नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में इस साल के अंत में विधानसभा चुनावों के पहले सरकार एवं संगठन में बदलाव की तमाम अटकलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की पहले बड़े चुनावी कार्यक्रम के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के साथ निकटता के प्रदर्शन से राज्य के तमाम भाजपा नेताओं (BJP leaders) के पसीने छूट गये हैं। भोपाल में मंगलवार को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के उद्घाटन एवं भाजपा बूथ कार्यकर्ताओं के साथ करीब तीन घंटे के कार्यक्रम के बाद पीएम नरेंद्र मोदी का सिंधिया के साथ गुफ्तगू करना और फिर प्रधानमंत्री के विशेष विमान से सिंधिया का दिल्ली लौटना, मध्य प्रदेश भाजपा के उन नेताओं के लिए संदेश दे गया जो दिन रात सिंधिया को दरकिनार करने और उनके नाम को विवादित करने का षडयंत्र करने में लगे हैं।
-भोपाल से लौटते समय PM ने सिंधिया को अपने जहाज में बैठाया, लाए दिल्ली
-PM से सिंधिया निकटता देख गरमाई सियासत, हैरत में MP के नेता
-भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस के बड़े नेताओं के बीच भी चर्चा गरम
-दिल्ली से लेकर भोपाल तक बड़े संगठनात्मक बदलाव के संकेत
प्रधानमंत्री के मध्यप्रदेश दौरे के खत्म होने के बाद ही राज्य भर में ना केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस के बड़े नेताओं की चर्चा में यह चर्चा गरम रही। दरअसल भोपाल में अपने कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री मोदी जब दिल्ली वापस लौटने से पहले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत करने लगे। अचानक से वार्तालाप में प्रधानमंत्री ने सिंधिया को अपने साथ वापस दिल्ली चलने को कहा। इस पर सिंधिया पीएम के विशेष विमान में सवार हो गए। जाहिर है कि रास्ते में दोनों के बीच लंबी गुफ्तगू हुई होगी। आगामी मध्यप्रदेश चुनावों को देखते हुए प्रधानमंत्री का सिंधिया को अपने साथ दिल्ली लाना भोपाल को राजनीतिक संकेत और संदेश दोनों दे गया जो आम अटकलों से भिन्न है। राजनीति के पंडित भी दांतों तले उंगली दबाए इस दृश्य को देखते रहे। दरअसल, मध्य प्रदेश में अटकलें जोरों पर हैं कि सिंधिया समर्थक विधायकों एवं मंत्रियों के टिकट संकट में हैं और भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता भी सिंधिया को नापसंद करते हैं। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी मध्य प्रदेश को बार-बार इशारा करते रहे हैं कि सिंधिया उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री कई बार सिंधिया को अपने साथ विमान में ले जा चुके है। यह भी साफ हो चुका है कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) का शीर्ष नेतृत्व भी सिंधिया के साथ बहुत मजबूती के साथ खड़ा है। सूत्रों के माने तो राज्य में मौजूदा नेतृत्व की छवि मलिन हो चुकी है और कांग्रेस विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भाजपा के असंतुष्ट नेताओं के साथ संपर्क करके केवल सिंधिया के खिलाफ माहौल बनाने में लगे हुए हैं। कई जिलों में भाजपा सरकार के खिलाफ स्थानीय नेताओं के असंतोष को सिंधिया विरोध का रूप देने का षडयंत्र करने वाले भाजपा के बड़े नेताओं की भी दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) से साठगांठ है। ऐसे समय में भाजपा के शीर्ष नेता प्रधानमंत्री मोदी का फिर से सिंधिया के साथ होने का संकेत देना यह साफ कर गया है कि मोदी सिंधिया विरोध के षड्यंत्र एवं गुटबाजी की असलियत जानते हैं और ऐसे षड्यंत्रों की उनके लिए कोई अहमियत नहीं है। लिहाजा इस पर अब विराम लगना चाहिए और सबको मिल कर विधानसभा चुनाव जीतने की कोशिश में जुटना चाहिए। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party), संगठन और सरकार में बड़े स्तर पर फेरबदल की चर्चाएं तेज हो गई हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता पर यकीन करें तो बहुत जल्द कई बदलाव होने की संभावना प्रबल है। इसमें चुनावी राज्य भी शामिल हैं।