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Friday, November 22, 2024

‘रुद्राक्ष’ दुनिया को आपसी प्रेम, कला, संस्कृति से जोड़ने का काम करेगा

—प्रधानमंत्री मोदी ने किया अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केन्द्र ‘रुद्राक्ष’ का उद्घाटन
—‘रूद्राक्ष’ काशी की शोभा बढ़ा रहा, बनारस गीत, संगीत, धर्म, अध्यात्म, ज्ञान एवं विज्ञान का केंद्र 
—महादेव के आशीर्वाद से काशीवासियों ने विकास की गंगा बहा दी : प्रधानमंत्री 

लखनऊ/ टीम डिजिटल : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जापान भारत का स्टेटजिक व नेचुरल पार्टनर एवं सबसे विश्वसनीय मित्रों में से एक है। विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर में जापान हमारा साझेदार है। मुम्बई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल, दिल्ली-मुम्बई इण्डस्ट्रियल कॉरीडोर एवं डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जापान के सहयोग से ‘न्यू इंडिया’ की ताकत बन रहे हैं।
प्रधानमंत्री आज जनपद वाराणसी में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केन्द्र ‘रुद्राक्ष’ का उद्घाटन करने के पश्चात लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि काशी का वैभव आधुनिक स्वरूप के अस्तित्व में आ रहा है। महादेव के आशीर्वाद से काशीवासियों ने विकास की गंगा बहा दी है। आज सैकड़ों करोड़ रुपये की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास के साथ भारत एवं जापान के रिश्तों में मिठास का नया अध्याय लिखा जा रहा है। ‘रुद्राक्ष’ की भांति कुछ समय पूर्व गुजरात में भी जापानी जेन गार्डन और काइजेन अकादमी का लोकार्पण हुआ था। आज जापानी जेन गार्डन दोनों देशों के बीच सुगंध फैला रहा है।

‘रुद्राक्ष’ दुनिया को आपसी प्रेम, कला, संस्कृति से जोड़ने का काम करेगा
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में दुनिया ठहर गई तो काशी संयमित हुई, अनुशासित हुई लेकिन सृजन और विकास की धारा बहती रही। काशी के विकास के आयाम के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केन्द्र ‘रुद्राक्ष’ आज इसी रचनात्मकता और गतिशीलता का परिणाम है। इसके लिए उन्होंने काशी के हर जन को बधाई दी। भारत के परम मित्र जापान के प्रधानमंत्री श्री सुगा योशिहिडे, भारत में जापान के राजदूत सतोशी सुजुकी एवं जापान के लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि जापान के पूर्व प्रधानमंत्री  शिंजो आबे, जब वह प्रधानमंत्री के तौर पर काशी आए थे तो रुद्राक्ष के विचार पर लंबी चर्चा हुई थी। उन्होंने तत्परता के साथ इस कार्य के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया। जापान अपने परफेक्शन और प्लानिंग के लिए जाना जाता है। आज यह भव्य इमारत ‘रूद्राक्ष’ काशी की शोभा बढ़ा रही है। यह भविष्य की संभावनाओं की स्रोत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा विकास हमारे उल्लास के साथ जुड़ा होना चाहिए। विकास सबके लिए सर्वमुखी और सबको जोड़ने वाला होना चाहिए। सबके हित के लिए सबके कल्याण के लिए भगवान शिव की आंखों से गिरी अश्रुबूंद के रूप में रुद्राक्ष गिरा था। उनकी यह अश्रुबूंद मानव प्रेम का प्रतीक है। यह ‘रुद्राक्ष’ दुनिया को आपसी प्रेम, कला, संस्कृति से जोड़ने का काम करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी विश्व का सबसे पुराना एवं जीवन्त शहर है। सीर से सारनाथ ने अध्यात्म के साथ कला एवं संस्कृति को सदियों से संजोकर रखा है। तबला में बनारस की वाज शैली, ठुमरी, दादरा, खयाल, कजरी, चैती जैसी बनारस की चर्चित विख्यात गायन शैलियां हों या सारंगी, पखावज, शहनाई हो बनारस के रोम-रोम से गीत-संगीत रूपी कला झरती है। गंगा के घाटों पर अनेक कलाएं विकसित हुईं। बनारस गीत, संगीत, धर्म, अध्यात्म, ज्ञान एवं विज्ञान का केंद्र है। कल्चरल इवेंट के लिए बनारस आइडियल लोकेशन है। लोग देश-विदेश से बनारस आना चाहते हैं। सुविधा मिले तो कला जगत के लोग बनारस को प्राथमिकता देंगे। आने वाले समय में ‘रुद्राक्ष’ इन्हीें सम्भावनाओं को साकार करेगा और रचनात्मकता का केंद्र बनेगा। बनारस के कवि सम्मेलन के फैन दुनियाभर में हैं। विगत 06-07 वर्षों में बनारस के हैंडीक्राफ्ट और शिल्प को एक नई पहचान मिली है। कारोबारी गतिविधियां भी बढ़ रही हैं। ‘रूद्राक्ष कन्वेंशन सेण्टर’ का उपयोग बिजनेस में किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी का पूरा क्षेत्र साक्षात शिव है। इतनी सारी विकास परियोजनाओं से काशी का श्रंृगार हो रहा है तो बिना रुद्राक्ष के यह विकास कार्य कैसे पूरे हो सकते हैं। अब रुद्राक्ष काशी ने धारण कर लिया है तो शोभा बढ़ेगी। इसका पूरा उपयोग करते हुए इसे सांस्कृतिक सौंदर्य प्रतिभा से भी जोड़ना है। भारत जापान के रिश्तों को इससे मजबूती मिलेगी। महादेव के आशीर्वाद से ‘रूद्राक्ष’ काशी की पहचान बनेगा।

भारत व जापान की प्राचीन और अर्वाचीन मैत्री का केन्द्र बिन्दु बनेगा : आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केन्द्र ‘रुद्राक्ष’ भारत व जापान की प्राचीन और अर्वाचीन मैत्री का केन्द्र बिन्दु बनेगा। यह अपनी अद्भुत वास्तु के लिए भी जाना जाएगा। जो बाबा विश्वनाथ के प्रतीक रुद्राक्ष की प्रतिकृति के रूप में ही है। यह अनेक प्रकार की कला और साहित्य की गतिविधियों का केन्द्र बनेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि लगभग 1200 क्षमता का यह ‘रुद्राक्ष’ कन्वेंशन सेण्टर 03 वर्ष में जापान के सहयोग से बनकर तैयार हुआ। यह अद्भुत केन्द्र है, जो अनेक प्रकार के कार्यक्रमों को काशीवासियों के लिए साक्षी बनने का अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि काशी धर्म, अध्यात्म, साहित्य, कला और संगीत की पौराणिक व ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ देश का एक महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है। यहां के विद्वानों, कलाकारों, साहित्यकारों की दशकों से मांग थी कि उनके लिए कोई एक ऐसा मंच हो, जहां पर एक साथ बड़े पैमाने पर अपनी कला को देश व दुनिया के सामने प्रस्तुत कर सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ भारत व जापान की मैत्री के इस नये युग को प्रारम्भ किया। यह भारत की उस प्राचीन परम्परा की ओर लेकर जाता है, जब बौद्ध धर्म का पहला कदम जापान की धरती पर पड़ा था।

186 करोड़ रुपये की लागत से शिवलिंग के आकार में निर्मित ‘रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जापान और भारत की दोस्ती के प्रतीक 186 करोड़ रुपये की लागत से शिवलिंग के आकार में निर्मित ‘रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर’ एक अद्वितीय कन्वेंशन सेंटर है, जिसमें जापानी और भारतीय वास्तु शैलियों का संगम दिखता है। सेंटर में एक साथ 1200 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। हॉल को लोगों की संख्या के अनुरूप 2 हिस्सों में विभाजित करने की व्यवस्था की गई है। कन्वेंशन सेंटर पूर्णतया वातुनुकुलित है। बड़े हॉल के अलावा 150 लोगों की क्षमता वाला एक मीटिंग हॉल है। इसके अतिरिक्त यहां एक वीआईपी कक्ष, चार ग्रीन रूम का निर्माण कराया गया है। दिव्यांगजन की सुविधा की दृष्टि से पूरे परिसर को सुविधाजनक बनाया गया है।

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