–गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन पर दिया जवाब
-जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक का राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं
–अमित शाह ने विपक्ष को चेताया, कहा- जम्मू कश्मीर की स्थिति को समझें
–जम्मू कश्मीर और लद्दाख को राजनीति का हिस्सा न बनाएं सियासी पार्टियां
–कांग्रेस पहले दे 70 साल का हिसाब, फिर हम देंगे 17 महीने का हिसाब
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक का राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है और उपयुक्त समय पर जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा। लोकसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि इससे जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। उन्होंने कुछ विपक्षी सदस्यों के सवाल पर कहा, मैं फिर से कहता हूं कि इस विधेयक का जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है। साथ ही कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों को पूर्ण राज्य का दर्जा निश्चित मिलेगा। अमित शाह ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की जनता के लिए अपने संदेश में कहा कि आपके राज्य का विकास जो अटक गया है, उसे पटरी पर चढ़ाकर पूर्ण राज्य का दर्जा जरूर वापस देंगे। गृह मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी के सांविधिक संकल्प को अस्वीकार करते हुए ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी। यह विधेयक जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) अध्यादेश का स्थान लेगा जो पिछले महीने जारी किया गया था।
A wonderful speech by Home Minister Shri @AmitShah in the Lok Sabha. Extensive in detail and rich in content, it highlights our efforts for Jammu, Kashmir and Ladakh. https://t.co/v7b661HrCw
— Narendra Modi (@narendramodi) February 13, 2021
बता दें कि राज्यसभा से यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार मौजूदा जम्मू कश्मीर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारी अब अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर का हिस्सा होंगे।
गृह मंत्री ने संसद में कहा कि कृपया जम्मू कश्मीर की स्थिति को समझें। राजनीति करने के लिए कोई ऐसा बयान न दें, जिससे जनता गुमराह हो। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख को राजनीति का हिस्सा हम न बनाएं। बहुत सारी चीजें हैं राजनीति करने के लिए। मगर ये देश का संवेदनशील हिस्सा है, उनको कई घाव लगे हैं और उनको मरहम लगाना हमारा काम है। उन्होंने कहा, यहां कहा गया कि अनुच्छेद 370 हटाने के वक्त जो वादे किए गए थे, उनका क्या हुआ? मैं उसका जवाब जरूर दूंगा, लेकिन पूछना चाहता हूं कि अभी तो अनुच्छेद 370 को हटे हुए केवल 17 महीने हुए हैं, आपने 70 साल क्या किया उसका हिसाब लेकर आये हो क्या? अमित शाह ने कहा कि तीन परिवार के लोग ही वहां शासन करें, इसलिये अनुच्छेद 370 पर जोर दिया गया। उन्होंने सवाल किया कि जिन्हें पीढिय़ों तक देश में शासन करने का मौका मिला, वे अपने गिरेबां में झांककर देखें, क्या आप हमसे 17 महीने का हिसाब मांगने के लायक हैं या नहीं।
जम्मू कश्मीर में सरकार ने भूमि बैंक बनाया, नहीं छिनेगी जमीन
गृहमंत्री ने जम्मू कश्मीर में लोगों की जमीन छिन जाने के आरोपों को खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि हमने जम्मू कश्मीर में भूमि बैंक बनाया है। इससे प्रदेश के किसी व्यक्ति की जमीन नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि अतीत में विपक्षियों ने तो सरकारी जमीन अपने चट्टे-बट्टों में बांट दी थी। जबकि हमने उसका भूमि बैंक बनाया है, इसमें उद्योग लगेंगे और राज्य आत्मनिर्भरता के पथ पर बढ़ेगा। जम्मू कश्मीर के उद्योगों में सबसे बड़ी बाधा थी कि वहां कोई भी उद्योग लगाना चाहे तो उन्हें जमीन नहीं मिलती थी। अनुचछेद 370 हटने के बाद, जमीन के कानून में हमने परिवर्तन किया और अब ऐसी स्थिति हुई है कि कश्मीर के अंदर उद्योग लग पाएंगे। जम्मू कश्मीर में लोगों की जमीन छिन जाने के आरोपों को गलत बताते हुए शाह ने कहा कि हमने जम्मू कश्मीर में भूमि बैंक बनाया है। इससे प्रदेश के किसी व्यक्ति की जमीन नहीं जाएगी।
सर्वदलीय शिष्टमंडल जब चाहे तब जाए जम्मू-कश्मीर
सर्वदलीय शिष्टमंडल को जम्मू कश्मीर भेजे जाने की मांग को लेकर कुछ विपक्षी दलों की टिप्पणियों पर शाह ने कहा कि सर्वदलीय शिष्टमंडल जब चाहे तब जाए। उन्होंने कहा कि पूर्व में वे (विपक्षी दल) तब जाना चाहते थे जब अनुच्छेद 370 हटाया गया था और तब वे मरहम लगाने नहीं बल्कि घाव कुरेदने जाना चाहते थे। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमने गुहार लगाई थी कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को जम्मू-कश्मीर भेजा जाए, लेकिन सरकार को ऐसा करने की हिम्मत नहीं हुई। लेकिन यूरोप से प्रतिनिधिमंडल बुला लिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर घाटी में कितने लोगों को यूएपीए और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया, सरकार को बताना चाहिए।
अफसरों का भी हिन्दू मुस्लिम में विभाजन करते हैं ओवैसी
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी अफसरों का भी हिन्दू मुस्लिम में विभाजन करते हैं। क्या एक मुस्लिम अफसर हिन्दू जनता की सेवा नहीं कर सकता या हिन्दू अफसर मुस्लिम जनता की सेवा नहीं कर सकता? उन्होंने कहा कि अफसरों को हिन्दू-मुस्लिम में बांटते हैं और खुद को धम्रनिरपेक्ष कहते हैं। इसके अलावा 4जी इंटरनेट सुविधाएं दबाव में बहाल करने के विपक्षी सदस्यों के आरोप पर जवाब देते हुए शाह ने कहा, असदुद्दीन ओवैसी जी ने कहा कि 2जी से 4जी इंटरनेट सेवा को विदेशियों के दबाव में लागू किया गया है। उन्हें पता नहीं है कि यह संप्रग सरकार नहीं, जिसका वह समर्थन करते थे। यह नरेन्द्र मोदी की सरकार है, जो देश के लिए फैसले करती है।
जम्मू कश्मीर का विकास मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 समाप्त करने के बाद पिछले डेढ़ साल में जम्मू कश्मीर के विकास के लिये इतना काम किया जितना पहले नहीं हुआ। उन्होंने आंकड़ों के साथ ब्यौरा देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर का विकास सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में किसी के साथ भी अन्याय हो, ऐसी आशंका को ही समाप्त कर दिया गया है।
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