नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : भारतीय रेलवे (Indian Railways) की ट्रेनों की सुरक्षा की स्वदेशी उपकरण कवच को अब संचार की एलटीई (4-जी और 5-जी) आधारित किया जाएगा। इसके साथ ही करीब 12 साल के भीतर पूरे रेल नेटवर्क को कवच युक्त कर दिया जाएगा। आधुनिक संचार तकनीक वाला कवच विश्व भर में रेलवे सुरक्षा के लिए मानक समझी जाने वाली यूरोप की तकनीक ईटीसीएस से कहीं अधिक सक्षम एवं उसके ट्रेन सुरक्षा प्रणाली के बाजार में चुनौती साबित होगी। कवच को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने बुधवार को बड़ा दावा किया। रेल मंत्री वैष्णव ने कहा कि कवच दरअसल कई उपकरणों की एकीकृत प्रणाली है। स्टेशन कवच, लोको कवच, कवच टावर्स, ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी), वायरलेस लोको टावर, ट्रैक उपकरण और सिगनल, कवच प्रणाली के अंतर्गत आते हैं। इस प्रणाली में सुरक्षा प्रणाली एवं संचार प्रणाली की दो अलग अलग लेयर रखीं गयीं हैं।
-रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव का दावा, संचार की एलटीई प्रणाली का होगा इस्तेमाल
-यूरोप की ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ईटीसी के लिए चुनौती है भारतीय कवच
-अब तक 1500 किमी तक कवच वीएचएफ तकनीक काम कर रहा
-कवच लगने के बाद रेल एक्सीडेंट होने से बचाया जा सकेगा
उन्होंने कहा कि इस समय तीन कंपनियां-मेधा, एचबीएल और कार्नेक्स उत्पादन कर रहीं हैं जबकि जीजी ट्रॉनिक्स को हाल में मंजूरी दी गयी है। दो अन्य कंपनियों -क्योंसन एवं सीमेंस के प्रस्ताव विचाराधीन हैं। उन्होंने कहा कि इस साल 1500 किलोमीटर के लिए उत्पादन क्षमता विकसित हो चुकी है। आने वाले साल 2024 तक 2500 किलोमीटर और 2025 तक 5000 किलोमीटर तक की क्षमता विकसित हो जाएगी और इसके बाद 12 साल में पूरे नेटवर्क को कवच युक्त कर दिया जाएगा। बता दें कि वर्ष 2016 में लखनऊ के आरडीएसओ द्वारा विकसित ट्रेन सुरक्षा तकनीक कवच को औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रदान की थी। वर्ष 2019 तक कड़े परीक्षणों के बाद इसे देश भर में लगाने का फैसला किया गया। वर्ष 2020 में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया और वर्ष 2022 की शुरुआत में इसका उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया गया। दक्षिण मध्य रेलवे में करीब 1500 किलोमीटर तक कवच वीएचएफ तकनीक पर पहले से ही काम कर रहा है। दिसंबर 2022 में 3000 किलोमीटर तक कवच की स्थापना के लिए टेंडर निकाला गया था, उसमें बहुत तेजी से प्रगति हो रही है और अब तक करीब 500 किलोमीटर का काम लगभग पूरा हो गया है जो मार्च तक पूरी तरह से क्रियान्वित हो जाएगा। इस खंड के लिए सेफ्टी इंटीग्रेशन लेवल 4 का प्रमाणन हासिल करने की प्रक्रिया जारी है।
80 से 90 लाख रुपए प्रति किलोमीटर तक आएगी लागत
रेल मंत्री वैष्णव ने कहा कि हाल में उनकी यूरोप की यात्रा के दौरान यूरोपीय विशेषज्ञों ने विचार विमर्श में माना है कि यदि कवच प्रणाली कामयाब हो गयी तो यह प्रणाली यूरोप की ईटीसी तकनीक के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। उन्होंने कहा कि इसकी लागत 80 से 90 लाख रुपए प्रति किलोमीटर तक आएगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा टेंडर में और दिसंबर में आने वाले 3000 किलोमीटर तक कवच लगाने के टेंडर में वीएचएफ संचार तकनीक का प्रयोग का प्रावधान है। लेकिन आने वाले समय में इस 6000 किलोमीटर के कवच नेटवर्क को एलटीई (लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन) यानी 4-जी एवं 5-जी तकनीक पर अपग्रेड करने का टेंडर आएगा। आने वाले समय में जैसे जैसे संचार तकनीक अपग्रेड होगी वैसे वैसे कवच को भी उसी तकनीक पर अपग्रेड किया जाएगा।
हाथियों को ट्रेन से कटने से बचाएंगे, नयी तकनीक ईजाद
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच के साथ ही वन क्षेत्रों में हाथियों को ट्रेन से कटने से बचाने के लिए एक नयी तकनीक ईजाद की गयी है और इसे असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल, झारखंड, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु एवं उत्तराखंड में 700 किलोमीटर से अधिक रेलमार्ग पर यह तकनीक लगायी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह तकनीक ओएफसी लाइन में सेंसर के सहारे काम करेगी जो 200 मीटर दूर से हाथियों की पदचाप की तरंगों को पहचान करके इंजन में लोकोपायलट को अलार्म देख कर सतर्क कर देगी। उन्होंने इस तकनीक का नाम गजराज रखने की बात कही।
रेलमंत्री ने ममता बनर्जी के दावों को किया खारिज
रेल मंत्री वैष्णव ने तृणमूल कांग्रेस की नेता, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस दावे का खंडन किया कि उनके रेल मंत्रित्व काल में स्वचालित रेल सुरक्षा प्रणाली एसीडी क्रियान्वित कर दी गयी थी। रेल मंत्री ने कहा कि ममता बनर्जी के कार्यकाल में कुछ इंजनों में एसीडी की तकनीक प्रायोगिक तौर पर लगायी गयी थी और उनके बाद रेल मंत्री बने उनकी पार्टी के दिनेश त्रिवेदी के कार्यकाल में एसीडी के परीक्षण के बाद उसे विफल घोषित किया गया था।