नई दिल्ली, साधना मिश्रा: विश्वव्यापी कोरोना वायरस महामारी से एक तरफ पूरी दुनिया जूझ रही है। वही दूसरी तरफ इजराइल और फिलिस्तीन के बीच छिड़ी जंग थमने का नाम नही ले रही है। इजराइली रॉकेट हमलो से गाजा पट्टी के लोग दहशत में है। इसी बीच गाजा से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जिस पर यकीन कर पाना शायद ही मुमकिन हो।
हमले के दौरान महिला समेत चार बच्चों की मौत
जाको राखे साईयां मार सके ना कोई ये कहावत तो सब ने सुनी ही होगी। ऐसा ही कुछ इजराइली रॉकेट हमलो के दौरान हुआ जहां एक महिला और उसके चार बच्चों की मौत हो गई, वहीं इस महिला की गोद में पांच महीने का मासूम बच्चा सुरक्षित बच गया। इस बच्चें का नाम उमर है।
महिला की गोद में पांच महीने का बच्चा सुरक्षित मिला
इजराइल द्वारा गाजा पट्टी पर किए जा रहे हमले से हमास के लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित है। इजराइली हमलो के दौरान उमर के लिए उसकी मां की गोद सुरक्षा कवच बन गई। हमले के बाद बचावकर्मियों ने पांच माह के मासूम को उसकी मां की गोद में पाया, वह सुरक्षित था, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया।
Will the @UN remember today that if they lived in Israel, 70% of their friends and family would be running to bomb shelters too? pic.twitter.com/uWkc6qVcxv
— Israel Defense Forces (@IDF) May 16, 2021
बच्चे को जीवित देख फूट-फूट कर रोए पिता
हालांकि पांच महीने के इस बच्चे को सही सलामत गाजा के एक अस्पताल में प्राथमिक उपचार के लिए भेज दिया गया, जहां उमर के पिता मोहम्मद अल-हदीदी मौजूद थे। पिता ने अपने बच्चे को देख उसे गले लगा लिया और फूट-फूट कर रोने लगे। बता दें कि बीते शनिवार को हुए इजराइली हमले के दौरान मोहम्मद अल-हदीदी (Mohammad al-hadidi) की पत्नी अबु हत्तब (Abu Huttab) और उनके चार बच्चों की मौत हो गई, जबकि मां की गोद में लेटा उमर जीवित बच गया। हालांकि उसके पैर में चोट आई है, जिस पर प्लास्टर चढ़ाया गया है।
आखिरी रोजा भाई के साथ मनाने गई थी पत्नी
हमले में अपने परिवार को खो चुके मोहम्मद अल-हदीदी अपने बच्चें को गोद में लेकर कहते है कि सभी उन्हें अकेला छोड़कर चले गए, अब वो भी जीना नही चाहते है। हदीदी ने उस दिन के बारे में बताते हुए कहा कि उस दिन ईद-उल फितर का आखिरी रोजा था, और अबु हत्तब (पत्नी) बच्चों को लेकर शरणार्थी कैंप में रह रहे अपने भाई के पास गई हुई थी। रात में सबको वापस लौटना था, लेकिन भाई के जिद करने पर वे सब वही रुक गए।
हमले में मासूम उमर ही बच पाया जीवित
मोहम्मद अल-हदीदी ने आगे बताया कि उस रात वह अपने घर पर ही सो रहा था, तभी पड़ोसी ने आकर जानकारी दी, कि उसके साले के यहां धमाका हुआ है। जब वह अपने साले के यहां पहुंचा, तो वहां का नजारा देखकर उसके पैरो तले जमीन खिसक गई। मलबे में तब्दील हुए घर ने उसकी दुनिया उजाड़ कर रख दी। उस हमले में सिर्फ वह पांच माह का मासूम उमर ही जीवित बचा पाया था।