–केंद्रीय मत्री पासवान के निधन से खत्म हुई सहयोगी दलों की नुमाइंदगी
–मंत्रिपरिषद में सहयोगी दल से केवल एक राज्यमंत्री रामदास अठावले ह
–पिछले साल शिवसेना, इस साल अकाली दल ने छोड़ी है सरकार और एनडीए
–केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या 21 हो गई, सभी भाजपाई
–जेडीयू जैसी बड़ी पार्टी केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं
(खुशबू पाण्डेय)
नई दिल्ली / टीम डिजिटल : उपभोक्ता मामले तथा खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद मोदी कैबिनेट में अब एनडीए सहयोगी दल से कोई मंत्री नहीं है। मंत्रिमंडल में सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधि बचे हैँ। हालांकि, मंत्रिपरिषद में सहयोगी दल से केवल एक राज्यमंत्री आरपीआई (ए) के रामदास अठावले हैं, वे सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री हैं। शिवसेना ने पिछले साल नवंबर में एनडीए छोड़ दिया था। तब अरविंद सावंत ने कैबिनेट में भारी उद्योग मंत्रालय के मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद इस साल सितंबर में शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। कृषि सुधार कानूनों के विरोध में शिअद राजग से भी अलग हो चुका है। एनडीए में वैसे तो एक दर्जन से अधिक पार्टियां हैं लेकिन जेडीयू जैसी बड़ी पार्टी केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं है। रामविलास पासवान दो महत्वपूर्ण कैबिनेट समितियों के सदस्य भी थे। पासवान राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति और संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति के सदस्य थे।
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इसके अलावा पिछले महीने कनार्टक से भाजपा के वरिष्ठ नेता और रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी का भी निधन हो गया था। अब दो मंत्रियों के निधन और दो सहयोगी दलों के राजग से अलग होने के बाद इस्तीफे से केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या 21 हो गई है। सभी भाजपा के हैं। मंत्रिपरिषद में नौ सदस्य बतौर राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं, जबकि अठावले सहित 23 राज्यमंत्री हैं। मंत्रिपरिषद के सदस्यों की कुल संख्या 53 हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में जब अपनी मंत्रिपरिषद का गठन किया था उस वक्त उसमें भाजपा सहित विभिन्न सहयोगी दलों के 57 नेताओं को जगह दी गई थी। पासवान, बादल और सावंत सहित कुल 24 नेताओं को केबिनेट मंत्री बनाया गया था वहीं अठावले को राज्यमंत्री का दर्जा मिला था। एक साल से अधिक कार्यकाल हो जाने के बावजूद मोदी मंत्रिमंडल में अभी तक कोई विस्तार या फेरबदल नहीं हुआ है। नियमों के मुताबिक केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा की कुल सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। इस लिहाज से केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्यों की कुल संख्या 81 तक हो सकती है। प्रधानमंत्री मोदी चाहें तो अभी भी वह 27 नेताओं को अपनी मंत्रिपरिषद में शामिल कर सकते हैं। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिपरिषद में विस्तार और फेरबदल के आसार मजबूत हुए हैं।
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भाजपा सूत्रों के मुताबिक बिहार विधानसभा चुनाव के बाद इस बहुप्रतीक्षित विस्तार और बदलाव को मूर्त रूप दिया जा सकता है। हाल ही में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की घोषणा की थी। उन्होंने राम माधव, मुरलीधर राव, सरोज पांडेय और अनिल जैन को महासचिव पद से हटा दिया था। इसके अलावा ओम माथुर, विनय सहस्रबुद्धे और उमा भारती जैसे कई नेताओं की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से छुट्टी कर दी गई है। इसके अलावा केंद्र सरकार में कई मंत्री ऐसे भी हैं जिनके पास कई मंत्रालयों का जिम्मा है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ग्रामीण विकास के साथ पंचायती राज मंत्रालय भी संभाल रहे हैं।
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हाल ही में हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे के बाद उन्हें खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पासवान के निधन के बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल को उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। गोयल के पास वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का भी जिम्मा है। इसी प्रकार केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ-साथ वन और पर्यावरण मंत्रालय तथा भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय की जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे हैं। भाजपा संगठन में हुए व्यापक बदलावों, मंत्रिपरिषद में रिक्त हुए पदों तथा सहयोगियों की लगभग नगण्य मौजूदगी और मंत्रियों के जिम्मे अनेक मंत्रालयों व विभागों के कार्य के बोझ को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिपरिषद में विस्तार और फेरबदल की संभावनाओं को बल मिला है। इसके अलावा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए मध्य प्रदेश के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कैबिनेट का इंतजार कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में अभी उपचुनाव है। इसके बाद संभव है कि उन्हें इनाम मिल सकता है।