—वैदिक काल से ही आरोग्य होने पर विशेष बल दिया जाता है: राष्ट्रपति
—विश्वविद्यालय से सम्बद्ध होकर आयुष चिकित्सा संस्थान बेहतर कार्य करेंगे
—‘आयुष’ पद्धतियों की शिक्षा एवं लोकप्रियता को और बढ़ावा मिलेगा: राष्ट्रपति
—70 एकड़ मे बन रहे विश्वविद्यालय की लागत 300 करोड़ रुपए है
—विश्वविद्यालय 03 वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा
लखनऊ /टीम डिजिटल: राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने आज जनपद गोरखपुर में विकास खण्ड भटहट के पिपरी गांव में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान भगवान इंद्रदेव भी अपना आशीर्वाद देने के लिए हमारे बीच पधारे हैं। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में मान्यता है कि शुभ कार्य संपन्न होने के दौरान यदि आकाश से पानी की बूंदे गिरने लगें, तो कहा जाता है कि कार्य शुभ से अत्युत्तम शुभम हो गया।
राष्ट्रपति ने योग के माध्यम से सामाजिक जागरण की अलख जगाने वाले गुरु गोरखनाथ के कथन का उल्लेख करते हुये कहा कि ’यद् सुखम् तद् स्वर्गम्, यद् दुःखम् तद् नरकम्’ अर्थात जो सुख है वही स्वर्ग है, और जो दुख है, वही नरक है। उन्होंने कहा कि वैदिक काल से ही आरोग्य होने पर विशेष बल दिया जाता है। वेद, पुराण, उपनिषद और प्राचीन ग्रंथों में भी आरोग्य की महत्ता के बारे में वर्णन है। उन्होंने कहा कि ‘शरीरमाद्यं खलुु धर्म साधनम्’ अर्थात शरीर ही समस्त कर्तव्यों को पूरा करने का प्रथम साधन है, इसलिए शरीर को स्वस्थ रखना बेहद आवश्यक है। शरीर निरोगी एवं स्वस्थ रहे, इसी उद्देश्य को सफल बनाने के लिए आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है। राष्ट्रपति जी ने कहा कि शिलान्यास कार्य करते हुए बेहद प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भारत में अनेक प्रकार की चिकित्सा पद्धतियां प्रचलित रही हैं। भारत सरकार ने आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धतियों, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘आयुष’ के नाम से जाना जाता है, के विकास के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। इन चिकित्सा पद्धतियों की व्यवस्थित शिक्षा और अनुसंधान के लिए भारत सरकार ने, वर्ष 2014 में‘ आयुष’ मंत्रालय का गठन किया था। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार ने भी वर्ष 2017 में आयुष विभाग की स्थापना की थी और अब, राष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से युक्त आयुष विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने का सराहनीय निर्णय लिया है।
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राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे बताया गया है कि पारम्परिक एवं प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों की विश्वसनीयता एवं स्वीकार्यता को अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप स्थापित किये जाने और जन-स्वास्थ्य में योग की उपयोगिता को देखते हुए, एक शोध संस्थान की स्थापना भी इस विश्वविद्यालय में की जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत में प्राचीन काल से ही अनेक चिकित्सा पद्धतियां प्रचलित रही हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ का जीवन उदात्त था। उन्होंने सदाचरण, ईमानदारी, कथनी व करनी के मेल और बाह्य आडंबरों से मुक्ति की शिक्षा दी। योग को उन्होंने ‘दया दान का मूल’ कहा। उनके चरित्र, व्यक्तित्व एवं योग सिद्धि से सन्त कबीर इतने प्रभावित थे कि उन्होंने गुरु गोरखनाथ को ‘कलिकाल में अमर’ कहकर उनकी प्रशस्ति की। गोस्वामी तुलसीदास ने भी योग के क्षेत्र में गुरु गोरखनाथ की प्रतिष्ठा स्वीकार करते हुए कहा कि ‘गोरख जगायो जोग’ अर्थात् गुरु गोरखनाथ ने जन-साधारण में योग का अभूतपूर्व प्रसार किया।
महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुर्वेद के रस शास्त्र के जनक
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ योग के व्यावहारिक स्वरूप एवं कई आसनों यथा गोरख आसन, मत्स्येंद्रासन तथा आयुर्वेद के रस शास्त्र के जनक हैं। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना ग्रामीण क्षेत्र में की गई है, जो कि आजादी के बाद विकास से कोसों दूर थे। विश्वविद्यालय को गांव के द्वार तक पहुंचाने का मतलब है कि विकास लोगों तक पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि समयबद्ध ढंग से इस विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य को पूरा किया जायेगा। विश्वविद्यालय वैश्विक मंच पर एक सम्मानजनक स्थान दिलाएगा।
3 वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा विश्वविद्यालय
इस अवसर पर आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी ने कहा कि यह उनके लिए हर्ष और गौरव की बात है कि राष्ट्रपति द्वारा इस विश्वविद्यालय का शिलान्यास हो रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी की भी इस संदर्भ में विशेष रुचि रही है। उन्होंने बताया कि 70 एकड़ क्षेत्रफल मे बन रहे इस विश्वविद्यालय की लागत लगभग 300 करोड़ रुपए है एवं यह विश्वविद्यालय 03 वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा।