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Friday, November 22, 2024

किसान आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार, अब करेंगे भूख हड़ताल, महिलाएं भी उतरी

-ट्रैक्टरों में भरकर दिल्ली के लिए निकले किसान, दिल्ली-जयपुर हाईवे अभी से ही जाम
—किसान वार्ता को तैयार, लेकिन, पहले रद्द हो तीनों कृषि कानून
—सोमवार सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक होगी भूख हड़ताल
—देशभर के सभी जिला मुख्यालयों पर धरने भी दिए जाएंगे

नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय ।  केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 17 दिनों से दिल्ली को घेरे सीमा पर बैठे किसानों का आंदोलन रफ्तार पकड़ने लगा है। पूर्व घोषित कार्यक्रम के मुताबिक किसान जगह-जगह से ट्रैक्टर रैली लेकर दिल्ली की ओर आ रहे हैं। इसके चलते रविवार को ही दिल्ली-जयपुर हाईवे पर जाम की नौबत बन गई। वहीं सभी किसान संघों के प्रमुखों ने सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल करने का ऐलान किया है। जिला स्तर पर भी किसान प्रदर्शन कर अपना विरोध जताएंगे।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने रविवार को यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि सोमवार सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक होने वाली यह भूख हड़ताल 14 दिसम्बर से आंदोलन को तेज करने की किसानों की योजना का हिस्सा है। सिंघू बॉर्डर पर संवाददाताओं से बातचीत में चढूनी ने कहा कि नेता अपने-अपने स्थानों पर भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने कहा कि देशभर के सभी जिला मुख्यालयों पर धरने भी दिए जाएंगे। प्रदर्शन इसी प्रकार चलता रहेगा। चढूनी ने कहा कि कुछ समूह प्रदर्शन खत्म कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वे सरकार द्वारा पारित कानूनों के पक्ष में हैं। हम स्पष्ट करते हैं कि वे हमसे नहीं जुड़े हैं। उनकी सरकार के साथ साठगांठ है। उन्होंने हमारे आंदोलन को कमजोर करने का षड्य़ंत्र रचा। सरकार किसानों के प्रदर्शन को खत्म करने के लिये साजिश रच रही है।
किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि सरकारी एजेसियां किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोक रही हैं, लेकिन जब तक उनकी मांगें नहीं मान ली जातीं तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारा रुख स्पष्ट है, हम चाहते हैं कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए। इस आंदोलन में भाग ले रहे सभी किसान संघ एकजुट हैं। एक और किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार बातचीत का एक और प्रस्ताव रखती है तो हमारी कमेटी उस पर विचार करेगी। हम सभी से प्रदर्शन के दौरान शांति बरकरार रखने की अपील करते हैं। किसान नेता संदीप गिड्डे ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 19 दिसम्बर से प्रस्तावित किसानों की अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल रद्द कर दी गई है। इसके बजाय सोमवार को दिनभर की भूख हड़ताल की जाएगी।

किसान आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार, अब करेंगे भूख हड़ताल, महिलाएं भी उतरी
इस बीच किसानों का एक समूह राजस्थान-हरियाणा बार्डर से टैक्टर ट्रालियां लेकर दिल्ली की ओर से चल पड़ा है। इसी तरह सोमवार को अलग-अलग जगहों से किसान ट्रैक्टर रैली लेकर दिल्ली पहुंचने की कोशिश करेंगे। किसानों ने पहले ही दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा, यमुना एक्सप्रेस वे को बंद करने का ऐलान कर रखा है। इसे देखते हुए पुलिस ने चौकसी बढ़ा दी है। हाईवे पर हरियाणा पुलिस के साथ ही सीआरपीएफ का भारी बंदोबस्त किया गया है और जगह-जगह बड़े बड़े पत्थर लगा कर किसानों को दिल्ली आने से रोकने का प्रयास किया जा रहा है। इसके चलते दिल्ली आने वाले कई मार्गों पर जाम की नौबत बन गई है। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की है।

समर्थन में तोमर से मिले उत्तराखंड के किसान

तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच ही रविवार को उत्तराखंड के किसानों का एक समूह ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से उनके आवास पर मुलाकात की। इन किसानों ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए किसानी के लिए लाभकारी बताया है। ऊधमसिंह नगर क्षेत्र से सरदार चरनजीत सिंह समेत पचास से ज्यादा किसानों ने कृषि मंत्री से भेंट की।

आंदोलन में ‘राष्ट्र-विरोधी तत्व’ पर नजर रखेंगे टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत से आज जब यह पूछा गया कि क्या ‘राष्ट्र-विरोधी तत्व’ आंदोलन में शामिल हो गए हैं? तो उन्होंने कहा कि अगर किसी प्रतिबंधित संगठन के लोग हमारे बीच घूम रहे हैं, तो उन्हें सलाखों के पीछे डाल दें। पुलिस और खुफिया एजेंसियों को उन्हें जरूर पकड़ना चाहिए। हमें ऐसा कोई व्यक्ति यहां नहीं मिला, अगर हम ऐसा कोई मिला तो हम उन्हें वापस भेज देंगे। भाकियू नेता ने कहा कि जबतक सरकार तीनों नये कानूनों को निरस्त नहीं करती है तब तक घर लौटने का सवाल ही नहीं है।

किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 17वां दिन है। सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान कर चुके किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने अपने आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही पंजाब-हरियाणा समेत कई जगहों पर किसानों द्वारा टोल फ्री कराए जाने के बाद अलग-अलग राज्यों से किसानों के जत्थे दिल्ली की ओर कूच करने लगे हैं।

क्या है तीनों कानून…

बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।

 जालंधर, अमृतसर एवं चंडीगढ से बच्चों के साथ पहुंची महिलाएं

किसान आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार, अब करेंगे भूख हड़ताल, महिलाएं भी उतरी

सिंधू बार्डर पर 17 दिनों से अपने हक के लिए बैठे सैकडों किसानों का हौंसला बढाने के लिए रविवार को जालंधर, अमृतसर एवं चंडीगढ से कई परिवार भी शामिल हुए। इसमें छोटे—छोटे बच्चे भी शामिल हुए। जालंधर से आई सुखजिंदर कौर बडैच, कुलजीत कौर, सरबजीत कौर ने रविवार को दिनभर सिंधू बार्डर पर आंदोलनकारी किसानों के बीच जाकर उनका हौंसला बढाया। इनके साथ इनके बच्चे भी इस आंदोलन के गवाह बने। सुखजिंदर कौर कहती हैं कि केंद्र सरकार को तीनों कृषि बिल वापस ले लेना चाहिए। सरकार को किसानों के बीच आकर उनका दर्द भी समझना चाहिए, तब जाकर सरकार सही न्याय कर सकेगी।

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