नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय : 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP)ने बुधवार को पार्टी संगठन को मजबूत करने और देश भर के उन करीब 74,000 चुनाव बूथ तक पहुंच गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सप्ताहभर के अभियान की शुरुआत की, जहां वह अपेक्षाकृत कमजोर है। इसको लेकर भाजपा मुख्यालय में विशेष आयोजन किया गया। भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने बूथ सशक्तिकरण अभियान का शुभारंभ किया। बैठक में देश भर के कई केंद्रीय मंत्री और नेता शामिल हुए। अभियान 31 मई तक चलेगा। भाजपा ने प्रचार के लिए पार्टी उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। पार्टी उपाध्यक्ष दिलीप घोष, महासचिव सी टी रवि और पार्टी के अनुसूचित जाति (एससी) मोर्चा के प्रमुख लाल ङ्क्षसह आर्य इसके सदस्य हैं। पार्टी ने देश भर में लगभग 74,000 बूथ की पहचान की है जिन्हें अभियान के तहत मजबूत किया जाना है।
-2024 लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने शुरू की कवायद
-दिल्ली में पार्टी ने शुरू किया बूथ मजबूत करने का अभियान
-सांसद अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में 100 कमजोर बूथ को मजबूत करेंगे
-विधायकों को भी 10 कमजोर बूथ को मजबूत करने का काम सौंपा
–राज्यसभा सांसदों को कमजोर लोकसभा क्षेत्रों पर लगाई ड्यूटी
सूत्रों के मुताबिक पार्टी के सभी सांसदों को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में 100 कमजोर बूथ को मजबूत करने के लिए कहा गया है और इसके लिए 30 सदस्यीय टीम का गठन किया जाएगा। इसी तरह पार्टी विधायकों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों में 10 कमजोर बूथ को मजबूत करने का काम सौंपा गया है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के राज्यसभा सांसदों को उन लोकसभा क्षेत्रों में मतदान केंद्रों को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है जहां पार्टी हार गई थी। कमजोर बूथ की पहचान 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और राज्य विधानसभा चुनावों के परिणामों के आधार पर की गई है। इन बूथ को जनसांख्यिकी, संगठनात्मक ताकत और अन्य पहलुओं के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है।
सूत्रों ने कहा कि इस अभियान के तहत भाजपा नेताओं को एक टीम बनानी होगी, उन्हें प्रशिक्षित करना होगा और फिर इन कमजोर मतदान केंद्रों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में पहुंच गतिविधियों को अंजाम देना होगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभाॢथयों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कवायद के पीछे व्यापक विचार भाजपा के आधार का विस्तार करना और अगले लोकसभा चुनाव में सीटों की संख्या बढ़ाना है।
बता दें कि इसी तरह की कवायद भाजपा द्वारा 2016 में शुरू की गई थी और पार्टी ने छह राज्यों – ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और पूर्वोत्तर में लगभग 115 निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान की थी। पार्टी उस समय तक इन निर्वाचन क्षेत्रों में कभी भी जीत हासिल नहीं कर पाई थी। भाजपा नेताओं का मानना है कि इस कवायद के परिणामस्वरूप, भाजपा ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अपनी स्थिति में काफी सुधार किया और 2019 के लोकसभा चुनावों में सीटों की संख्या में वृद्धि की।