—नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च के वैज्ञानिकों ने बनाई मशीन
—एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शरद के. प्रधान ने रेलवे ट्रैक सफाई वाहन का विकसित किया
—विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी प्रोग्राम ने की सहायता
नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : रेल की पटरियों की सफाई का काम हाथ से किए जाने के स्थान पर अब स्वचालित सफाई वाहनों से किया जा सकेगा हालांकि अभी भी रेल पटरियों पर पड़े मानव मल और कचरे की हाथ से सफाई का काम जारी है। देश में 1993 में हाथ से मानव मल उठाने और उसकी सफाई करने पर पाबंदी लगाई जा चुकी है लेकिन अभी भी महिलाओं और पुरुषों को रेल की पटरियों से झाड़ू और धातु की पत्तियों की मदद से मल हटाते देखा जा सकता है। रेल पटरियों से कचरा हटाए जाने के बाद उच्च दबाव वाले जेट से पानी डालकर पटरियों से मल, गंदगी, तैलीय एवं विजातीय पदार्थों को साफ किया जाता है।
भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शरद के. प्रधान ने एक बहु आयामी रेलवे ट्रैक सफाई वाहन का विकास किया है। इस वाहन का विकास भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एडवांस मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी प्रोग्राम की सहायता से किया गया है और यह मेक इन इंडिया पहल के अनुकूल है। इसके लिए एक राष्ट्रीय पेटेंट भी दे दिया गया है।
यह स्वचालित सड़क एवं रेल वाहन सूखे और गीले सक्शन सिस्टम, हवा एवं पानी की बौछार करने वाली नोजल नियंत्रण व्यवस्था से युक्त है। यह सड़क एवं रेल उपकरण बहुआयामी और आसानी से परिचालन करने योग्य है। इसमें एक डिसप्ले यूनिट है जो बेहद चुनौतीपूर्ण माहौल में भी सफाई की व्यवस्था को नियंत्रित करता है। इसके द्वारा रेल पटरियों की सफाई के लिए वाहन चालक के अलावा सिर्फ एक व्यक्ति की जरूरत होती है।
कचरा परिवहन वाहन के तौर पर भी रेल पटरी से सड़क तक इस्तेमाल
वाहन की सेक्शन प्रणाली द्वारा एक बार सूखा और गीला कचरा खींचने के बाद नोजल से पानी की बौछार होती है और जेट से गिरने वाली पानी की तेज धार किसी भी प्रकार के मानव मल अथवा अन्य प्रकार के कचरे को बहाकर साफ कर देती है। वाहन में लगी कुछ अन्य नोजल रेल पट्टरी पर कीटनाशकों का छिड़काव करती हैं ताकि उसपर मक्खियां, चूहे तथा अन्य कीटाणु नहीं पनप सकें। पानी के जेट पटरियों पर से मानव मल तथा अन्य प्रकार के गीले कचरे को पूरी तरह हटा देते हैं। सेक्शन पम्प से खींचा गया सूखा और गीला कचरा अलग-अलग टैंकों में एकत्र होता है और टैंकों के पूरा भर जाने पर इसे स्थानीय निकायों के कचरा एकत्र करने वाले स्थान पर गिरा दिया जाता है। इसमें लगी नियंत्रक लीवर से नियंत्रित टेलीस्कोपिक सेक्शन पाइप पटरी के साथ बनी नालियों से कीचड़ को साफ करती है। टेलीस्कोपिक सेक्शन पाइप को पटरियों के किनारे की नालियों की सफाई के लिए उचित तरह से सेट किया जा सकता है।
क्योंकि यह रेल एवं सड़क वाहन है तो भारतीय रेल इसे सामग्री/कचरा परिवहन वाहन के तौर पर भी रेल पटरी से सड़क तक इस्तेमाल कर सकता है।
कीटनाशक स्प्रे करने वाले वाहन के तौर पर भी इस्तेमाल होगा
इस वाहन को रखरखाव/निरीक्षण वाहन तथा कीटनाशक स्प्रे करने वाले वाहन के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जब यह वाहन सफाई के मोड में नहीं हो उस समय भारतीय रेल इसे परिवहन एवं निरीक्षण वाहन के रूप में भी इस्तेमाल कर सकता है। इसके सफलतापूर्वक विकास और परीक्षण के बाद भारतीय रेल इसे सभी स्टेशनों पर सफाई वाहन के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है। इस वाहन के रखरखाव की कीमत बहुत कम है। इसका आकार बहुत सुगठित है। यह आगे और पीछे दोनों तरफ चलाया जा सकता है तथा लगातार और रूक-रूककर काम कर सकता है। इस तरह यह मौजूदा उपलब्ध वाहनों की तुलना में कहीं बेहतर और प्रभावी वाहन साबित होगा। पायलट परीक्षण के बाद निर्माण/ उद्योग डॉक्टर शरद के. प्रधान के साथ मिलकर इसके बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उत्पादन का काम शुरू कर सकते हैं।