प्रयागराज/ सुरेश गांधी । श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग वाली याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) से अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति की खारिज करते हुए हिंदू पक्ष की याचिका को सुनने योग्य माना है। बता दें, वाराणसी के ज्ञानवापी विवाद (Gyanvapi Controversy) से जुड़े शृंगार गौरी केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना अहम फैसला दिया है। श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग वाली याचिका की सुनवाई जारी रहेगी। अदालत ने मुस्लिम पक्ष (Muslim side) की आपत्ति की खारिज करते हुए हिंदू पक्ष (Hindu side) की याचिका को सुनने योग्य माना है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद नियमित पूजा की मांग वाली अर्जी पर सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है।
—श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग वाली याचिका की सुनवाई जारी
—इलाहाबाद हाईकोर्ट ने Hindu side की याचिका को सुनने योग्य माना
इस खबर के बाद से हिंदू पक्ष में खुशी की लहर है। वाराणसी कचहरी में मौजूद महिला वादियों, उनके पैरोकारों और अधिवक्ताओं ने हर-हर महादेव के उद्घोष से हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। कोर्ट ने साफ कहा है कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की अनुरक्षणीय नहीं है और इसे खारिज किया है। जिला कोर्ट वाराणसी श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। जस्टिस जे जे मुनीर की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया। दरअसल, शृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग को लेकर रराखी सिंह समेत 9 अन्य ने वाराणसी की अदालत में सिविल वाद दाखिल किया था। बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने 23 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस केस में अपनी आपत्ति खारिज होने के खिलाफ मस्जिद की इंतजामियां कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। अर्जी में वाराणसी के जिला जज की अदालत से 12 सितंबर को आए फैसले को चुनौती दी गई थी। अदालत में वाद दाखिल करने वाली 5 महिलाओं समेत 10 लोगों को पक्षकार बनाया गया था। वाराणसी के जिला जज की कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष द्वारा दाखिल की गई आपत्ति को पहले ही खारिज कर दिया था। मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि 1991 के प्लेसिस ऑफ वरवर्शिप एक्ट और 1995 के सेंट्रल वक्फ एक्ट तहत सिविल वाद पोषणीय नहीं है। जिला जज के इसी फैसले को मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
बता दें कि अभी महिलाओं को चैत्र और वासंतिक नवरात्र के चौथे दिन श्रृंगार गौरी की पूजा की इजाजत मिली हुई है। हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगारगौरी समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर नियमित पूजा अर्चना करने की अनुमति दिए जाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला कोर्ट को यह तय करना था कि मामला सुनने योग्य है या नहीं। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में पोषणीय नहीं होने की दलील देते हुए इस केस को खारिज करने की मांग की थी। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलील को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा है कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 07 नियम 11 के तहत इस मामले में सुनवाई हो सकती है, जिसके लिए 22 सितंबर की तारीख तय हुई है। आज याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी, जहीर असगर, फातिमा अंजुम तथा विपक्षियों की ओर से अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु जैन, प्रदीप शर्मा, सौरभ तिवारी, प्रभाष पांडेय, विनीत संकल्प, अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, मुख्य स्थायी अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडेय ने बहस की।