-बीजेपी सांसद ला रहे हैं प्राईवेट मेंबर बिल, 6 अगस्त को हो सकती है चर्चा
–सांसद राकेश सिन्हा 2019 में प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आए थे
— दो से ज्यादा बच्चे होने पर कई अधिकार खत्म करने की सिफारिश
–यूपी चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे बड़ा हो सकता है ‘हथियार ‘
नई दिल्ली/ नेशनल ब्यूरो : जनसंख्या नियंत्रण कानून को देशभर में लाने की कवायद शुरू हो गई है। इसको लेकर सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी सक्रियता के साथ खुद पहल कर रही है। देश में कठोर जनसंख्या नीति लाने के लिए राज्यसभा में बिल पेश करने की तैयारी है। पार्टी के सांसद प्राईवेट मेंबर बिल पेश किए हैं, जिसपर 6 अगस्त को चर्चा हो सकती है। संभावना है कि इसी तारीख को इनमें से किसी एक बिल पर चर्चा हो। कोशिश यह भी की जा रही है कि लोकसभा में भी कुछ बीजेपी सांसद ऐसा ही प्राइवेट मेंबर बिल पेश करें। बिल में प्रावधान है कि दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले दंपति को अतिरिक्त छूट या लाभ न दिया जाए। बिल में दो से अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकारी सुविधाओं से वंचित करने के प्रावधान का प्रस्ताव है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा 2019 में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आए थे। सरकार भी ऐसा ही कुछ चाहती है। यही कारण है कि कवायद तेज हो गई है। इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रदेश में जनसंख्या नीति घोषित कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश में चुनाव को देखते हुए इस मुद्दे पर संसद से लेकर सड़क तक राजनीति गरमाने के पूरे आसार हैं। भाजपा इस मुद्दे को लेकर विधानसभा चुनाव में उतर भी सकती है।
यह भी पढें…यूपी में नई जनसंख्या नीति का ऐलान, बढ़ती आबादी विकास में बाधक
बता दें कि बीजेपी के राज्यसभा सांसदों राकेश सिन्हा, डॉ अनिल अग्रवाल और हरनाथ सिंह यादव आदि ने संसद सत्र के दौरान इस मुद्दे को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल को लेकर पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर गए हैं। बीजेपी के राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव का कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग को लेकर उन्होंने राज्यसभा में प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है। उनके मुताबिक जनसंख्या नियंत्रण कानून में ऐसे प्रावधान रखे जाएं, जिससे कि लोगों को दो बच्चों से अधिक होने पर सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने से रोका जाए, चुनाव लडऩे से रोक लगाई जाए और अगर नहीं मानते हैं तो कानूनी प्रावधान के तहत कार्रवाई की जाए। हरनाथ सिंह यादव का कहना है इस कानून की जरूरत राज्य स्तर पर ही नहीं बल्कि केंद्रीय स्तर पर है और यह देश के 135 करोड़ लोगों पर लागू होना चाहिए। कानून किसी धर्म और समुदाय के खिलाफ नहीं बल्कि देश के हित में हो।
यह भी पढें…स्तनपान कराने वाली माताओं को कोविड-19 प्रतिरोधी टीका लगवाना चाहिए
गौरतलब है कि बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा 2019 में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आए थे। उम्मीद की जा रही है कि सत्र में उस बिल पर चर्चा हो सकती है। सरकार भी ऐसा ही कुछ चाहती है। यही कारण है कि कवायद तेज हो गई है। राकेश सिन्हा का मानना है कि देश भर के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए, हालांकि उस कानून में ऐसा प्रावधान होना चाहिए कि कानून बनने के 18 महीने तक लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होगी और इस दौरान लोगों को समझाने का काम किया जाएगा। 18 महीने बाद अगर लोग नहीं मानते हैं तो फिर सरकारी योजनाओं को सीमित करना और चुनावी राजनीति से दूर करने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। उनका कहना है कि अगर अभी हमने हालात नियंत्रित नहीं किए तो 28-30 साल बाद ऐसे हालात होंगे कि संसाधनों की कमी होने लगेगी और जनसंख्या विस्फोट देश के लिए एक पड़ा हानिकारक कदम साबित होगा।
यह भी पढें…महिलाओं की पहुंच सभी कानून एवं अधिकारों तक होनी चाहिए
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रदेश में जनसंख्या नीति घोषित कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश में चुनाव को देखते हुए इस मुद्दे पर संसद से लेकर सड़क तक राजनीति गरमाने के आसार हैं। भाजपा इसी मुद्दे को लेकर विधानसभा चुनाव में उतर सकती है। वैसे, 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लाल किले से अपने भाषण में जनसंख्या नियंत्रण का जिक्र कर चुके हैं। राज्यसभा यानी उच्च सदन में बीजेपी को बहुमत नहीं है, ऐसे में किसी भी बीजेपी सदस्य को अपना बिल पारित कराने के लिए अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में केवल 14 प्राइवेट मेंबर बिल कानून बने हैं लेकिन 1970 के बाद से कोई भी प्राइवेट मेंबर बिल कानून नहीं बना है। हाल ही में राइट टू ट्रासजेंडर पर्सन्स बिल राज्यसभा ने पारित किया था। गौरतलब है कि कोई भी सांसद जो मंत्री नहीं है, प्राइवेट मेंबर बिल ला सकता है।