नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : महाराष्ट्र विधानसभा में कल वीरवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट से पहले ही राजनीतिक भूचाल मच गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उद्धव ठाकरे ने 9.30 बजे फेसबुक लाइव पर संबोधन दिया और फिर अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया।त्यागपत्र से पहले फ्लोर टेस्ट के आदेश के बाद उन्होंने अपनी बात रखी। उन्होंने परोक्ष तौर पर शिवसेना के बागी गुट एकनाथ शिंदे पर हमला बोला। मुख्यमंत्री ने कहा, शिवसेना ने चाय वाले, रेहड़ी वाले को बड़ा कर नेता विधायक बनाया, लेकिन वो उसी को भूल गए। उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल के 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट कराने के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा, विधान परिषद में नामित विधायकों के प्रस्ताव पर फैसला करते तो बेहतर होता। उद्धव ठाकरे ने कहा, हमने नाराज विधायकों को मुंबई आने और अपनी बात रखने का प्रस्ताव भी दिया, इससे ज्यादा हम क्या कर सकते थे।
—सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल कोश्यारी के फैसले पर रोक लगाने से किया इनकार
—आज होगा फ्लोर टेस्ट, बीजेपी रातभर विधायकों के साथ करती रही मंथन
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार शाम को 3 घंटे 10 मिनट तक चली सुनवाई के बाद यह फैसला दिया। शिवसेना ने फ्लोर टेस्ट के खिलाफ, जबकि शिंदे गुट और राज्यपाल के वकील ने फ्लोर टेस्ट के पक्ष में दलीलें पेश कीं। शाम 5 बजकर 18 मिनट से 8 बजकर 28 मिनट तक सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है।
Interacted and met all MLAs at a meeting of @BJP4Maharashtra and independent MLAs in Mumbai with leaders @ChDadaPatil , @SMungantiwar bhau, @mipravindarekar, @girishdmahajan ji, @ShelarAshish, @cbawankule..#BJP #Maharashtra pic.twitter.com/KO5Ibt8UWh
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) June 29, 2022
सुप्रीम अदालत ने हालांकि शिवसेना व्हिप चीफ सुनील प्रभु की याचिका पर स्टे लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल के फैसले को सही कहा और 30 जून को बहुमत परीक्षण की इजाजत दे दी है। इससे पहले फ्लोर टेस्ट पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता का मामला लंबित होने से फ्लोर टेस्ट नहीं रुक सकता। इसके साथ ही सीएम उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा है। हालांकि इससे पहले सीएम उद्धव ने कैबिनेट बैठक में मंत्रियों से ढाई साल तक सहयोग करने के लिए धन्यवाद कहा। सूत्रों से जानकारी मिली है कि फ्लोर टेस्ट से पहले वो अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी राय है कि इन मसलों का सही समाधान विधानसभा का सदन ही हो सकता है। अदालत ने बोम्मई केस का हवाला देते हुए कहा कि बहुमत का फैसला तो सदन में ही हो सकता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद एनसीपी नेताओं नवाब मलिक और अनिल देशमुख को कल महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दी।
इससे पहले सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि जब डिप्टी स्पीकर पर ही सवाल है तो फिर वह कैसे सदस्यों की योग्यता पर फैसला ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट में देरी नहीं होनी चाहिए। ऐसा होता है तो फिर हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा मिल सकता है। कौल ने कहा कि राज्यपाल के फैसले में कुछ भी गलत नहीं है। विधायकों की अयोग्यता का मामला अलग है और फ्लोर टेस्ट कराने का मसला अलग है। उन्होंने महाविकास अघाड़ी को चुनौती देते हुए कहा कि यदि आपके पास संख्या है तो फ्लोर टेस्ट में आप जीत हासिल कर लेंगे। कौल ने कहा कि अल्पमत की सरकार सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही है। यदि उसके पास बहुमत है तो साबित करना ही चाहिए।
इसके अलावा अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पहले तो विधानसभा स्पीकर को लेकर ही फैसला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्पीकर पर फैसले के बाद संख्या में बड़ा बदलाव होगा। उन्होंने राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने कुछ ज्यादा ही तेजी से काम किया है। यही नहीं गवर्नर के आदेश की प्रक्रिया पर भी सिंघवी ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने इस मसले पर कैबिनेट की सलाह ही नहीं ली। उन्होंने सिर्फ नेता विपक्ष की मांग के आधार पर ही यह फैसला ले लिया।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मामले में संविधान की 10वीं अनुसूची का मजाक उड़ाया जा रहा है। शिवसेना के अधिवक्ता ने कहा कि यदि कल फ्लोर टेस्ट नहीं होगा तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘दल-बदलने वाले विधायक जनमत का प्रतिनिधित्व नहीं करते। क्या गवर्नर कोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकते कि कल फ्लोर टेस्ट न कराएं। यदि कल बहुमत परीक्षण नहीं होता है तो कौन सा आसमान टूट पड़ेगा।’ सिंघवी ने दो शर्तें रखते हुए कहा कि या तो पहले विधायकों की अयोग्यता पर फैसला हो जाए या फिर फ्लोर टेस्ट को ही टाल दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलील में कहा कि डिप्टी स्पीकर ने खुद सदस्यता रद्द करने के लिए दो दिन का वक्त दिया था। लोकतंत्र में फ्लोर टेस्ट से ही बहुमत पर फैसला संभव है। कई फैसलों में कोर्ट से 24 घंटे के भीतर फ्लोर टेस्ट का आदेश आया है। वहीं, अब डिप्टी स्पीकर कह रहे हैं कि 24 घंटे में फैसला क्यों? उधर, बहुमत परीक्षण से पहले मुंबई में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। डीसीपी रैंक के 20 अधिकारियों को सुरक्षा पर लगाया गया है।
शिवसेना की तरफ से दलील पेश करते हुए सिंघवी ने कहा कि अगर डिप्टी स्पीकर सियासी हो सकते हैं तो गवर्नर क्यों नहीं। राज्यपाल कोई पवित्र गाय नहीं है और डिप्टी स्पीकर राजनीतिक। राज्यपाल ने नेता विपक्ष से बात की लेकिन सीएम से बात तक नहीं की। उन्होंने सरकार से सलाह मशवरा तक नहीं किया। इस अनुमान पर कार्य नहीं किया जा सकता। इन्हीं राज्यपाल ने एक साल तक एमएलसी के नामांकन की अनुमति नहीं दी थी।
इस बीच एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों ने गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू होटल से चेक-आउट कर दिया है और एयरपोर्ट की ओर निकल गए हैं। खबर है कि ये विधायक गुवाहाटी से सीधे मुंबई जाने की बजाय गोवा पहुंचेंगे और वहां के ताज होटल में ठहरेगें, जहां 70 कमरे उनके लिए बुक किए गए हैं। उसके बाद गुरुवार को ये विधायक सीधे मुंबई पहुंचेंगे और फ्लोर टेस्ट में हिस्सा लेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से इतर मुंबई में सीएम उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट बैठक ली और संकेत दिया कि ये उनकी आखिरी कैबिनेट बैठक है। उन्होंने मंत्रियों से ढाई साल तक सहयोग करने के लिए धन्यवाद कहा। सूत्रों से जानकारी मिली है कि सीएम उद्धव फ्लोर टेस्ट से पहले अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
होटल से निकलने से ठीक पहले एकनाथ शिंदे ने कहा कि हमें फ्लोर टेस्ट की कोई चिंता नहीं है। बहुमत तो हमारे ही साथ है। यही नहीं होटल से निकलते हुए वह विक्ट्री साइन बनाते हुए भी नजर आए। यही नहीं उन्होंने खुद को बागी कहे जाने पर भी ऐतराज जताया। शिंदे ने कहा कि हम लोग बागी नहीं हैं बल्कि असली शिवसेना हैं। एकनाथ शिंदे ने कहा कि कल विधानसभा में बहुमत परीक्षण के बाद हमारी मीटिंग होगी।
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