कैथल /सीमा इंद्रा। विश्वकर्मा मंदिर प्रांगण फतेहपुर जिला कैथल के सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम धीमान फतेहपुर द्वारा एक शानदार कवि सम्मेलन का आयोजन करवाया गया। इस मौके पर उत्तर प्रदेश, पंजाब , दिल्ली व हरियाणा के कवि कवयित्रियों व शायरों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम शिक्षा, देशभक्ति, बेटियों व सामाजिक समरसता पर आधारित रहा, दीप प्रज्ज्वलित व मां सरस्वती की वंदना से कवि-सम्मेलन का विधिवत शुभारंभ किया गया। गुलज़ार जिगर देवबंदी ने कहा कि तुम शान्ति के दीप जमाने में जला दो, रावण न कोई आए ईधर रेखा बना दो, सच्चे हैं गर विचार तो खाली न जायेगा,अर्जुन की तरह तुम भी कोई तीर चला दो। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रेम पाल सागर कुजंपुरा ने कहा कि खून से नहीं पानी से धोया जाता है, दाग-ए -दुश्मनी मुहब्बत रूहानी से धोया जाता है।
—कार्यक्रम शिक्षा, देशभक्ति, बेटियों व सामाजिक समरसता पर आधारित रहा
—जिला कैथल के विश्वकर्मा मंदिर प्रांगण फतेहपुर में बही कवि धारा
—तुम शान्ति के दीप जमाने में जला दो, रावण न कोई आए रेखा बना दो
पानीपत के शायर इक़बाल पानीपती ने कहा कि हिन्दू लिख न मुस्लिम लिख,नाही सिख ईसाई लिख,हम सब भाई भाई हैं,हम को भाई -भाई लिख। रोहतक के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सत्यवीर सिंह निराला ने कहा युग सुंदर हो सदियाँ सुंदर गर सुंदर इंसान बने,हर पल सुंदर हो जाएगा गर सुंदर इंसान बने। करनाल से रचनाकार रामेश्वर देव ने कहा कि वीरों को नमन कीजिए और देश को सलाम, रोशन हैं शहीदों की शहादत से इसका नाम। झज्जर से आए कवि जय सिंह जीत ने कहा कि एक नग़मा किसी के लिए गुनगुनाना बड़ी बात है,आजकल आदमी के लिए मुस्कराना बड़ी बात है।
काकोत जिला कैथल के साहित्यकार राजेश भारती ने कहा कि मरने की परमीशन दे,या भूखों को भोजन दे। जगजीत सिंह निराला ने कहा कि आज भाई से भाई का रिश्ता किस कदर टूटता जा रहा है, मिलके आपस में उठना बैठना किस कदर छूटता जा रहा है। दिल्ली की कवयित्री व लेखिका सीमा रंगा इन्द्रा ने कहा रात-रात भर जाग-जाग के करते हैं रखवाली,भूल गए हैं भूख प्यास को, भूल गए घरवाली। शकुंतला काजल शकुन जीन्द ने कहा कि डटे हैं सीमा पे वीर ,भारती के रणधीर, मैला ना हो जाए चीर ,आन बान शान का। ममता प्रवीण करनाल ने कहा कि हरगिज़ डरना नहीं कि फैले यहांँ अंधेरे हैं, मेहनत कर जी तोड़, इंतजार में सवेरे हैं। प्रो डॉ वनीता चोपड़ा करनाल ने कहा कि दिल हमारा मुहब्बत का पुखराज है , तुम अंगूठी में इसको सजा लीजिए। संगीता गीत गुरूग्राम ने कहा कि जब से बेटी ने जन्म लिया बाबा ने तब से धन जोड़ा,ना दिन देखा ना रात देखी एक-एक तिनके से घर जोड़ा। परमिंदर सिंह लुधियानवी ने कहा कि वो बेवफा है बेवफा लगती नहीं, हमें ये मुहब्बत है कि खो सकती नहीं। राजपाल राजन कुजंपुरा ने कहा कि जहांँ भर का दर्द तुम मेरे हिस्से में डाल दो, पर दिल से देशवासियों नफ़रत निकाल दो। कार्यक्रम के आयोजक प्रेम धीमान ने सभी आमंत्रित शायरों,कवियों, कवयित्रियों को शाल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम समाज के लिए आवश्यक है जिससे हमारी संस्कृति, सभ्यता जिंदा रहती है और ये कार्यक्रम समाज को जोड़ने का काम करते हैं, भविष्य में उन्होंने बड़े स्तर पर कवि सम्मेलन रखवाने की बात भी कही।