-कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की अनोखी पहल
— जेल में बंद कैदियों के हुनर को निखार बना रही है रोजगार के काबिल
–27 राज्यों की जेलों में बंद 44,809 कैदी हुए लाभान्वित, पहल से जुड़े
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : नामी दुकानों और ब्रांड्स की मिठाई, नमकीन और पकवानों का तो स्वाद आपने चखा ही होगा, अब तिहाड़ से लेकर पुलवामा जेल में बंद कैदियों के हाथों से बने लजीज व्यंजन, मिठाई और नमकीन का स्वाद भी चख सकेंगे। ये वे कैदी हैं, जो अलग-अलग धाराओं के तहत जेल में सजा काट रहे हैं। जेल की चार दीवारी में बंद इन कैदियों में सुधार लाने के साथ-साथ इनके भीतर के हुनर को पहचान दिला कर उनमें बदलाव लाने का काम कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय कर रहा है। जेल में बंद कैदी कहते हैं कि मंत्रालय ने उनके हुनर को निखार कर उन्हें जीने की नई राह दिखाई है। हालात यह हो गई है कि जिनके हाथों में कभी बंदूक और हथियार हुआ करते थे, उन हाथों की अंगुलियां अब कंप्यूटर के की-बोर्ड पर दौड़ रही हैं। जो कभी अपराधी हुआ करते थे, अब दर्जी, बढ़ई, हलवाई, इलेक्ट्रीशियन, माली, प्लंबर बन गए हैं। ये संभव हुआ है भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालाय के प्रोजेक्ट सृजन से। प्रोजेक्ट सृजन ने न केवल इन अपराधियों के व्यवहार में बदलाव लाया है, बल्कि वे एक बार फिर से समाज के मुख्य धारा से जुड़कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालाय द्वारा देश के अलग-अलग जेलों में प्रोजेक्ट सृजन चलाया गया। साल 2018 से शुरू किए इस प्रोजेक्ट में अब तक कई तरह के कौशल विकास के प्रशिक्षण कार्यक्रम करवाए गए हैं। मंत्रालय द्वारा डाटा इंट्री आपरेटर, प्लंबिंग, इलेक्ट्रीशियन, टेलरिंग, माली, हैंडीक्राफ्ट समेत मिठाई और नमकीन बनाने के काम का प्रशिक्षण जेल के भीतर ही कैदियों को दिया गया है। वर्ष 2018 से 2020 के दौरान 27 राज्यों के विभिन्न जेलों में प्रिजन स्मार्ट प्रोग्राम के तहत 799 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस प्रोग्राम द्वारा देश भर के जेलों में बंद 44,809 कैदियों को लाभान्वित होने का अवसर मिला।
जेल में बंद कैदियों को डाटा इंट्री आपरेटर से लेकर कई तरह के कोर्स करवाए
कौशल विकास एवं उदयमिता मंत्रालय इन कैदियों के जीवन में सुधार लाने और उन्हें हुनरमंद बनाने के साथ साथ टूल किट भी मुहैया करवा रहा है। जिससे जेल से बाहर निकलने के बाद वे उसी टूल किट से अपना व्यवसाय शुरू कर सकें। मंत्रालय की तरफ से जम्मू एंड कश्मीर की जेलों में बंद कैदियों को प्रशिक्षण देकर टूल किट भी दिया गया। पुलवामा जेल में बंद कैदियों को डाटा इंट्री आपरेटर से लेकर कई तरह के कोर्स करवाए गए। पहले तो ये कैदी हिचकिचा रहे थे, लेकिन बाद में इन कैदियों ने न केवल प्रशिक्षण में हिस्सा लिया, बल्कि अपने अनुभव भी शेयर किए।
क्या कहते हैं कैदी
जम्मू-कश्मीर के कोतवाली जेल में बंद कैदी अरुण कुमार कहते हैं कि मंत्रालय की तरफ से उन्हें सहायक इलेक्ट्रीशियन के लिए प्रशिक्षण दिया गया। इसके लिए वे केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करते हैं। अरुण कहते हैं कि मुझे लगता है कि अब मैं खाली हाथ नहीं हूं, मैं रिहा होने के बाद आत्मनिर्भर होकर अपना काम शुरू कर सकता हूं।
इसी तरह पुलवामा जेल में बंद कैदी मेयुन कहते हैं कि प्रोजेक्ट सृजन ने न केवल उन्हें दिमागी रूप से सकारात्मक बनाया है, बल्कि जीने के लिए एक राह दिखाई है। जिससे रिहा होकर मैं अपना खुद का कारोबार कर सकूंगा।
जीवन की नई यात्रा शुरू कर सकता हूं
एक अन्य कैदी गणेश सिंह कहते हैं कि मैं इस कार्यक्रम को हमारे पास लाने और अपने जीवन को बदलने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के अधिकारियों का वास्तव में आभारी हूं, मुझे उम्मीद है कि घर जाने के बाद मैं अपने जीवन की नई यात्रा शुरू कर सकता हूं।