-ग्रामीण एसएचजी महिलाओं को प्रति 1 लाख रुपये कमाने के लिए नई पहल
-अगले 2 वर्षों में 25 मिलियन ग्रामीण महिलाओं को आजीविका सहायता मिलेगी
-घरेलू स्तर पर आजीविका गतिविधियों में विविधता लाएगी केंद्र सरकार
नयी दिल्ली /खुशबू पाण्डेय : केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महिलाओं को उच्च आर्थिक क्रम में ले जाने पर अधिक ध्यान देने के लिए, एसएचजी से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को लखपति बनाने के लिए एक पहल की शुरुआत की। इसका उद्देश्य ग्रामीण एसएचजी महिलाओं को प्रति वर्ष कम से कम 1 लाख रुपये कमाने में सक्षम बनाना है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए मंत्रालय ने अगले 2 वर्षों में 2.5 करोड़ ग्रामीण एसएचजी महिलाओं को आजीविका सहायता प्रदान करने की योजना बनाई है। देश भर में मौजूद विभिन्न मॉडलों के आधार पर राज्य सरकारों को एक विस्तृत एडवाइजरी जारी की गई है। इस विषय पर दो दिन पहले विशेष चर्चा के लिए राज्यों, बीएमजीएफ (बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन) और टीआरआईएफ (ट्रांसफोमेशन रूरल इंडिया फाउंडेशन) के साथ एक हितधारक परामर्श कार्यशाला आयोजित की गई थी।
इस मौके पर कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों से लेकर पशुधन,एनटीएफपी (गैर-लकड़ी वन उत्पाद) और इनकेसम्मिलन के माध्यम से अन्य हस्तक्षेपों तक घरेलू स्तर पर आजीविका गतिविधियों में विविधता लाने के लिए सुनियोजित हस्तक्षेपों के महत्व पर जोर दिया गया, ताकि लगातार एक लाख रुपये की सालाना आय हो सके। इस प्रकार के हस्तक्षेपों को लागू करने के लिए एसएचजी,वीओ (ग्राम संगठन) और सीएलएफ (क्लस्टर स्तर पर संघ) को मजबूत करने के महत्व पर भी जोर दिया गया। विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित एसएचजी सदस्यों के समर्पित सामुदायिक कार्यकर्ता उनके लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करेंगे। इस हस्तक्षेप में नागरिक समाज संगठनों,केवीके (कृषि विज्ञान केंद्र) और निजी बाजार के अन्य खिलाडिय़ों की भूमिका महत्वपूर्ण है। राज्यों को भी इन साझेदारियों को प्रोत्साहित करने और मजबूत बनाने की सलाह दी गई थी।
बता दें कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एक परिपूर्णता वालीसोच पर काम करता है। इस कार्यक्रम के तहत अब तक 7.7 करोड़ महिलाओं को 70 लाख स्वयं सहायता समूहों में शामिल करने के साथ 6768 ब्लॉकों को कवर किया गया है। एसएचजी को प्रारंभिक पूंजीकरण सहायता प्रदान करने से लेकर सालाना लगभग 80 हजार करोड़ रुपये की सहायता दी जा रही है। इस मिशन के तहत, विभिन्न वर्ग और जाति की गरीब महिलाएं स्वयं सहायता समूहों और उनके संघों में शामिल होती हैं, जो अपने सदस्यों को उनकी आय और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए वित्तीय,आर्थिक और सामाजिक विकास सेवाएं प्रदान करते हैं।
मिशन ने महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना सफल की
गौरतलब है कि दीनदयाल अंत्योदय योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक प्रमुख योजना है जो ग्रामीण गरीब महिलाओं के लिए क्षमता निर्माण और विविध आजीविका के अवसर पैदा करने पर ध्यान देने के साथ ग्रामीण गरीबों को स्व-शासित संस्थानों में संगठित करती है। मिशन ने महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के माध्यम से सफल प्रगति की है और किसानों के रूप में महिलाओं की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया है। सामुदायिक एकजुटता और महिलाओं की संस्थाओं के निर्माण के चरण से आगे बढ़ते हुए,अब ध्यान एसएचजी महिलाओं को उत्पादक समूहों, एफपीओ और निर्माता कंपनियों के माध्यम से उच्च क्रम की आर्थिक गतिविधियों में शामिल करने पर है।