लोकमान्य तिलक ने स्वतन्त्रता आंदोलन की दिशा और दशा बदली
–तिलक की 100वीं पुण्यतिथि पर बोले गृहमंत्री अमित शाह
-दिल्ली में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार शुरू, जुटे दिग्गज
-तिलक के स्वराज के नारे ने समाज को जनचेतना दी : अमित शाह
–कहा-मरण और स्मरण में आधे अक्षर का अंतर है
नई दिल्ली /टीम डिजिटल : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज यहां कहा कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने ही वास्तव में भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन को भारतीय बनाया। उन्होंने अपने जीवन का क्षण-क्षण राष्ट्र को समर्पित कर क्रांतिकारियों की एक वैचारिक पीढ़ी तैयार की। अमित शाह ने कहा कि बाल गंगाधर तिलक भारतीय संस्कृति के गौरव के आधार पर देशवासियों में राष्ट्रप्रेम उत्पन्न करना चाहते थे, इस संदर्भ में उन्होंने व्यायामशालाएं, अखाड़े, गौ-हत्या विरोधी संस्थाएं स्थापित की।
अमित शाह आज यहां भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा आयोजित ‘लोकमान्य तिलक – स्वराज से आत्मनिर्भर भारत विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। अमित शाह ने कहा कि मरण और स्मरण में आधे अक्षर का अंतर है, लेकिन यह आधा ‘स जोडऩे के लिए पूरे जीवन का त्याग करना पड़ता है और तिलक जी इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं।
तिलक जी का 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' का नारा आज भले ही सामान्य लगता हो परन्तु 19वीं सदी में बहुत कम लोग ऐसा बोल सकते थे व उसको चरितार्थ करने के लिए अपना जीवन खपा सकते थे।
स्वराज का यह वाक्य स्वतंत्रता इतिहास में हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखा रहेगा। pic.twitter.com/56YNmnVEtu
— Amit Shah (@AmitShah) August 1, 2020
लोकमान्य तिलक के स्वराज के नारे ने भारतीय समाज को जनचेतना देने और स्वतन्त्रता आंदोलन को लोक-आंदोलन में बदलने का काम किया। यही कारण है कि लोकमान्य तिलक का स्वभाषा और स्वसंस्कृति का जो आग्रह था उसे मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति में शामिल किया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि तिलक ने अंग्रेजों के विरुद्ध आवाज बुलंद कर ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगाÓ का जो नारा दिया वह भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन के इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में लिखा रहेगा। शाह ने कहा कि आज यह बहुत सहज लगता है, लेकिन 19 वीं शताब्दी में यह बोलना और उसे चरितार्थ करने के लिए अपना पूरा जीवन खपा देने का काम बहुत कम लोग ही कर सकते थे। लोकमान्य तिलक के इस वाक्य ने भारतीय समाज को जनचेतना देने और स्वतन्त्रता आंदोलन को लोक-आंदोलन में बदलने का काम किया, इस कारण स्वत: ही लोकमान्य की उपाधि उनके नाम से जुड़ गई।
जेल में रहते हुए तिलक ने ‘गीता रहस्य लिखा
गृह मंत्री ने कहा कि तिलक से पूर्व ‘गीता के सन्यास भाव को लोग जानते थे लेकिन जेल में रहते हुए तिलक ने ‘गीता रहस्य लिखकर गीता के अन्दर के कर्मयोग को लोगों के सामने लाने का काम किया और लोकमान्य तिलक द्वारा रचित ‘गीता रहस्य आज भी लोगों का मार्गदर्शन कर रही है।
अमित शाह ने कहा कि भारत, भारतीय संस्कृति और भारतीय जनमानस को समझने वाले लोकमान्य तिलक आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं । उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि यदि भारत और भारत के गरिमामय इतिहास को जानना है तो बाल गंगाधर तिलक को बार-बार पढऩा होगा । उन्होंने युवाओं से यह भी कहा कि हर बार पढऩे से तिलक जी के महान व्यक्तित्व के बारे में कुछ नया ज्ञान प्राप्त होगा और उनसे प्रेरणा लेकर युवा जीवन में नई ऊंचाई हासिल कर सकेंगे ।
न्यू इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के माध्यम से आगे बढ़ाया
अमित शाह ने कहा कि लोकमान्य तिलक का स्वभाषा और स्वसंस्कृति का जो आग्रह था उसे मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति में शामिल किया गया है । तिलक के विचारों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की न्यू इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है। लोकमान्य तिलक ने कहा था कि सच्चे राष्ट्रवाद का निर्माण पुरानी नींव के आधार पर ही हो सकता है, जो सुधार पुरातन के प्रति घोर असम्मान की भावना पर आधारित है उसे सच्चा राष्ट्रवाद रचनात्मक कार्य नहीं समझता।
मजदूर वर्ग को राष्ट्रीय आंदोलन में जोडऩे के लिए महत्वपूर्ण काम किया
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मजदूर वर्ग को राष्ट्रीय आंदोलन में जोडऩे के लिए भी लोकमान्य तिलक ने महत्वपूर्ण काम किया। साथ ही लोगों को स्वाधीनता आंदोलन से जोडऩे के लिए लोकमान्य तिलक ने शिवाजी जयंती और सार्वजनिक गणेश उत्सवों को लोकउत्सव के रूप में मनाने की शुरूआत की जिससे भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन की दिशा और दशा दोनों बदल गई।