17.1 C
New Delhi
Thursday, November 21, 2024

किसान आंदोलन: सिख महापंचायत ने लिए कई बड़े फैसले, खट्टर सरकार को 8 दिन का अल्टीमेटम

-हरियाणा सरकार को दिया एक सप्ताह का समय
-किसान आंदोलन का कंधा इस्तेमाल कर सरकारें सिख कौम को बदनाम करने के लिए आतुर
-गुनी प्रकाश के खिलाफ पर्चा दर्ज करवाने के लिए राज्य के डी.जी.पी के साथ भी संपर्क करेंगे

नई दिल्ली। हरियाणा की 36 बिरादरियों द्वारा बुलाई गई राज्य की पहली सिख महापंचायत ने भाजपा नेता गुनी प्रकाश द्वारा सिख भाईचारे खास तौर पर किसान नेता गुरनाम सिंह चूढ़नी के खिलाफ की गई बयानबाज़ी का गंभीर नोटिस लेते हुए आज प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर अगले रविवार 8 अगस्त तक गुनी प्रकाश के खिलाफ कार्रवाई ना की गई व केस दर्ज ना किया गया तो फिर पूरा सिख समाज सड़कों पर उतरेगा।

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि महापंचायत ने आज इस मामले पर 15 सदस्यीय कमेटी भी गठित कर दी है । उन्होंने स्वंय एस.एस.पी कुरुक्षेत्र से बातचीत भी की है जिन्होंने मामले में कार्रवाई का भरोसा दिलाया है । उन्होंने कहा कि वह डी.जी.पी के साथ भी इस मामले पर बातचीत करेंगे। इस दौरान उन्होंने कहा है कि आज किसान आंदोलन में 80 फीसदी पंजाब होने को मुद्दा बना कर पेश किया जा रहा है और यही लोग तब क्यों नहीं बोलते जब 1947 में देश की आज़ादी के लिए शहादतें देने वालों में भी 80 फीसदी पंजाबी शामिल थे।

‘महिला सुरक्षा-महिला सम्मान’ का राष्ट्रीय अभियान शुरू करेंगे व्यापारी

आज हरियाणा की 36 बिरादरियों द्वारा बुलाई गई सिख महापंचायत को संबोधित करते हुए सिरसा ने कहा है कि सच्चाई यह है कि आज भी समकालीन सरकारें सिख कौम को बदनाम करने पर आतुर है क्योंकि वह जानती हैं कि केवल सिख ऐसी इकलौती कौम है जो अन्याय का डट कर मुकाबला करती है व कभी भी पीछे नहीं हटती। उन्हांेने कहा कि आज किसान आंदोलन में केवल सिख या पंजाबी शामिल होने की बात को उभार कर सिखों को निशाना बनाया जा रहा है जबकि सच्चाई यह है कि यह सरकारें भी उसी प्रकार गुनी प्रकाश का बचाव कर रही है जैसे तत्कालीन कांग्रेस सरकारें सज्जन कुमार व जगदीश टाईटलर का करती रही हैं।

उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि गुनी प्रकाश के बयानों के पीछे वह ताकतें हैं जो सिखों को बदनाम करना चाहती हैं और बंटवारा चाहती हैं पर यह साजिश किसी भी हालत में सफल नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के प्रयासों के तहत सिख एकता की बदौलत देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि लख्खा सिद्धाना जैसे एक सिख पर गिरफ्तारी के लिए ईनाम रखा हो पर उससे पहले ही पेशगी ज़मानत मिल जाये। उन्होंने कहा कि इसी किसान आंदोलन के संबंध में 150 ऐसे सिखों व पंजाबियों को पेशगी ज़मानत मिली जिन्हें पुलिस ने किसान आंदोलन के संबंध में तलब किया हुआ था।

Farmers Protest: हरसिमरत कौर बादल ने की राष्ट्रपति से मुलाकात, सौपा ज्ञापन

उन्होंने कहा कि दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के प्रयासों के चलते यह ज़मानत तभी संभव हुई हैं जब यह लोग श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शरण में पहुंचे थे। जो भी पंजाबी गुरु साहिब की शरण में आया उसकी हमेशा जीत हुई है। गुरु साहिब की रहमत व बख्शीश की कृपा है कि किसान आंदोलन के संबंध में गिरफ्तार किये गये सभी पंजाबी इस वक्त जेल से बाहर हैं जबकि दो वर्ष पहले बनाये सी.ए.ए कानून के संबंध में गिरफ्तार लोग आज भी जेल में बंद हैं।. सिरसा ने कहा कि हम श्री अकाल तख्त साहिब की छत्र-छाया में पंथक एकता के पक्षधर हैं और चाहते हैं कि कौम की चढ़दीकला के लिए हम सभी एकजुट होकर आपसी मतभेद भुला कर काम करें जिस प्रकार जीत दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी को किसानों के मामले में मिली है उसी प्रकार की जीत हर मामले में हो।

दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष ने कहा कि जहां दिल्ली गुरुद्वारा का नाम आ जाता है वहां कौम के लिए काम करना उसके लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है और पिछले समय में संगत की कृपा से मिली सफलता इसी बात का प्रतीक है। यह पहली बार नहीं है जब सिखों को आपस में बांटने के लिए सरकारों व एजेंसियों द्वारा प्रयास किये गये। इससे पहले भी गुरु घरों की गोलक का दुरपयोग होने और गुरु ग्रंथ साहिब जी के बारे में भरम पैदा कर कौम को बांटने के असफल प्रयास किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस बार भी यही प्रयास औंधे मुंह गिरेंगे। इस मौके पर जगदीप सिंह काहलों, सरवजीत सिंह विरक, दलजीत सिंह सरना, हरजीत सिंह पप्पा, सतिंदर पाल सिंह नागी व जसप्रीत सिंह करमसर, निशान सिंह मान व रमीत सिंह चड्ढा भी मौजूद रहे।

latest news

Related Articles

epaper

Latest Articles