रायबरेली, आईसीएफ चैन्नई सहित अन्य फैक्ट्रियों के निजीकरण की बात चल रही थी। हालांकि इसमें रिकार्ड कोच का उत्पादन हो रहा हे।