–झुग्गियों को हटाने के लिए 11 सितम्बर का दिया नोटिस
–सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के भीतर दिया है हटाने का आदेश
–झुग्गी बचाने के लिए सभी राजनीतिक दल मैदान में उतरे
–आप विधायक ने नोटिस फाड़ा, कांग्रेस पहुंची सुप्रीम कोर्ट
–भाजपा ने भी झुग्गी के बदले बने फ्लैट देने को कहा
नई दिल्ली / टीम डिजिटल : भारतीय रेलवे की जमीन पर बनी 48 हजार झुग्गियों को तीन महीने के अंदर हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रेलवे को आज शुक्रवार से झुग्गियां हटानी थी, लेकिन सियासी पारा गर्म होने के चलते रेलवे ने अपने कदम पीछे खींच लिए। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को एक फैसले में कहा था कि झुग्गियों को हर हाल में हटाया जाए। आदेश के बाद तुरंत रेलवे ने तुगलकाबाद सहित बाकी झुग्गियों में नोटिस चिपका दिया, साथ ही 11 सितम्बर को झुग्गी हटाने का अल्टीमेटम भी दे दिया। रेलवे की जमीन पर बसी इन झुग्गियों में चूंकि सभी राजनीतिक दलों का अच्छा खासा वोट बैेंक है, इसलिए नोटिस चिपकते ही सभी सियासी दल राजनीतिक रोटियां सेकना शुरू कर दी। हालांकि, उत्तर रेलवे की ओर से इस बावत कोई भी आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है। रेलवे का अगला कदम क्या होगा, इसपर जानने के लिए उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक राजीव चौधरी से भी पूछा गया लेकिन उन्होंने भी कुछ नहीं बोला। लेकिन दिल्ली की सियासत जमकर तेज हो गयी है। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने एक दूसरे पर बयानबाजी भी शुरू कर दी हैं।
आम आदमी पार्टी के एक विधायक ने तो रेलवे के नोटिस को ही फाड़ दिया। साथ ही दावा किया कि जब तक दिल्ली का बेटा अरविंद केजरीवाल है, तब तक दिल्ली की झुग्गियों को कोई नहीं हटा सकता। बीजेपी के नेता सदन रामवीर बिधूड़ी और आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चढ्ढा के बीच ट्विटर वॉर भी छिड़ गया। जबकि कांग्रेस के नेता अजय माकन ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए दिल्ली सरकार और रेलवे पर गुमराह करने का आरोप लगाया और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया। माकन कहते हैं कि रेल पटरियों के 60 जगहों पर 48000 अवैध झुग्गियां बनी हैं जहां सालों से लोग रहते आए हैं। अब रेल मंत्रालय दिल्ली सरकार के साथ मिलकर इन झुग्गियों को खाली करवाने के लिए रणनीति बना रहा है। नोटिस भी उसी का हिस्सा है। दक्षिणी दिल्ली के तुगलकाबाद के इस इलाके में 500 से ज्यादा अवैध झुग्गियां पटरी के नजदीक बनी हैं।
इस बावत रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने कहा था कि खुद रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस बावत बैठक की थी। हम लोग दिल्ली सरकार के साथ बैठक कर रहे हैं और एक रणनीति बना रहे हैं। तीन माह के भीतर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालन करना है।
हर चुनाव में मु्दा बनती हैं झुग्गियां
राजधानी दिल्ली में जब जब विधानसभा चुनाव आते हैं उसके दौरान तीनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने झुग्गी के बदले फ्लैट देने का वादा करते रहे हैं। करीब 16 हजार गरीबों के फ्लैट तैयार भी हैं, लेकिन सालों से उनका आवंटन ही नहीं हो पाया है। एक अनुमान के अनुसार दिल्ली में 40 फीसदी आबादी अनाधिकृत कॉलोनियों में रहती है और इन कालोनियों को वैध करने के नाम पर राजनीति भी जमकर होती है। ऐसे में झुग्गी में रहने वाले इन लोगों को पुनर्वास किए बिना हटाना रेलवे के लिए बहुत चुनौती भरा काम है।
लालू यादव ने भी दिया था झुग्गी हटाने को पैसा
रेल मंत्रालय ने कई बार अपनी जमीन खाली कराने और झुग्गी अन्य जगह बसाने को दिल्ली सरकार को पैसा दिया है। तत्कालीन रेलमंत्री लालू यादव ने दिल्ली की उस समय की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को चार करोड़ रुपये दिये थे। इससे पहले भी दिया गया था। दिल्ली सरकार को बाकी पैसा मिलाकर उनके पुनर्वास की योजना बनाना था। कई योजनाओं में इन्हे फ्लैट बाहरी दिल्ली में आवंटित हुए फिर भी झुग्गी खाली नहीं हुई। यमुना पुश्ता सुप्रीम कोर्ट ने खाली कराया था फिर वहाँ हज़ारों झुग्गियां बन रही हैं।