–कृषि क़ानूनों पर मोदी सरकार को चौतरफ़ा घेरने की तैयारी
—लड़ाई में पहली बार एक साथ दिखेंगे किसान संगठन एवं राजनीतिक दल
—राजनीतिक दलों के सहयोग से दिल्ली में जल्द आयोजित होगी किसान संसद
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल : केंद्र के कृषि सुधार कानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर करीब दो महीने से डटे किसानों ने पहली बार राजनीतिक दलों से इस लड़ाई में साथ आने और एकजुट होकर इन किसान विरोधी क़ानूनों का विरोध करने का आवाह्न किया है। इससे पहले तक किसान संगठन इस आंदोलन को राजनीतिक पहचान देने से बचते नज़र आए हैं। लेकिन जैसे जैसे ये लड़ाई आगे बढ़ रही है, किसान संगठन भी इसका दायरा बढ़ाना चाह रहे हैं और यही वजह है कि पहली बार उन्होने सभी राजनीतिक दलों से समर्थन मांगा है।
दिल्ली में किसान मजदूर समर्थक जनप्रतिनिधि संघर्ष मोर्चा द्वारा एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, अकाली दल,राष्ट्रीय लोक दल, वाम दलों समेत कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, सांसद व विधायक मौजूद रहे। ये कार्यक्रम किसान नेता गुरनानसिंह चढूनी की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें उन्होने न सभी राजनीतिक दलों से सहभागिता की अपील की। कार्यक्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, पूर्व सांसद उदितराज, अशोक तंवर जैसे दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में किसान आंदोलन को जनआंदोलन में बदलने की रणनीति पर चर्चा की गई। युवा नेता एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर कार्यक्रम में शामिल हुए धीरज शर्मा ने किसान संगठनों की सराहते हुए इस अभियान को घर घर तक ले जाने का वादा किया। उन्होने खासतौर पर देश के युवाओं तक पहुँचने और उन्हे सरकार की किसान-मज़दूर विरोधी नीतियों के बारे में अवगत कराने का आवाह्न किया। इस दौरान किसान संसद की भी योजना का ऐलान किया गया। धीरज शर्मा के मुताबिक 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर मार्च से पहले दिल्ली में इस किसान संसद का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देश की ग्रामपंचायतों के प्रतिनिधि से लेकर सांसद व विधायक शामिल होंगे। इस किसान संसद में किस तरह किसान क़ानूनों का जनव्यापी विरोध हो और सरकार पर इन्हे वापस लेने का दबाव डाला जा सके, इस पर रणनीति बनाई जाएगी।
सोनिया दूहन ने की छात्रों से एकजुट होने की अपील
धीरज शर्मा के साथ एनसीपी की छात्र इकाई की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया दूहन भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बनीं। सोनिया ने किसान आंदोलनों के खिलाफ छात्रों से एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की नीतियों से सिर्फ किसान और मजदूर ही नहीं देश के युवा भी परेशान हैं ऐसे में इस सरकार से लड़ने के लिए युवाओं को भी साथ आना होगा। सोनिया ने इस लड़ाई में देश के हर छात्र तक पहुंचने और उसका समर्थन सरकार के खिलाफ लेने का आवाहन किया ताकि इन काले कृषि कानूनों के खिलाफ जंग जीती जा सके ।