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Thursday, November 21, 2024

Indian Railways अगले चार साल में देगी सभी यात्रियों को कन्फर्म टिकट

नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय : भारतीय रेलवे ने अगले चार साल में ज़ीरो वेटिंग लिस्ट आरक्षण यानी सबको कन्फर्म टिकट उपलब्ध कराने का दावा किया है। इसके लिए वह वर्ष 2027 तक 3000 नयी ट्रेनों को जोड़ कर एक हजार करोड़ यात्रियों की परिवहन क्षमता विकसित करने के लिए योजनाबद्ध ढंग से काम कर रही है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारतीय रेलवे ने आधुनिक ट्रेनों का निर्माण तेज कर दिया है। इसमें वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के 450 रैक बनाए जाएंगे। इसके अलावा हर साल करीब 5500 एलएचबी कोच बन रहे हैं जिनसे पुश-पुल तकनीक वाले अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन के करीब सवा दो सौ रैक प्रति वर्ष की दर से रेलवे के नेटवर्क में जोड़ने हैं।

—वर्ष 2027 तक 3000 नयी ट्रेनों की जरूरत, अभी से निर्माण शुरू
—1000 करोड़ यात्रियों के परिवहन की क्षमता विकसित कर रही है भारतीय रेलवे
—पुश पुल ट्रेन सेट रैक तैयार कराने की योजना, वंदे भारत ट्रेन के 450 रैक बनाए जा रहे
—हर साल करीब 5500 नए एलएचबी कोच बन रहे हैं
—पांच साल में रेलवे नेटवर्क में 27 से 30 हजार किमी नयी पटरियां बिछ जाएंगीं

खास बात यह है कि 1600 से 1700 ट्रेनों को अगले चार से पांच साल में पटरियों पर उतारना है। इसके लिए रेलवे के नेटवर्क की क्षमता का विस्तार किया जा रहा है। दूसरी, तीसरी एवं चौथी लाइन बिछाने के साथ गाड़ियों की गति बढ़ा कर फेरे बढ़ाने के लिए द्रुत गति से काम किया जा रहा है और इसीलिए रेलवे के पूंजीगत व्यय को 2.41 लाख करोड़ रुपए किया गया है। अगले पांच साल में रेलवे नेटवर्क में करीब 27 से 30 हजार किलोमीटर नयी पटरियां बिछ जाएंगीं।
भारतीय रेलवे ने क्षमता विस्तार के तात्कालिक उपाय के तौर पर दोनों ओर इंजन वाले पुश पुल ट्रेन सेट अमृत भारत एक्सप्रेस के रैक तैयार कराने की योजना बनायी है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि इस समय देश में करीब 69 हजार एलएचबी कोच उपलब्ध हैं। इन्हें भी पुश पुल ट्रेन सेट में तब्दील किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पुश पुल ट्रेन सेट में ऑटोमैटिक दरवाज़ों के साथ ही सेमी परमानेंट कपलर लगाये जाएंगे और गैंगवे को चौड़ा बनाया जाएगा। इससे गाड़ी में चलते एवं रुकते समय झटके लगने की समस्या समाप्त हो जाएगी।
सूत्रों के अनुसार इसके दो प्रोटो टाइप बन कर तैयार हो गये हैं। इससे गाड़ी के रुकने एवं फिर से गति पकड़ने यानी एक्सीलरेशन-डिएक्सीलरेशन में सामान्य गाड़ी से आधा वक्त लगता है। इसके परीक्षण में दिल्ली एवं हावड़ा के बीच समान रफ्तार पर चलने वाली गाड़ी के समय में दो घंटे 20 मिनट की बचत दर्ज की गयी है। दिल्ली चेन्नई और दिल्ली बेंगलुरु की दूरी में पांच से छह घंटे की बचत हाे सकती है। पटरियों के क्षमता विस्तार से जहां गाड़ियों की परिचालन गति और औसत गति दोनों में और अधिक सुधार आएगा।

ट्रेनों के स्लीपर श्रेणी के डिब्बे खत्म नहीं हो रहे

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज यहां दावा किया कि ट्रेनों के स्लीपर श्रेणी के डिब्बों को कम करने की कोई योजना नहीं है। एयरकंडीशन कोच बढ़ाने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस वित्त वर्ष में गैर एसी श्रेणी में 372 करोड़ यात्रियों का परिवहन किया गया है। यह संख्या गत वर्ष इसी अवधि में यात्रा करने वालों से 41 करोड़ अधिक है। उन्होंने कहा कि एलएचबी कोच आने के बाद किसी रैक की मानक स्थिति में स्लीपर श्रेणी के छह से सात, एसी 3 श्रेणी के छह, एसी 2 के दो, एसी 1 के एक या एक भी नहीं, चार जनरल, एक दिव्यांग एवं गार्ड, एक पावर कार कोच होते हैं। सभी रैक इसी मानक रूप में चल रहे हैं। रेलवे का हमेशा से फोकस दुर्बल आय वर्ग, निम्न आय वर्ग एवं मध्यम आय वर्ग के यात्रियों पर रहा है। उन्होंने कहा कि रेलवे इस समय सालाना 800 करोड़ यात्रियों को उनके गंतव्य पर पहुंचाती है। लेकिन आगामी चार पांच साल में यात्रियों की संख्या का अनुमान करके परिवहन क्षमता को एक हजार करोड़ यात्रियों के परिवहन के लायक बनाना है। इसके लिए योजना बद्ध तरीके काम किया जा रहा है। इसके बाद आरक्षित टिकटों की प्रतीक्षा सूची करीब करीब समाप्त होने की संभावना है। लोगों को मांग पर सीटें उपलब्ध रहेंगी।

ट्रेनों के अलावा विशेष ट्रेनों के 6754 फेरों की व्यवस्था

रेल मंत्रालय ने त्योहारी सीजन के लिए इंतज़ाम का उल्लेख करते हुए कहा कि इस वर्ष एक अक्टूबर से 31 दिसंबर के बीच नियमित ट्रेनों के अलावा विशेष ट्रेनों के 6754 फेरों की व्यवस्था की गयी है। जबकि गत वर्ष इसी अवधि से केवल 2614 फेरे लगाये गये थे। इस वर्ष अब तक डेढ़ माह में 2423 फेरों में 36 लाख यात्रियों को गंतव्य पर पहुुंचाया जा चुका है। उम्मीद है कि 50 से 55 लाख यात्रियों को इन विशेष सेवाओं का लाभ मिलेगा।

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