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Sunday, September 8, 2024

Indian Railways : एक ऐसा जोन जहां 3655 महिलाओं ने संभाल रखा है पूरा जिम्मा

नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय । देश की आधी आबादी ने लैंगिक समावेशिता और नेतृत्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए महत्वपूर्ण भूमिकाओं में भारतीय रेलवे के परिद्दश्य को फिर से परिभाषित किया है तथा इसी कड़ी में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) उन 3655 महिलाओं के साथ प्रकाश स्तंभ के रूप में खड़ा है जो परिचालन, सुरक्षा, गार्ड-ड्राइवर, इंजीनियरिंग और सार्वजनिक इंटरफेस के साथ स्टेशन प्रबंधन सहित विभिन्न विभागों में सक्रिय रूप से योगदान दे रही हैं ।

 

Indian Railways : एक ऐसा जोन जहां 3655 महिलाओं ने संभाल रखा है पूरा जिम्मा

एसईसीआर में इस परिवर्तनकारी प्रयास की अगुआई 1988 बैच की आईआरटीएस अधिकारी नीनू इटियेरा कर रही हैं। सुश्री इटियेरा वर्तमान में एसईसीआर की महाप्रबंधक के पद पर हैं और उनके मार्गदर्शन में जोनल रेलवे बिलासपुर नयी ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है । साथ ही ,श्रीमती प्रतिभा बंसोड़ ने रायपुर रेल मंडल की पहली डेमू पायलट के रूप में इतिहास रचा है।

—परिचालन, सुरक्षा, गार्ड-ड्राइवर, इंजीनियरिंग और सार्वजनिक इंटरफेस के साथ स्टेशन प्रबंधन
—दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में विभिन्न मोर्चों पर अग्रणी महिलाएं
—इतवारी स्टेशन के प्रबंधन की बागडोर पूरी तरह से महिलाओं के हाथों में है

उन्होनें छत्तीसगढ़ के दूरदराज नक्सल प्रभावित इलाकों में ट्रेनें चलायी हैं। एसईसीआर के नागपुर रेल मंडल ने इस बदलाव का एक और उदाहरण पेश किया है जिसके अंतर्गत इतवारी स्टेशन के प्रबंधन की बागडोर पूरी तरह से महिलाओं के हाथों में है। इनमें श्रीमती अश्लेषा पाटिल यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस) का नेतृत्व कर रही हैं ।

Indian Railways : एक ऐसा जोन जहां 3655 महिलाओं ने संभाल रखा है पूरा जिम्मा

इसी प्रकार गोंदिया स्टेशन पर यात्री सेवाओं की देखरेख का दायित्व सिमी अरोड़ा ने संभाल रखा है जबकि श्रीमती ज्योति गोथमगे नैनपुर स्टेशन पर ट्रेनों के परिचालन का नेतृत्व करती हैं । रेलवे की सुरक्षा एवं संरक्षा क्षेत्र में सुनीता मिंज अंबिकापुर आरपीएफ पोस्ट की कमान संभाले हुए है और परंपरागत रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर रही हैं ।

Indian Railways : एक ऐसा जोन जहां 3655 महिलाओं ने संभाल रखा है पूरा जिम्मा

यह विविधता शौचालय और रनिंग रूम जैसी आवश्यक सुविधाओं तक फैली हुई है, जो कभी केवल पुरुषों के लिए थी तथा वैश्विक परिवर्तन के दौर में समावेशी रेलवे पारिस्थितिकी तंत्र को अभिव्यक्त करती है। इस तरह की पहल भारतीय रेलवे की ग्राहक-केंद्रित और समावेशी बनने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं, जो अपने परिचालन स्पेक्ट्रम में महिलाओं की विविध प्रतिभाओं और नेतृत्व का ना सिर्फ लाभ उठाती हैं बल्कि उन्हें सम्मान भी देती है।

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