पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का भी उदघाटन करेंगे प्रधानमंत्री मोदी

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—7 जनवरी को शुभारंभ होने की संभावना, हरी झंडी दिखाएंगे पीएम
—जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट JNPT को यूपी के दादरी से जोड़ता है यह गलियारा
—पूर्वी डीएफसी की तर्ज पर पश्चिमी खंड में एक हिस्से का होगा शुभारंभ
—इस गलियारे पर डबल स्टेक कंटेनर वाली मालगाड़ियां भरेंगी फर्राटा
—इस कोरिडोर से जुडेंगे मुंद्रा, कांडला, पिपावाव, दहेज और हजीरा के बड़े बंदरगाह

नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : भारतीय रेलवे के ऐतिहासिक पश्चिमी Dedicated Freight Corridor का भी बहुत जल्द 7 जनवरी 2021 को औपचारिक उदघाटन हो जाएगा। संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ऐतिहासिक प्रोजक्ट का शुभारंभ करेंगे। इस कोरिडोर के पहले चरण में रेवाड़ी और मदार के बीच 306 किलोमीटर लंबे खंड में माल सेवा के वाणिज्यिक संचालन के लिए हरी झंडी दिखाएंगे। इस खंड में हरियाणा के महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी जिले में 79 किमी और राजस्थान में लगभग 227 किमी शामिल हैं। इस खंड में नौ नव निर्मित स्टेशन हैं। डब्ल्यूडीएफसी डबल स्टैक कंटेनर ऑपरेशन के लिए है। पश्चिमी समर्पित मालढुलाई गलियारा महाराष्ट्र में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट JNPT को उत्‍तर प्रदेश के दादरी से जोड़ता है। लगभग 1500 किलोमीटर के इस कॉरिडोर में गुजरात के मुंद्रा, कांडला, पिपावाव, दहेज और हजीरा के बड़े बंदरगाहों के लिए फीडर मार्ग होंगे। माल ढुलाई के लिहाज पश्चिमी डीएफसी का यह खंड अति महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे मुन्द्रा पिपावाब, कांडला एवं टूना बंदरगाह जुड़ जाएंगे।

पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का भी उदघाटन करेंगे प्रधानमंत्री मोदी
खास बात यह है कि यूपी के दादरी से जेएनपीटी 1500 किलोमीटर जब बनकर तैयार होगा तो रोज़ाना 120 डबल स्टेक कंटेनर वाली मालगाड़ियां चलायीं जा सकेंगी। मुंबई से दिल्ली से दूरी 24 घंटे में तय करेंगी। 100 किलाेमीटर प्रतिघंटा की रफतार और 80 टन प्रति वैगन माल लोड करके एक मालगाड़ी चलेगी। यह माल लगभग 1300 ट्रकों के सामान के बराबर होगा। इससे यह तय है कि माल ढुलाई की लागत में कमी आएगी।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विज़न 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का है, उसमें डीएफसी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। पश्चिमी डीएफसी एवं पूर्वी डीएफसी मिला कर करीब 2800 किलोमीटर का कार्य पूरा होने के बाद भारतीय रेलवे का 80 प्रतिशत माल ढुलाई का काम डीएफसी के पास आ जाएगा। इसके बाद मौजूदा भारतीय रेल की लाइनों पर मालगाड़ियों का बोझ खत्म होगा। उनका अनुरक्षण हो सकेगा और नयी यात्री गाड़ियां तेजगति से चलायीं जा सकेंगी।
सूत्रों के मुताबिक डीएफसी के वाणिज्यिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आठ मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क के प्रस्ताव मंजूर किये गये हैं। इन पर 15 हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा। जाहिर है कि इससे रोज़गार एवं कारोबार के नये अवसर सृजित होंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पश्चिमी डीएफसी के लिए जापान सरकार से छह अरब डॉलर का निवेश किया गया है।

CONCOR के कंटेनर डिपो भी DFC मैप पर आएंगे

पश्चिमी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में रेवाड़ी (हरियाणा में) और मदार (अजमेर के निकट) खंड पर माल गाड़ियों के वाणिज्यिक परिचालन की शुरूआत से हरियाणा और राजस्थान के रेवाड़ी-मानेसर, नारनौल, फुलेरा और किशनगढ़ क्षेत्रों में विभिन्न उद्योगों को लाभ होगा। इसके अलावा, काठवास में CONCOR के कंटेनर डिपो भी DFC मैप पर आएंगे। इस ट्रैक पर 100 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से मालगाड़ियों के चलने की उम्मीद है। इससे पहले DFCCIL ने इस स्ट्रेच पर 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से वैगन के साथ ट्रेनें सफलतापूर्वक चलाई थीं। इस मार्ग पर उपयोग किए जाने वाले वैगनों में भारतीय रेलवे में वर्तमान में उपयोग किए जा रहे वैगनों की तुलना में 14% अधिक भार वहन क्षमता है।

पूर्वी समर्पित मालढुलाई गरियारे का पहला चरण शुरू  

इससे पहले 29 दिसम्बर 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 351 किलोमीटर लम्बे पूर्वी समर्पित मालढुलाई गरियारे के एक हिस्से का शुभारंभ किया था। इस गलियारे का पहला चरण न्यू भाउपुर-न्यू खुर्जा खंड तक शुरू हो गया है। भारतीय रेलवे का पहला पूर्वी समर्पित गलियारा पंजाब के लुधियाना से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के दानकुनी को जोडता है। बीच में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार होते हुए बंगाल तक जा रहा है। यह समर्पित मालढुलाई गलियारे में कोयला खदान, थर्मल पावर प्लांट और औद्योगिक शहर हैं। इनके लिए फीडर रूट भी बनाए जा रहे हैं। इस खंड को 5,750 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। इस खंड के बन जाने से मौजूदा कानपुर-दिल्ली मुख्य लाइन पर भीड़ कम होगी और यह भारतीय रेलों की गति बढ़ाने में भी सक्षम होगा। पश्चिम बंगाल के दानकुनी से पंजाब के लुधियाना तक पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की लंबाई 1856 किलोमीटर की है।

माल ढुलाई के लिए पहले बनी थी 2 फ्रेट कॉरीडोर की योजना

बता दें कि उद्योग से बना माल बाज़ार तक पहुंचाने एवं एक्सपोर्ट के लिए उसको फिर बंदरगाहों तक पहुंचाना पड़ता है। इसी मकसद से स्थिति को बदलने के लिए फ्रेट कॉरीडोर की योजना बनाई गई थी। शुरू में 2 Dedicated Freight Corridor तैयार करने की योजना है। पूर्वी Dedicated Freight Corridor पंजाब के औद्योगिक शहर लुधियाना को पश्चिम बंगाल के दानकुनी से जोड़ रहा है। सैकड़ों किलोमीटर लंबे इस रूट में कोयला खानें हैं, थर्मल पावर प्लांट हैं, औद्योगिक शहर हैं। इनके लिए फीडर मार्ग भी बनाए जा रहे हैं। वहीं पश्चिमी Dedicated Freight Corridor महाराष्ट्र में JNPT को उत्‍तर प्रदेश के दादरी से जोड़ता है। लगभग 1500 किलोमीटर के इस कॉरिडोर में गुजरात के मुंद्रा, कांडला, पिपावाव, दहेज और हजीरा के बड़े बंदरगाहों के लिए फीडर मार्ग होंगे। इन दोनों Freight Corridor के इर्द गिर्द दिल्ली-मुंबई Industrial Corridor और अमृतसर-कोलकाता Industrial Corridor भी विकसित किए जा रहे हैं। इसी तरह उत्तर को दक्षिण से और पूर्व को पश्चिम से जोड़ने वाले ऐसे विशेष रेल कॉरिडोर से जुड़ी ज़रूरी प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं।