नयी दिल्ली/संदीप जोशी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने मंगलवार को नये संसद भवन (new parliament building) में कार्यवाही की शुरुआत को आजादी के अमृतकाल का ‘उषा काल’ करार दिया और कहा कि जब हम नये अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं तो हमें अतीत की सभी कड़वाहटों को भूल जाना चाहिए। नये संसद भवन स्थित लोकसभा में अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संसद का नया भवन 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है। उन्होंने कहा, प्रथम सत्र के प्रथम दिवस का यह अवसर कई मायनों में अभूतपूर्व है। यह आजादी के अमृतकाल का उषाकाल है। भारत अनेक सिद्धियों के साथ नये संकल्प लेकर, नये भवन में अपना भविष्य तय करने के लिए आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, जब हम नये अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं तो हमें अतीत की सभी कड़वाहटों को भूल जाना चाहिए। इस भावना के साथ कि हम यहां से हमारे आचरण से, हमारी वाणी से, हमारे संकल्पों से जो भी करेंगे, देश के लिए, राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक के लिए वह प्रेरणा का कारण बनना चाहिए। हमें इस दायित्व को निभाने के लिए भरसक प्रयास भी करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज गणेश चर्तुथी का शुभ दिन है।
नए संसद भवन की भव्यता आधुनिक भारत का प्रतीक है, जिसमें हमारे इंजीनियर से लेकर कामगारों तक का पसीना लगा है। सभी श्रमयोगियों को मेरा हृदय से नमन। pic.twitter.com/0P3uIfLcOh
— Narendra Modi (@narendramodi) September 19, 2023
उन्होंने कहा, गणेश जी शुभता और सिद्धि के देवता हैं। गणेश जी विवेक और ज्ञान के भी दवेता हैं। इस पावन दिवस पर हमारा यह शुभारंभ संकल्प से सिद्धि की ओर एक नये विश्वास के साथ यात्रा को आरंभ करने का है। मोदी ने कहा कि आजादी के आंदोलन में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणेशोत्सव को सार्वजनिक उत्सव के रूप में प्रस्थापित करके पूरे राष्ट्र में सुराज की संकल्पना को शक्ति दी, उन्होंने स्वतंत्र भारत की प्रेरणा जगाई। प्रधानमंत्री ने कहा, आज हम गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर समृद्ध भारत की प्रेरणा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। मोदी ने कहा कि आज संवत्सरी का भी पर्व है और इस दिन को एक प्रकार से क्षमावाणी का पर्व भी कहते हैं। उन्होंने कहा कि यह ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ कहने का भी दिन है, अगर जाने-अनजाने किसी को भी दुख पहुंचाया है तो यह पर्व मन से, कर्म से, वचन से उसकी क्षमा याचना का अवसर है। उन्होंने कहा, मेरी तरफ से भी पूरी विनम्रता के साथ, पूरे हृदय से सभी संसद सदस्यों और समस्त देशवासियों को मिच्छामी दुक्कड़म। मोदी ने कहा कि विज्ञान जगत में चंद्रयान-3 की गगनचुंबी सफलता हर देशवासी को गर्व से भर रही है, भारत की अध्यक्षता में जी20 का असाधारण आयोजन विश्व में इच्छित प्रयास की उपलब्धियां हासिल करने वाला अवसर बना। उन्होंने नये संसद भवन में स्थापित किये गये ‘सेंगोल’ (राजदंड) की ओर संकेत करते हुए कहा कि यह भवन नया है, व्यवस्थाएं नई हैं, लेकिन यहां पर कल और आज को जोड़ती हुई एक बहुत बड़ी विरासत का प्रतीक भी मौजूद है, वह नया नहीं है, वह पुराना है।
Commencing a new chapter in India's vibrant democracy, the new Parliament building stands as a beacon of hope and progress. It symbolises our nation's aspirations and the boundless possibilities of our future. pic.twitter.com/JxWSVl5eLL
— Narendra Modi (@narendramodi) September 19, 2023
उन्होंने कहा कि आज जब हम नये सदन में प्रवेश कर रहे हैं, संसदीय लोकतंत्र का नया गृहप्रवेश हो रहा है, तब आजादी की पहली किरण का साक्षी रहा यह ‘सेंगोल’ आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देता रहेगा। मोदी ने कहा, यह पवित्र सेंगोल है, जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का स्पर्श हुआ था। उनके हाथों से पूजा विधि करके आजादी के पर्व का प्रारंभ हुआ था, और यह हमें बहुत महत्वपूर्ण अतीत से जोड़ता है। प्रधानमंत्री ने नये संसद भवन के निर्माण में लगे सैनिकों, इंजीनियर और कामगारों को धन्यवाद जताते हुए कहा कि उन्होंने कोरोना काल में भी लगातार काम करके इस बहुत बड़े सपने को पूरा किया है। मोदी ने कहा कि नई संसद के निर्माण के लिए 30 हजार से अधिक श्रमिकों ने पसीना बहाया है और यह कई पीढ़ियों के लिए उनका बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा, आज हम सब हमारे श्रमिकों, कामगारों, हमारे इंजीनियर का हृदय से धन्यवाद करें। इस अवसर पर 140 करोड़ देशवासियों की ओर से, लोकतंत्र की महान परंपरा की ओर से श्रमिकों का अभिनंदन।
संसद राष्ट्रसेवा का सर्वोच्च स्थान :मोदी
मोदी ने बताया कि संसद भवन में एक नई परंपरा शुरू करते हुए एक डिजिटल बुक रखी गई है, जिसमें इन श्रमिकों का पूरा परिचय रखा गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद राष्ट्रसेवा का सर्वोच्च स्थान है। उन्होंने कहा कि यह दलहित के लिए नहीं, सिर्फ देशहित के लिए है। उन्होंने नई संसद में उचित आचरण और व्यवहार रखने की लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अपेक्षाओं का उल्लेख करते हुए कहा, मैं सदन के नेता के तौर पर अपनी तरफ से आश्वासन देता हूं कि हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि आपकी (अध्यक्ष की) आशा, अपेक्षा पर खरे उतरें और अनुशासन का पालन करें। देश हमें देखता है। मोदी ने यह भी कहा कि अभी चुनाव तो दूर है और इस लोकसभा में जितना समय बचा है, उसमें सदस्यों का व्यवहार निर्धारित करेगा कि कौन सत्ता में बैठेगा और कौन विपक्ष में। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं पक्का मानता हूं कि यहां हमारा व्यवहार निर्धारित करेगा कि कौन यहां (सत्ता पक्ष की तरफ) बैठने के लिए व्यवहार करता है, कौन वहां (विपक्ष में) बैठने के लिए। आने वाले महीनों में इस अंतर को देश देखेगा। हमारे विचार अलग हो सकते हैं, विमर्श अलग हो सकते हैं, लेकिन संकल्प एकजुट होते हैं। इसलिए हमें एकजुटता के लिए भरपूर प्रयास करते रहने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी संसद ने राष्ट्रहित के तमाम बड़े अवसरों पर इसी भावना से काम किया है। मोदी ने कहा, मुझे आशा है कि नई शुरुआत के साथ इस संवाद में, चर्चा में हम इस भावना को जितना मजबूत करेंगे, आने वाली पीढ़ियों को उतनी प्रेरणा मिलेगी। संसदीय परंपराओं की लक्ष्मण रेखा का हम सभी को पालन करना चाहिए।