नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिख गुरुओं की साहस एवं सेवा की शिक्षाओं को सिख समुदाय की सफलता का मंत्र बनाते हुए कहा कि इसीलिए सिख परंपरा वास्तव में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की जीवंत परंपरा बनी है। प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार की शाम अपने सरकारी आवास सात लोक कल्याण मार्ग पर सिखों के एक प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए कही। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी मौजूद थे। सिख संगत ने प्रधानमंत्री का अभिनंदन भी किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरुद्वारों में जाना, सेवा में समय देना, लंगर पाना, सिख परिवारों के घरों पर रहना, उनके जीवन का हिस्सा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां प्रधानमंत्री आवास में भी समय समय पर सिख संतों के चरण पड़ते हैं। उनकी संगत का सौभाग्य मुझे मिलता रहता है। हमारे गुरुओं ने हमें साहस और सेवा की सीख दी है। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बिना किसी संसाधन के हमारे भारत के लोग गए, और अपने श्रम से सफलता के मुकाम हासिल किए। यही भावना आज नए भारत की भी है।
-प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आवास पर सिखों के प्रतिनिधिमंडल से की मुलाकात
-सेवा की शिक्षा ने सिखों को बनाया एक भारत श्रेष्ठ भारत की जीवंत परंपरा
-सिख समुदाय दुनिया के देशों के साथ भारत के संबंधों की एक प्रमुख कड़ी: मोदी
-गुरु नानकदेव जी ने पूरे राष्ट्र की चेतना को जगाया था
-गुरुओं ने पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण पूरे भारत की यात्राएं कीं
-हर कहीं उनकी निशानियां हैं, उनकी प्रेरणाएं हैं, उनके लिए आस्था है
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुरु नानकदेव जी ने पूरे राष्ट्र की चेतना को जगाया था, पूरे राष्ट्र को अंधकार से निकालकर प्रकाश की राह दिखाई थी। हमारे गुरुओं ने पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण पूरे भारत की यात्राएं कीं, हर कहीं उनकी निशानियां हैं, उनकी प्रेरणाएं हैं, उनके लिए आस्था है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिख समुदाय को दुनिया के देशों के साथ भारत के संबंधों की एक प्रमुख कड़ी करार दिया और कहा कि भारत की बढ़ती हुई साख से सबसे ज्यादा किसी का सिर ऊंचा होता है तो वह प्रवासी भारतीय ही हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले सिख समुदाय के लोग शामिल थे।
कनाडा, ईरान और फ्रांस सहित विभिन्न देशों की यात्राओं के दौरान प्रवासी सिखों से हुई अपनी मुलाकातों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जब भी वह विदेश दौरों पर जाते हैं, तो उन्हें सिखों के संगत का सौभाग्य मिलता है। उन्होंने कहा, सिख समुदाय ने भारत और दूसरे देशों के रिश्तों की कड़ी बनने का काम किया है। प्रधानमंत्री आवास पहुंचे सिख प्रतिनिधिमंडल में बड़ी संख्या में प्रवासी थे। मोदी ने कहा कि वह प्रवासी भारतीयों को हमेशा से भारत का राष्ट्रदूत मानते हैं। उन्होंने कहा, आप सभी भारत से बाहर मां भारती की बुलंद आवाज हैं, बुलंद पहचान हैं। भारत की प्रगति देखकर आपका भी सीना चौड़ा होता है। आपका भी सिर गर्व से ऊंचा होता है। सिख परंपरा को एक भारत, श्रेष्ठ भारत की जीवंत परंपरा बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरुओं ने आत्मसम्मान और मानव जीवन के गौरव का जो पाठ पढ़ाया, उसका प्रभाव हर सिख के जीवन में दिखता है। उन्होंने कहा, आजादी के अमृत काल में आज यही देश का भी संकल्प है। हमें आत्मनिर्भर बनना है, गरीब से गरीब व्यक्ति का जीवन बेहतर करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुरु नानकदेव जी ने पूरे राष्ट्र की चेतना को जगाया था। हमारे गुरुओं ने पूरे भारत की यात्राएं कीं, हर कहीं उनकी निशानियां हैं, प्रेरणाएं हैं। उन्होंने अपनी चरण रज से इस भूमि को पवित्र किया। सिख परंपरा वास्तव में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की जीवंत परंपरा है। उन्होंने कहा कि नया भारत, नए आयामों को छू रहा है, पूरी दुनिया पर अपनी छाप छोड़ रहा है। कोरोना महामारी का ये कालखंड इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। महामारी की शुरुआत में पुरानी सोच वाले लोग भारत को लेकर चिंताएं जाहिर कर रहे थे। लेकिन, अब लोग दुनिया को भारत का उदाहरण दे रहे हैं। हमारे गुरुओं ने हमें आत्मसम्मान और मानव जीवन के गौरव का जो पाठ पढ़ाया, उसका भी प्रभाव हमें हर सिख के जीवन में दिखता है।
Elated to host a Sikh delegation at my residence. https://t.co/gYGhd5GI6l
— Narendra Modi (@narendramodi) April 29, 2022
उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत काल में आज यही देश का भी संकल्प है। हमें आत्मनिर्भर बनना है, गरीब से गरीब व्यक्ति का जीवन बेहतर करना है।
उन्होंने कहा कि लंगर को टैक्स फ्री करने से लेकर, हरमिंदर साहिब को एफसीआरए की अनुमति तक, गुरुद्वारों के आसपास स्वच्छता बढ़ाने से लेकर उन्हें बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर से जोडऩे तक, देश आज हर संभव प्रयास कर रहा है। इसी कालखंड में करतारपुर साहिब कॉरिडॉर का निर्माण भी हुआ। पीएम मोदी ने कहा कि आजादी की लड़ाई में और आजादी के बाद भी सिख समाज का देश के लिए जो योगदान है। उसके लिए पूरा भारत कृतज्ञता अनुभव करता है।
महाराजा रणजीत सिंह का योगदान हो, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई हो या जलियांवाला बाग हो।
इनके बिना न भारत का इतिहास पूरा होता है और न हिंदुस्तान पूरा होता है।